लखनऊ (ब्यूरो)। निगम से जुड़ी कार्यदायी संस्थाओं के करीब 12 हजार कर्मचारी हैैं, जो अलग-अलग फील्ड जैसे सफाई, उद्यान इत्यादि में अपनी सेवाएं दे रहे हैैं। इन्हें प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाता है साथ ही नियमानुसार उनके पारिश्रमिक धनराशि से ईएसआई और ईपीएफ भी काटा जाता है।

अब यह हो रहा खेल
नगर निगम कर्मचारी संघ की माने तो कई संस्थाओं की ओर से कर्मचारियों को दी जा रही पारिश्रमिक धनराशि से ईएसआई और ईपीएफ की कटौती तो की जा रही है लेकिन श्रमिकों के खाते में उक्त धनराशि को जमा नहीं किया जा रहा है। इतना ही नहीं, कई संस्थाओं की ओर से तो अपने कर्मचारियों का बैैंक खाता तक नहीं खुलवाया गया है और न ही पासबुक जारी की गई है। बैैंक खाता और पासबुक न होने से कर्मियों को पता ही नहीं चल पा रहा है कि उनकी कटौती हो रही धनराशि किसके पास जा रही है।

निगम प्रशासन ने दिये थे आदेश
निगम प्रशासन की ओर से सभी कार्यदायी संस्थाओं को बैैंक खाता खोलने और पासबुक जारी करने संबंधी आदेश भी जारी कर दिए गए हैैं। जिसके बाद कई संस्थाओं ने इस दिशा में कदम भी बढ़ाए लेकिन कई संस्थाएं ऐसी हैैं, जो अभी तक बैकफुट पर नजर आ रही हैैं।

ये है नियम
कर्मचारी संगठन की माने तो नियमानुसार, सभी कार्यदायी संस्थाओं को कांटे्रक्ट बेस्ड श्रमिकों का पहले तो बैैंक एकाउंट खुलवाना चाहिए साथ ही पासबुक भी जारी करनी चाहिए। इसके बाद पारिश्रमिक व ईएसआई और ईपीएफ की धनराशि को खाते में जमा कराया जाना चाहिए।

डेढ़ हजार की कटौती
कर्मचारी संगठन के पदाधिकारियों का कहना है कि ईपीएफ और ईएसआई के प्रतिशत से साफ है कि हर माह करीब 1500 रुपये की कटौती की जाती है लेकिन खातों में जमा नहीं कराया जाता।

कई संस्थाओं ने श्रमिकों का बैैंक खाता खुलवाया है और पासबुक भी जारी की है लेकिन अगर कोई संस्था इस दिशा में लापरवाही कर रही है तो जांच कराकर उसे सामने लाया जाएगा और कार्रवाई की जाएगी।
अजय कुमार द्विवेदी, नगर आयुक्त

संस्थाओं की ओर से श्रमिकों के पारिश्रमिक से ईपीएफ और ईएसआई की कटौती तो की जा रही है लेकिन उक्त धनराशि को श्रमिक के खाते में जमा नहीं किया जा रहा है। स्थिति यह है कि कई श्रमिकों के बैैंक खाते तक नहीं खुले हैैं और उन्हें पासबुक भी नहीं दी गई है।
आनंद वर्मा, अध्यक्ष, नगर निगम कर्मचारी संघ, लखनऊ