लखनऊ (ब्यूरो)। फायर सर्विस एक्ट के लागू होने से राजधानी नहीं बल्कि पूरे प्रदेश में 50 हजार युवाओं को रोजगार का अवसर मिलेगा। फायर सर्विस एक्ट के अनुसार, 15 मीटर से ज्यादा ऊंची बिल्डिंग में फायर सेफ्टी ऑफिसर (एफएसओ) की नियुक्ति का नियम लागू किया गया है। प्रदेश भर मेें 2023 में फायर सेफ्टी ऑफिसर की चयन प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। इसके चयन के लिए अभ्यर्थी के पास फायर सेफ्टी में डिग्री या डिप्लोमा होना जरूरी होगा।

6 सदस्यी टीम तैयार कर रही रिपोर्ट

प्रदेश सरकार ने 13 दिसंबर को यूपी में फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 लागू किया है। इसकी नियमावली को तैयार करने के लिए गृह विभाग ने 6 सदस्यीय टीम का समिति बनाई है। इस समिति के सदस्य व लखनऊ के चीफ फायर ऑफिसर मंगेश कुमार के अनुसार उनकी टीम नई नियमावली पर काम कर रही है। इसमें फायर सेफ्टी के नियमों को उल्लंघन करने वालों से कितना शमन शुल्क वसूला जाएगा और फायर सेफ्टी के लिए नए मानक क्या होंगे इन सभी विषयों पर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।

15 मीटर से ऊंची बिल्डिंग में एफएसओ

उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 व फायर सर्विस मॉडल एक्ट में यह आवश्यक किया गया है कि हर 15 मीटर से जितनी भी ऊंची इमारत हो या फैक्टरी, बड़े हॉस्पिटल और होटल वहां फायर सेफ्टी ऑफिसर तैनात करना होगा। ऐसे में नई नियमावली में फायर सेफ्टी ऑफिसर की अहर्ता क्या होगी, उनकी ट्रेनिंग कैसी होनी चाहिए, इन सभी का उल्लेख किया जाएगा।

यंगस्टर्स को घर में जॉब का मौका

फायर एक्ट के तहत इस नियम से न केवल यंगस्टर्स को अपने शहर में जॉब का मौका मिलेगा बल्कि बड़े पैमाने पर रोजगार भी पैदा होगा। इस नियमावली के तहत उत्तर प्रदेश में लगभग 50 हजार ऐसे प्रतिष्ठान हैं, जहां शुरुआती दौर में फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति करना आवश्यक होगा। नियमावली बनने के बाद सभी बिल्डिंग मालिकों को जिले के चीफ फायर ऑफिसर द्वारा नोटिस दी जाएगी। अनुमान है कि 2023 में करीब 50 हजार फायर सेफ्टी ऑफिसर की नौकरी मिलेगी। हालांकि, जो प्रतिष्ठान बड़े होंगे वे एक से अधिक फायर सेफ्टी ऑफिसर, सुपरवाइज व हेल्पर की भी नियुक्ति कर सकता है। ऐसे में नौकरियों की संख्या भी बढ़ सकती है।

नियम फॉलो न करे पर होगी कार्रवाई

उत्तर प्रदेश फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज अधिनियम 2022 के अनुसार, जिम्मेदार बिल्डिंग मालिकों को किसी भी हाल में नियमावली जारी होने के 30 दिन के अंदर फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति करना आवश्यक है। जांच के दौरान फायर सेफ्टी ऑफिसर की नियुक्ति नहीं मिलती है, तो अधिकारी प्रतिष्ठान पर 10 रुपये प्रति वर्ग मीटर से लेकर 50 रुपये प्रति वर्ग मीटर तक का जुर्माना कर सकता है। किसी स्थिति में यदि फायर सेफ्टी अधिकारी नौकरी छोड़ता है तो एक हफ्ते के अंदर ही दूसरे अधिकारी की नियुक्ति करना आवश्यक होगा।

प्रदेश में नहीं है फायर सेफ्टी का कोर्स

फायर सर्विस के इस नए अधिनियम के चलते यूपी में रोजगार के दरवाजे तो जरूर खुलेंगे, लेकिन इस नौकरी के लिए जरूरी डिग्री या डिप्लोमा पाने के लिए उत्तर प्रदेश में कॉलेज नहीं है। जबकि हरियाणा, दिल्ली, मुंबई व तमिलनाडु में फायर एंड इमरजेंसी सर्विस के कालेजों की भरमार है। प्रदेश में ऐसे कोर्स की शुरुआत के लिए फायर डिपार्टमेंट यह पहल करने जा रहा है कि प्राइवेट संस्थान व कॉलेजों से बात कर उनके यहां ऐसे कोर्स शुरू किए जा सकें, ताकि प्रदेश के युवाओं को इसका फायदा मिले।

इन कॉलेज से कर सकते हैं कोर्स

यंगस्टर्स अगर फायर सेफ्टी ऑफिसर पद पर नौकरी करना चाहते हैं, तो फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज के डिप्लोमा कोर्स के लिए ऑनलाइन ट्रेनिंग ले सकते हैं। 6 महीने के डिप्लोमा कोर्स के लिए 15 हजार रुपये तक फीस होती है। इसके अलावा इंदौर का आईपीएस अकेडमी, नेशनल फायर सर्विस कॉलेज नागपुर, पावई इंजीनियरिंग कॉलेज तमिलनाडु, आरटीएमएनयू नागपुर, स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग सीयूएसएटी कोच्चि व बख्तियारपुर कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग समेत दर्जनों कॉलेज हैं, जो फायर सेफ्टी एवं इंजीनियरिंग से संबंधित डिप्लोमा व डिग्री कोर्स कराते हैं।