लखनऊ (ब्यूरो)। माहे रमजान के रोजे पूरे होने वाले है। अब ईद आने को है। ऐसे में जकात और फितरा ईद की नमाज से पहले निकालकर जरूर दें ताकि आपके साथ गरीब और जरूरतमंद भी खुशी के साथ ईद मना सकें।

सुन्नी सवाल-जवाब

सवाल : ईद उल फितर की नमाज पढऩा फर्ज है क्या।

जवाब: ईद उल फितर की नमाज शरायत पाए जाने पर वाजिब है।

सवाल : ईद उल फितर की नमाज छोटी मस्जिद में पढ़ी जा सकती है क्या।

जवाब : पढ़ी जा सकती है।

सवाल : फितरे की रकम ईद की नमाज पढऩे के बाद भी दिया जा सकता है क्या।

जवाब : नमाज पढऩे से पहले देना बेहतर है बाद में भी दिया जा सकता है।

सवाल : जकात की रकम पूरी देना मुमकिन नहीं है तो क्या अगले साल दे सकते हैं।

जवाब : रमजान मे देने का ज्यादा सवाब है। किसी मजबूरी दर्जे बाद में भी दी जा सकती है।

सवाल : पिछले 2 सालों से ईद की नमाज नहीं पढ़ी है तो क्या उसका भी कुछ फीदया दिया जाएगा।

जवाब : नहीं, किसी तरह का कोई भी फिदया नहीं अदा किया जाएगा।

शिया सवाल-जवाब

सवाल : अगर किसी महिला का निकाह हो गया है और अभी विदाई नहीं हुई है तो ऐसी सूरत मे उस महिला का फितरा कौन भुगतान करेगा।

जवाब : अगर अभी सिर्फ निकाह हुआ है और विदाई नहीं हुई है और लड़की अभी पिता की जिम्मेदारी में रहती है तो उसका फितरा पिता के जिम्मे होगा पति पर अनिवार्य नहीं है।

सवाल : फितरा निकालने से इंसान को क्या लाभ होता है।

जवाब : फितरा रमजान के रोजे को कुबूल करवाता है। और अगले वर्ष तक इंसान की हिफाजत का जरिया बनता है।

सवाल : अगर घर की जिम्मेदारी पत्नी उठाती है तो क्या पति और बच्चो का फितरा निकालना पत्नी पर अनिवार्य है।

जवाब : अगर घर की जिम्मेदारी पत्नी उठाती है तो पति और बच्चो का फितरा निकालना पत्नी पर अनिवार्य है।

सवाल : अगर किसी व्यक्ति के बच्चे बाहर तालीम हासिल कर रहे हों तो पिता पर फितरा निकालना जरूरी है या बच्चे खुद फितरा देगें।

जवाब : ऐसी सूरत मे अखतेयार होगा चाहे बच्चे अपना खुद फितरा निकालें या उन के पिता निकालें।

सवाल : फितरे में दो तीन तरह की चीजें दी जा सकती हैं। उदाहरण के तौर पर एक फितरा चावल का दे दिया जाए एक फितरे के बदले गेहूं और एक फितरे के बदले पैसे दे दिए जाएं तो क्या ऐसा मुमकिन है।

जवाब : फितरे की शक्ल में एक एक फितरा देना है। चाहे कुछ भी दिया जाए जैसे पिता ने फितरे में अपनी तरफ से पैसे दे दिए और पुत्र ने फितरे में अपनी तरफ से तीन किलो गेहूं दे दिया। और माता ने फितरे में अपनी तरफ से खजूर दे दी तो ऐसा मुमकिन है कोई हर्ज नहीं है।