लखनऊ (ब्यूरो)। उपभोक्ता परिषद की बिजली दरों में कमी की याचिका पर पावर कार्पोरेशन की ओर से नियामक आयोग में दाखिल किए गए जवाब के बाद प्रदेशभर के उपभोक्ताओं को सस्ती बिजली की सौगात मिलने का रास्ता लगभग साफ हो गया है। इस मामले में उपभोक्ता परिषद अध्यक्ष ने नियामक आयोग चेयरमैन से मुलाकात की और मांग रखी कि अब अगले पांच वर्षों तक लगातार उपभोक्ताओं की बिजली दरों में सात प्रतिशत की कमी की जाए अथवा सभी उपभोक्ताओं की बिजली दरों में एक वित्तीय वर्ष के लिए 35 प्रतिशत की कमी हो।

पावर कार्पोरेशन अपने जवाब में उलझा

प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी किए जाने की उपभोक्ता परिषद की याचिका पर पावर कार्पोरेशन द्वारा आयोग में जो जवाब शुक्रवार को दाखिल किया गया, उसमें कार्पोरेशन खुद उलझ गया है। जिससे यह बात साफ हो गई है कि अब बिजली दर की सुनवाई के बाद प्रदेश के उपभोक्ताओं की बिजली दरों में कमी करने से कोई नहीं रोक सकता। प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर 22045 करोड़ रुपये निकल रहा है। इसको लेकर उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद ने नियामक आयोग में याचिका दायर की थी और दरों को कम किए जाने की मांग की थी। इसको लेकर उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग ने पावर कार्पोरेशन से जवाब तलब किया था।

दरों में कमी को रोका नहीं जा सकता

पावर कार्पोरेशन द्वारा जवाब दाखिल होते ही उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष अवधेश कुमार वर्मा ने नियामक आयोग के चेयरमैन आरपी सिंह से आयोग में मुलाकात की और पावर कार्पोरेशन के जवाब पर लिखित आपत्ति दाखिल करते हुए कहा कि पावर कार्पोरेशन का यह कहना कि मामला अपीलेट ट्रिब्यूनल में विचाराधीन है तो यह पूरी तरह भ्रम में डालने की बात है। केवल मुकदमा दाखिल करके बिजली दरों में कमी की कार्रवाई को रोका नहीं जा सकता।

इस तरह मिलेगा उपभोक्ताओं को लाभ

परिषद अध्यक्ष ने बताया कि उपभोक्ताओं का वर्ष 2017-18 तक उदय व ट्रूअप में 13337 करोड़ रुपये निकल रहा है, जो आयोग द्वारा अपने आदेश में स्पष्ट किया गया है। यदि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2021-22 तक इस पर 12 प्रतिशत कैरिंग कास्ट निकाल निकाला जाये तो वह लगभग 7259 करोड़ होगा। कुल लगभग 22045 करोड़ अब तक उपभोक्ताओं का बिजली कंपनियों पर निकल रहा है। ऐसे में इस गणना के आधार पर प्रदेश के बिजली उपभोक्ताओं की बिजली दरों में अगले 5 वर्षों तक लगभग 7 प्रतिशत की कमी की जानी चाहिये अथवा सभी उपभोक्ताओं की बिजली दरों में एक वित्तीय वर्ष के लिए 35 प्रतिशत की कमी होनी चाहिए।