- सादे पर्चे पर साइन करते पकड़े गए डॉक्टर

- डॉ। राजेंद्र, एक रेजीडेंट व नर्स को नोटिस जारी

LUCKNOW: किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी में कैंसर मरीजों की दवाएं डॉक्टर, नर्स और अन्य कर्मचारी मिलकर गायब कर रहे थे। इन मरीजों को दवाएं पहले दी जा चुकी हैं उनके परिजनों को फोन कर दवाएं मिलने के बारे में पूछा गया तो पता चला कि उन्हें दवाएं मिली ही नहीं।

गार्ड ने पकड़ा था दवाओं से भरा बैग

कैंसर मरीजों की दवाएं चोरी करने के गंभीर मामले में केजीएमयू प्रशासन ने रेडियोथेरेपी विभाग के एक फैकल्टी मेंबर व एक रेजीडेंट को नोटिस जारी किया। वहीं, आरोपी नर्स को जांच पूरी होने तक सस्पेंड कर दिया गया। उधर वार्ड से एक वार्डब्वाय घटना के दिन से ही गायब है। जानकारी के मुताबिक, ट्यूज्डे नाइट करीब 12 बजे एक व्यक्ति को गार्ड ने दवाओं से भरे बैग सहित पकड़ लिया था। लेकिन पूछताछ के दौरान वह भाग खड़ा हुआ। रात में ही मौके पर वीसी प्रो। रविकांत, मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ। विजय कुमार पहुंच गए और मामले की जांच की। बुधवार सुबह जब विभाग में दवाओं के बैच नंबर से जांच की गई तो पता चला कि दवाएं रेडियोथेरेपी विभाग में भेजी गई थी। विभाग के मेल वार्ड में जो दवाएं गई वह वहां नहीं मिली।

मरीजों को नहीं मिली दवाएं

अधिकारियों ने जांच की तो पता चला कि मरीजों को दवाएं दी ही नहीं जा रही थी। अधिकारियों ने जिन मरीजों के नाम से दवाएं जारी की गई जब फोन करके उनके बारे में जानकारी ली गई तो मरीजों के परिजनों ने कहा कि उन्हें दवाएं मिली ही नहीं। इस पर नर्स, रेजीडेंट और एक सीनियर डॉ। राजेंद्र कुमार शक के घेरे में आ गए। इसके बाद केजीएमयू प्रशासन ने नर्स सुशली सिद्दीकी को सस्पेंड कर दिया। यही नहीं रेजीडेंट डॉक्टर व एक डॉ। राजेंद्र कुमार को नोटिस जारी कर दी है। अधिकारियों को वार्ड से डॉ। राजेंद्र कुमार के साइन किए हुए सादे पर्चे भी मिले हैं। अधिकारियों को शक है इन पर्चो में मनमानी दवाएं भरकर बेच दी जा रही थी।

वार्ड ब्वाय गायब

घटना के बाद से ही वार्ड में काम करने वाला एक संविदा पर तैनात वार्ड ब्वाय अशोक मिश्रा भी गायब है। गुरूवार को विब्ग्योर कंपनी को इस मामले में नोटिस जारी किया गया है। ताकि वह उसका पता लगाकर उसे सामने पेश करे।

बदल गया दवा देने का रूल

मामले मे केजीएमयू प्रशासन ने कहा है कि अब पेशेंट के नाम से ही दवाएं जारी की जाएंगी। साथ ही पर्चे के साथ मरीज का आईडेंटिटी प्रूफ आधार, वोटर कार्ड या अन्य प्रूफ का नंबर भी दर्ज करना होगा। इसका ब्यौरा फैकल्टी मेंबर को अपने पास भी रखना होगा। ताकि महीने में वह यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट दे सकें। फिलहाल, मामले की जांच के लिए मेडिकल सुप्रिंटेंडेंट डॉ। विजय कुमार, डॉ। उर्मिला सिंह, डॉ। एसएन कुरील, डॉ। सुरेंद्र कुमार की जांच कमेटी गठित कर दी गई है।

फैकल्टी मेंबर सहित तीन को नोटिस जारी की गई। वह अपनी पोजीशन क्लियर करें। यह सीरियस मामला है और जांच में जो भी दोषी पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई होगी।

-प्रो। रविकांत, वीसी, केजीएमयू।