लखनऊ (ब्यूरो)। सरकारी अस्पतालों में वैसे ही स्पेशलिस्ट डॉक्टरों की कमी चल रही है। अब इस समस्या में और इजाफा होने वाला है। दरअसल, सिविल अस्पताल में चल रहे डिप्लोमेट ऑफ नेशनल बोर्ड (डीएनबी) कोर्स पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। दरअसल, यहां कोर्स करा रहे डॉक्टरों का या तो ट्रांसफर हो गया है या चंद महीनों में कई रिटायर होने वाले हैं। साथ ही, संसाधनों की कमी के चलते भी कोर्स बंद हो सकता है। ऐसे में विशेषज्ञ तैयार करने की कवायद को तगड़ा झटका लग सकता है।

बिना डॉक्टर कैसे चलेगा कोर्स

सिविल अस्पताल में सर्जरी, आर्थोपेडिक और पल्मोनरी विभाग में डीएनबी कोर्स संचालित किए जा रहे हैं। सभी विभागों को डीएनबी के तहत 2-2 सीटों की मान्यता मिली हुई है, लेकिन यहां पर चिकित्सकों की कमी के चलते ये सभी सीटें खत्म होने की कगार पर पहुंच गई हैं। दरअसल, इसमें दाखिला लेने वाले स्टूडेंट्स को प्रशिक्षण देने वाला चिकित्सक ही संस्थान में नहीं बचा है। कई डॉक्टरों का ट्रांसफर हो गया है। ऐसे में नए चिकित्सकों के प्रशिक्षण का कार्य बाधित हो जायेगा, क्योंकि थिसिस इन्हीं डॉक्टरों के अंदर करना होता है। ऐसे में डॉक्टरों के चले जाने से इसपर भी समस्या खड़ी हो गई है।

ऐसे बढ़ गईं दिक्कतें

पल्मोनरी के डॉ। आशुतोष दुबे सीएमओ बनने की वजह से पहले ही बाहर जा चुके है। वहीं, आर्थो के डॉ। नेगी का भी तबादला कन्नौज कर दिया गया है। ऐसे में उनसे थिसिस पर साइन या राय लेने के लिए स्टूडेंट्स को वहां जाना पड़ रहा है, जिससे उनकी भी समस्या बढ़ गई है। वहीं, कोई सर्जन नहीं होने की वजह से यहां की सीट भी खतरे में पड़ी हुई है। नियमानुसार तीन साल के अंदर थिसिस गाइड बदलने नहीं चाहिए। ऐसे में नए सत्र में बिना डॉक्टरों के आवेदन कैसे किया जायेगा। ऐसी अवस्था में यह कोर्स बंद होने के कगार पर है।

यह है डीएनबी कोर्स

डीएनबी कोर्स तीन साल का एक पोस्ट ग्रेजुएट कोर्स होता है। यह कोर्स डॉक्टर ऑफ मेडिसिन के समकक्ष होता है। यह राजधानी के सिविल अस्पताल समेत कई अन्य सरकारी और निजी अस्पतालों में भी चल रहा है। इसको शुरू करने की अनुमति नेशनल बोर्ड ऑफ एग्जामिनेशन द्वारा मिलती है।

चिकित्सकों की कमी की वजह ये डीएनबी संचालन मुश्किल हो सकता है। इस बाबत शासन-प्रशासन को अवगत करा दिया गया है। उम्मीद है कि जल्द ही कोई हल निकल आयेगा।

-डॉ। आनंद ओझा, निदेशक, सिविल अस्पताल