Lucknow: फैजाबाद रोड पर विराज कांस्ट्रक्शंस लिमिटेड में किसानों और पुराने कब्जेदारों की जमीन पर अवैध तरीके से हथियाए जाने की जांच के आदेश हो गए हैं। मुख्यमंत्री के विशेष सचिव जुहेर बिन सगीर ने डीएम को निर्देश दिए हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जांच की जाए। शिकायत कर्ताओं ने सीएम से बीबीडी ग्रीन सिटी इंटीग्रेटेड टाउनशिप के विकास में की जा रही धांधली की शिकायत की है। उन्होंने आरोप लगाया कि निरस्त होने के बाद भी नियमों को ताक पर रख कर लाइसेंस पुनर्जीवित किया गया और सिटी का विस्तार आपत्तियों को दरकिनार कर के 250 की जगह 317 एकड़ तक किया जा रहा है
एक प्रतिशत का खेल
शिकायर्ताओं ने बताया कि, वर्ष-2006  में मेसर्स विराज कांस्ट्रक्शंस का इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लिए दिया गया लाइसेंस, प्राधिकरण ने कंपनी का अनुभव कम होने की वजह से निरस्त कर दिया था$  वर्ष 2010 में लाइसेंस पुनर्जीवित कर दिया गया$ पुनर्जीवन का आधार थी एक कंपनी जो कि, अब विराज की साझीदार हो गई थी$ मेसर्स एसके गर्ग कांस्ट्रक्शंस नाम की इस कंपनी का अनुभव पर्याप्त था मगर मजे की बात तो यह है कि, इसका विराज में शेयर मात्र एक प्रतिशत का है$ इसी एक प्रतिशत के आधार पर शासन ने विराज को मान्यता दे दी
हजारों लोग रह रहे हैं यहां
जो लाइसेंस मिला था, वह केवल 250 एकड़ के लिए ही था$ जिसको कंपनी ने 317 एकड़ तक बढ़वा दिया$ जिसके लिए गांव सेमरा, शाहपुर और सरायशेख की करीब 64.642 हेक्टेयर भूमि कंपनी के नाम करने की अधिसूचना विभाग की ओर से 29 सितंबर-2011 को जारी कर दी गई$  इसी नई भूमि में हजारों लोग पिछले करीब 10 साल से रह रहे हैं$ इन लोगों ने आवास विकास से पंजीकृत सहकारी समिति, रोशन सहकारी आवासीय समिति से भूमि खरीदी थी और ग्राम पंचायत से उनके नक्शे  भी पास हैं
चुपचाप हो गया सब
सेमरा, शाहपुर और सरायशेख के ग्रामीणों ने भूमि अध्याप्ति विभाग के कलेक्टर ओपी द्विवेदी को अधिसूचना के खिलाफ आपत्तियां भेजी थीं$  इन आपत्तियों की सुनवाई की तारीख 16 मार्च रखी गई थी$ मगर इस बात की जानकारी न तो समाचार पत्रों में प्रकाशित करवाई गई और न ही पंजीकृत डाक से आपत्तिकर्ताओं को भेजी गई$ जबकि नोटिस साधारण डाक और चपरासियों के जरिये भिजवाना कागजों में दिखा दिया गया$ एक शिकायकर्ता अजीत सिंह ने बताया कि, उन्होंने किस तरह से अपने नाम का नोटिस हासिल कर लिया मगर अधिकांश लोगों तक ये पहुंच भी नहीं पाएंगे$
कैसे-कैसे हुआ खेल

  • विराज कन्सट्रक्शन प्रा। लि। का लाइसेंस 26 अक्टूबर 2005 को जारी किया गया
  • इस कंपनी के पास 5 साल का अनुभव नहीं था क्योकि इस कम्पनी का जन्म ही दिनॉंक 26 अक्टूबर 2005 को हुआ था
  • टर्म और कण्डीशन्स के अनुसार विराज कन्सट्रक्शन प्रा। लि। को सोल प्रोपाइटर ऑफ कन्सोर्टियम ऑफ कम्पनीज की अर्हता पूर्ण नही करती थी और न ही विराज कन्सट्रक्शन प्रा। लि। के पास पिछले तीन साल से वांछित टर्न ओवर ही 20 करोड़ का था क्योंकि विराज कन्सट्रक्शन प्रा। लि। का पंजीकरण 26.10.2005 को हुआ था जो कि सिर्फ 3 महीने पुरानी थी। फिर  भी विराज कन्सट्रक्शन प्रा। लि.   द्वारा विकास अधिकरण को प्रभावित करके दिनंाक 17.08.2006 को लाइसेन्स प्राप्त कर लिया गया
  • लगभग 2 साल के वाद विराज कान्सट्रक्श्सन द्वारा अपने पत्र दिनॉंक 13 फरवरी 2010 के द्वारा प्रमुख सचिव, आवास को अपने लाइसेंस को पुर्नजीवित करने का पत्र प्रेषित किया तथा प्रतिलिपि प्राधिकरण को प्रेषित किया.
  • प्रार्थना पत्र के साथ में केवल 1 प्रतिशत का शेयर का पार्टनर शिप का अनुबन्ध मेसर्स एस.के.गर्ग के साथ  25-12-2009 को करके लाइसेंस प्राप्त करने का  प्रयास किया गया                                                                                                                                                 रातों की नींद उड़ गई
    फैजाबाद रोड स्थित पूर्वांचल इन्क्लेव में रहने वाले अजय यादव की नींद हराम है। उन्होंने 2000 फीट का प्लॉट खरीदा था। इसके लिए 13 लाख का लोन लिया था लेकिन अब उनकी जमीन खतरे में हैं। विराज कंस्ट्रक्शन कंपनी इस जमीन को अधिग्रहीत करने की कोशिश में हैं। दो साल पहले जब अजीत सिंह ने पूर्वांचल इन्क्लेव में प्लॉट खरीदा था तो वह बेहद खुश थे लेकिन अब उनके सपने डूबते नजर आ रहे हैं। उनकी जमीन पर विराज कंस्ट्रक्शन की नजर है। पीएफ से उन्होंने लोन लिया था.

शिकायती पत्र में दीपिका ंिसह का आरोप है कि उन्होंने 2400 वर्ग फीट का प्लाट खरीदा था। लेकिन कुछ दिनों पहले जब एक नोटिस जारी की गई तो उनके होश उड़ गए। इसके मुताबिक इस जमीन का अधिग्रहण विराज कंस्ट्रक्शन द्वारा किया जाना था। दीपिका ने बताया कि 14 जनवरी 2003 द्वारा निर्धारित प्रकिया के अनुसार 50 एकड़ से ज्यादा कृषि भूमि के अकृषि प्रयोजन के लिए भूमि अर्जन से पहले शासन स्तर पर गठित भूमि उपयोग परिषद की सहमति की जरूरत होती है, जो नहीं ली गई है। इतना ही नहीं मे.विराज कंस्ट्रक्शन द्वारा पहले 250 एकड़ और फिर 317 एकड़ भूमि अर्जन का प्रस्ताव इंटीग्रेटेड टाउनशिप के लिए किए जाने की योजना है।

शिकायर्ताओं ने मुलायम सिंह यादव के अलावा, मुख्य सचिव डीएम अनुराग यादव, बीकेटी के सपा विधायक गोमती यादव को भी इस बात की शिकायत भेजी है$ शिकायकर्ताओं में अजीत सिंह, विनोद वर्मा, सीएम सिद्दीकी, डॉ। अलका वर्मा, मो। खालिद, अंजनीवीर गुप्ता, प्रेमबहादुर सिंह, विनोद सिंह, डीपी वर्मा, उर्मिला पांडेय, अजय कुमार यादव और अनिल शामिल हैं

विराज कांस्ट्रक्शन से मेरा कोई लेना-देना नहीं है। मैं सिर्फ छोटा सा शेयर होल्डर हूं। वहां जो भी काम हो रहा है सब नियमों के मुताबिक है। इसके खिलाफ जांच की मुझे कोई जानकारी नहीं है, लेकिन अगर कोई जांच हो रही है तो हम उसमें पूरा सहयोग करेंगे। मेरे खिलाफ लगाए गये सारे आरोप झूठे हैं।
डॉ। अखिलेश दास
सांसद