लखनऊ (ब्यूरो)। इस महीने के आखिरी सप्ताह तक मानसून दस्तक दे सकता है। नगर निगम की ओर से दावा किया जा रहा है कि 1444 में से एक हजार से अधिक नालों की सफाई पूरी की जा चुकी है, जबकि 345 से अधिक मझोले और छोटे नालों को साफ कराने का कार्य कराया जा रहा है। दूसरी हकीकत यह है कि पिछले दिनों चौक एरिया में उन नालों की सफाई पर सवाल उठे थे, जो पूर्व में साफ किए जा चुके थे। ऐसे में निगम के दावों की हकीकत कितनी है यह तो पहली बारिश के बाद साफ हो जाएगी। वहीं, वार्डों की गलियों की छोटी या बड़ी नालियों की बात की जाए तो अभी नगर निगम प्रशासन का ध्यान इस तरफ नहीं गया है, जिससे साफ है कि जलभराव तो होगा ही।
राजधानी में कुल 1444 नाले
नगर निगम के आंकड़ों पर गौर फरमाएं तो राजधानी में 1444 नाले हैैं। इनमें बड़े नालों की संख्या 80 से अधिक है, जबकि मझोले नालों की संख्या 400 से अधिक और छोटे नालों की संख्या 900 से अधिक है। वर्तमान समय में लगभग बड़े नालों की सफाई पूरी कराए जाने का दावा किया जा रहा है, जबकि मझोले और छोटे नालों पर सफाई का कार्य जारी है। जिस रफ्तार से काम चल रहा है, उसे देखकर यह तो कहा जा सकता है कि मानसून से पहले तो नालों की सफाई तो हो जाएगी, लेकिन अभी तक एक भी बड़ी नाली की सफाई शुरू नहीं कराई गई है।
नालों की संख्या
1444 कुल नाले राजधानी में
83 बड़े नाले
414 मझोले नाले
947 छोटे नाले
नालों की लंबाई एक नजर में
61 किमी बड़े नालों की लंबाई
412 किमी मझोले नालों की लंबाई
397 किमी छोटे नालों की लंबाई
पुराने लखनऊ में नाले अधिक
राजधानी के पुराने लखनऊ के एरिया में नालों की संख्या सबसे अधिक है। यहां पर सरकटा नाला जैसा महत्वपूर्ण नाला है, जिसकी हर साल सफाई होती है लेकिन बारिश होते ही यह नाला ओवरफ्लो हो जाता है और लोगों को जलभराव की समस्या का सामना करना पड़ता है। यहां पर करीब 20 छोटे-बड़े नाले हैैं। पिछले दिनों निगम का दावा था कि 19 नालों की सफाई हो चुकी है, जबकि एक नाले की सफाई कराई जा रही है। जब महापौर सुषमा खर्कवाल ने निरीक्षण किया था तो वार्ड पार्षद अनुराग मिश्र ने खुद नाले में उतरकर नाला सफाई की हकीकत दिखा दी थी। जिसके बाद महापौर ने सभी 19 नालों की फिर से सफाई कराकर रिपोर्ट भेजने के निर्देश दे दिए थे। अब ऐसे में सवाल उठता है कि कहीं अन्य नालों की सफाई में भी तो यही खेल नहीं हुआ है। कुकरैल नाले को भी लाइफलाइन माना जाता है। इस बार जरूर यहां सफाई हुई, लेकिन अभी शत प्रतिशत कंपलीट रिपोर्ट आना बाकी है।
नालों की सफाई की जिम्मेदारी
-मुख्य अभियंता (वि/यां) के पास बड़े नालों की सफाई की जिम्मेदारी
-मुख्य अभियंता (सिविल) के पास मझोले नालों की सफाई की जिम्मेदारी
-नगर स्वास्थ्य अधिकारी के पास छोटे नालों की सफाई की जिम्मेदारी
नाला सफाई का दावा
83 बड़े नालों की सफाई पूरी
121 मझोले नालों की सफाई पूरी
895 छोटे नालों की सफाई पूरी
इन नालों में चल रही सफाई
293 मझोले नालों पर सफाई हो रही
52 छोटे नालों की सफाई हो रही
बड़े नालों की सफाई पूरी
नगर निगम का दावा है कि राजधानी के सभी बड़े नालों की सफाई का कार्य पूरा कराया जा चुका है। जिसमें सरकटा नाला, आलमबाग नाला, कुकरैल इत्यादि शामिल हैैं। अब इन नालों की सफाई से जलभराव पर कितना असर पड़ेगा, यह तो पहली बारिश के बाद ही तस्वीर साफ हो जाएगी। हालांकि, हर साल इन नालों की सफाई होती है और नतीजा ढाक के तीन पात ही रहता है।
बजट 10 करोड़ के करीब
नाला सफाई के बजट की बात की जाए तो इसके लिए करीब 10 करोड़ का बजट रखा गया है। इसके साथ ही इस बार बड़े नालों की सफाई का कार्य मशीन बेस्ड होगा, वहीं मझोले और छोटे नालों की सफाई भी मशीन और मैन पॉवर के माध्यम से कराई जा रही है।
डेढ़ महीने से चल रहा काम
राजधानी में पिछले डेढ़ महीने से नाला सफाई का कार्य किया जा रहा है। पहले चरण में बड़े नालों पर ही फोकस किया गया और एक जून तक इसे पूरा भी कर लिया गया है। नालों की सफाई मुख्य रूप से पोकलेन और रोबोट की मदद से कराई जा रही है। छोटे नालों की सफाई में 200 से अधिक कर्मचारी लगाए गए हैैं।
जलभराव से बढ़ती है टेंशन
हमारा एरिया नगर निगम क्षेत्र में आ चुका है, इसके बावजूद अभी तक जलनिकासी या सीवरेज सिस्टम के कोई ठोस इंतजाम नहीं हैं, जिससे बारिश में जलभराव होता है।
-वेद प्रकाश, दयाल रेजीडेंसी कॉलोनी, इस्माइलगंज सेकंड वार्ड
घनी मार्केट होने के बावजूद मार्केट में जलनिकासी के ठोस इंतजाम नहीं हैैं, जिसकी वजह से तेज बारिश होने पर मार्केट में हर तरफ पानी भर जाता है और व्यापारियों को नुकसान होता है।
-देवेंद्र गुप्ता, अध्यक्ष, भूतनाथ व्यापार मंडल
लंबा वक्त गुजर चुका है, लेकिन अभी तक मुंशी पुलिया नाले की सफाई नहीं कराई गई है। बारिश होते ही सर्विस लेन तालाब में तब्दील हो जाती है। सफाई तो दूर की बात है, नाले का मेंटीनेंस तक नहीं कराया गया है, जिसकी वजह से फिर से नाला ओवरफ्लो होगा।
-राजेश सोनी, स्थानीय व्यापारी, मुंशीपुलिया
मेरे एरिया में दो प्रमुख नालों नौबस्ता और प्रीती नगर को साफ तो करा दिया गया है, लेकिन उनकी तली साफ नहीं हुई है। बारिश होने पर जलभराव की समस्या जरूर सामने आएगी। हर साल इन्हीं नालों के ओवरफ्लो होने से जलभराव होता है।
-ममता त्रिपाठी, फैजुल्लागंज