लखनऊ (ब्यूरो)। अगर आप फैमिली के साथ क्वालिटी टाइम स्पेंड करना चाहते हैैं और अपनी संस्कृति से रूबरू होना चाहते हैैं तो बस 10 दिन बाद जनेश्वर मिश्र पार्क में आपको कुछ ऐसा ही नजरा देखने को मिलेगा। यहां आकर आप रंग बिरंगे फौव्वारों के बीच वॉटर स्क्रीन लेजर शो का आनंद ले सकेंगे। इस लेजर शो के माध्यम से आप अयोध्या, काशी, मथुरा समेत अन्य महत्वपूर्ण स्थानों की झलक भी देख सकेंगे। खास बात यह है कि इस सुविधा का लाभ लेने के लिए आपको मात्र 50 से 100 रुपये के बीच ही खर्च करने होंगे। एक दो दिन में एलडीए की ओर से टिकट फाइनल कर दिए जाएंगे।

15 अगस्त से शुरुआत

एलडीए की ओर से कोलकाता की एक कंपनी को उक्त प्रोजेक्ट को तैयार करने की जिम्मेदारी दी गई है। कंपनी की ओर से पूरा प्रोजेक्ट तैयार कर लिया गया है और ट्रायल भी शुरू कर दिया गया है। एलडीए प्रशासन की माने तो 15 अगस्त से इस सुविधा की शुरुआत की जाएगी। उद्घाटन के मौके पर तो पब्लिक के लिए यह सुविधा फ्री रहेगी, इसके बाद टिकट व्यवस्था लागू कर दी जाएगी। टिकट की दरें पब्लिक की जेब पर बोझ नहीं डालेंगी, इसका पूरा ध्यान रखा जा रहा है।

कैफेटेरिया की सुविधा

लोग आसानी से वॉटर स्क्रीन लेजर शो देख सकें और उसका आनंद उठा सकें, इसके लिए उक्त प्वाइंट के आसपास करीब 500 लोगों के बैठने के लिए आकर्षक बैठने की व्यवस्था भी की जा रही है। इसके साथ ही यहां पर कैफेटेरिया की भी सुविधा रहेगी, जिससे पब्लिक चाय, कॉफी व स्नैक्स का लुत्फ ले सकेंगे।

मोशन चेयर थियेटर भी तैयार

जनेश्वर मिश्र पार्क में ही मोशन चेयर थियेटर भी तैयार हो गया है। यहां पर करीब 50 व्यक्तियों के बैठने की सुविधा दी गई है। इस सुविधा को भी 15 अगस्त के आसपास शुरू किया जा सकता है। वीसी की ओर से स्पष्ट निर्देश दिए गए हैैं कि साफ-सफाई पर विशेष ध्यान दिया जाए। जिससे पर्यटकों को कोई समस्या न हो। उन्होंने यह भी निर्देश दिए हैैं कि जो सुविधाएं शुरू की जा रही हैं, उनकी लगातार मॉनीटरिंग की जाए। जिससे किसी भी स्तर पर सुविधा में खलल न पड़े। वीसी ने बताया कि जनेश्वर मिश्र पार्क में जल्द ही बोटिंग की भी सुविधा नए सिरे से शुरू होने जा रही है।

हमारी ओर से सारी तैयारियां पूरी की जा चुकी हैं। प्रयास यही है कि 15 अगस्त को उक्त सुविधा शुरू कर दी जाए। अभी टिकट के रेट तो तय नहीं हुए हैैं, पर दरें 50 से 100 रुपये के बीच ही रखी जाएंगी ताकि पर्यटकों की जेब पर ज्यादा भार न पड़े।

-डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए