लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में दूसरे राज्यों से ही नहीं दूसरे देशों से भी मरीज इलाज कराने आते हैं लेकिन यहां डॉक्टर जो दवा लिखते हैं, उनमें से सभी दवाएं दवा काउंटर पर नहीं मिलती हैं। मजबूरी में मरीज बाहर से महंगी दवा खरीदते हैं। वहीं जांच के लिए भी यहां घंटों लाइन लगानी पड़ती है। आलम यह है कि कई बार सर्जिकल सामान भी बाहर से लाना पड़ता है। हालांकि केजीएमयू के अधिकारियों के अनुसार सस्ती दवाएं और अन्य सामान उपलब्ध कराया जा रहा है। भीड़ अधिक होने के चलते जांच में समय लगा रहा है।

सस्ती दवा के कई काउंटर

केजीएमयू में 4 हजार से अधिक बेड हैं और रोज करीब 5 हजार मरीज यहां दिखाने के लिए आते हैं। अधिकतर मरीज, गेस्ट्रो, आर्थो, स्किन, नेफ्रो, मेडिसिन, आंकोलॉजी, पीडियाट्रिक, आब्स एंड गाएनी, कार्डियोलॉजी आदि विभागों में आते हैं। मरीजों को 70 प्रतिशत तक सस्ती दवाएं उपलब्ध कराने के लिए हॉस्पिटल रिवाल्विंग फंड के तहत 11 काउंटर यहां खोले गए हैं। अमृत फार्मेसी और जन औषधि केंद्र भी संचालित किया जा रहा है। इसके बाद भी डॉक्टरों द्वारा पर्चे पर लिखी गईं कई दवाएं यहां नहीं मिलती हैं। मजबूरी में मरीज और तीमारदार बाहर बने मेडिकल स्टोर में जाकर दवाएं खरीदते हैं।

दवाओं की भारी कमी

संस्थान में हार्ट, नेफ्रो, गेस्ट्रो, यूरोलॉजी आदि संबंधित सभी दवाएं नहीं मिल रही हंै। जिसके चलते संस्थान के बाहर खुले निजी दवा काउंटरों पर मरीज पीला पर्चा लिए दवा ढूंढते हुए नजर आते हैं।

जांच के लिए बहाते रहें पसीना

केजीएमयू में जांच कराना भी किसी युद्ध से कम नहीं है। रोज करीब डेढ़ हजार से अधिक मरीज जांच के लिए लंबी लाइन में खड़े रहते हैं। वहीं रिपोर्ट लेने के लिए भी लंबी लाइन लगानी पड़ती है। यहां सीटी स्कैन, एमआरआई और अल्ट्रासाउंड आदि जांचों के लिए हफ्तों की वेटिंग चल रही है। सबसे बुरा हाल लारी कार्डियोलॉजी और ट्रामा सेंटर का है। जहां जांच के लिए मरीजों को सबसे ज्यादा समस्या सामने आती है।

मां को किडनी की समस्या है। डॉक्टर ने जो दवा लिखी हैं, उनमें से सभी दवाएं यहां नहीं मिली हैं। बताया कि कुछ दवा बाहर से मिलेगी। अब बाहर से खरीदनी पड़ेगी।

-संजय त्रिवेदी

पिता को पेट में सूजन और बुखार की समस्या है। डॉक्टर ने जांच लिखी है। घंटों लाइन में लगने के बाद सैंपल दे सका हूं। यहां जांच को लेकर काफी दिक्कतें आ रही हैं।

-अविनाश पाल

बोले जिम्मेदार

मरीजों को सस्ती दरों पर सभी दवा उपलब्ध कराई जा रही है। मरीजों का लोड अधिक होने से सैंपल में थोड़ा टाइम लगता है। लेकिन, किसी मरीज को लौटाया नहीं जाता है।

-डॉ। सुधीर सिंह, प्रवक्ता, केजीएमयू