लखनऊ (ब्यूरो)। कई लोगों में सोने के दौरान खर्राटे लेने या बैठे-बैठे सोने की समस्या देखने को मिलती है, जिसकी वजह से न केवल उनको बल्कि दूसरों को भी दिक्कत होती है। पर अब इस समस्या से जल्द निजात मिल सकेगी क्योंकि केजीएमयू के डेंटल विंग प्रास्थोडेंटिस्ट विभाग के एचओडी डॉ। पूरनचंद ने मेंडुलर अडवासमेंट डिवाइस तैयार की है। यह ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया के इलाज में मददगार साबित होगा। इसके लिए पेटेंट भी हासिल हो गया है।

खर्राटों की समस्या करेगा दूर
डॉ। पूरनचंद ने बताया कि यह डिवाइस पेशेंट के डायरेक्ट यूज करने का नहीं है, बल्कि उसको बनाने में मदद करेगा। इस डिवाइस का नाम मेंडुलर अडवासमेंट डिवाइस है। जो ऑब्सट्रक्टिव स्लीप एपनिया यानि खर्राटों की समस्या को दूर करेगा। इस प्रॉब्लम की वजह से सांस की नली चिपक जाती है, जिससे सांस लेने में दिक्कत होती है और इंसान खर्राटे लेेने लगता है। वहीं, सांस रुकने की वजह से पेशेंट घबराकर उठ जाता है।

ऐसे काम करेगी डिवाइस
डॉ। पूरनचंद के मुताबिक, यह डिवाइस डॉक्टर को यह समस्या रोकने के लिए मरीज का जबड़ा कितना आगे या खोलना है, उसमें मदद करेगा। इस डिवाइस को मरीज के नीचे के जबड़े में लगाया जाता है, जिससे पता चलेगा कि जबड़े को कितना आगे रखें। यह नाप करने के लिए इससे पहले कोई उपकरण मौजूद नहीं था। केवल जार्ज गेज डिवाइज ही था, जो सटीक जानकारी नहीं दे पता है। पर हमने इस डिवाइस को 3-डाइमेंशन बनाया है, जिससे डॉक्टर को जबड़ा कितने आगे और खुलेगा उसे ज्यादा बेहतर तरीके से बताता है।

सही नाप बेहद जरूरी
अगर मरीज का जबड़ा 50 फीसदी कम खोला जाये तो इससे कोई फायदा नहीं मिलता है। वहीं, 70 फीसदी से अधिक खोला जाये तो भी कोई फायदा नहीं होता, बल्कि मसूड़ों में दर्द होने लगता है। ऐसे में 50 फीसदी से अधिक और 70 फीसदी से कम ही खोलना फायदेमंद है। इस डिवाइस की मदद से इनके बीच कहां फिट करें, यह उसके बारे में बतायेगा। जिससे सांस की नली खुल सकेगी और मरीज को खर्राटों की समस्या से राहत मिलेगी।

मिल चुका है पेटेंट
डॉ। पूरनचंद ने बताया कि इस डिवाइस के लिए पेटेंट मिल चुका है, जिसके बाद अब इसे इंडस्ट्री से बात करके मार्केट में उतारा जायेगा ताकि यह ज्यादा से ज्यादा डॉक्टर्स के काम आ सके। इसके अलावा इसे ट्रेडमार्क भी मिल चुका है, जो केजीएमयू के लिए एक बड़ी उपलब्धि है।

मोटे लोगों में समस्या अधिक

डॉ। पूरनचंद ने बताया कि स्लीप एपनिया की समस्या अधिकतर मोटे लोगों में देखने को मिलती है। खासतौर पर जिन लोगों की गर्दन 17 इंच से अधिक मोटी होती है, उनमें यह समस्या और अधिक खतरनाक हो सकती है। जिसकी वजह से मरीज ठीक तरह से सो नहीं पाता है। और रात में सोते वक्त तेज-तेज खतरनाक लेने लगता है। जिसकी वजह से नींद में भी खलल पड़ती है। ऐसे में लोगों को अपना वजन कम करने के साथ एक्सरसाइज जरूर करना चाहिए। साथ ही स्मोकिंग और एल्कोहल से दूर रहना चाहिए। कोई भी समस्या होने पर डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए।