- इससे पहले भी बाघ और तेंदुए आ चुके हैं राजधानी

- ठंड कम होते ही राजधानी आ जाते हैं तेंदुए

LUCKNOW: ठंड कम होते ही राजधानी के रिहायशी इलाकों में तेंदुए पहुंच रहे हैं। वर्ष 2018 में दो माह में तीन तेंदुए यहां के विभिन्न रिहायशी इलाकों तक पहुंच गए थे। इनमें से एक तेंदुए ने एक व्यक्ति को घायल भी किया था। वहीं एक तेंदुए की पुलिस की गोली से मौत हो गई थी।

स्कूल में आ घुसा तेंदुआ

12 जनवरी 2018 को ठाकुरगंज स्थित एक मूक-बधिर स्कूल में तेंदुआ आ गया। तेंदुआ वहां फंक्शन के लिए बने मंच के नीचे के कमरे में घुस गया था। काफी मशक्कत के बाद चिडि़याघर की टीम ने सुबह 11 बजे से अभियान चलाकर उसे शाम 7 बजे पकड़ा था। टीम इसे अपने साथ चिडि़याघर ले गई।

पुलिस की गोली से मरा तेंदुआ

2018 फरवरी में ही राजधानी के औरंगाबाद क्षेत्र के खालसा गांव में तेंदुआ आ गया था। इसे पकड़ने के लिए चिडि़याघर की टीम ने जाल बांधा तो तेंदुआ जाल से निकलकर गांव के अंदर चला गया। लोगों के साथ पुलिस ने उसका पीछा किया। एक घर में घुसे इस तेंदुए को पुलिस ने गोली मार दी, जिससे उसकी मौत हो गई।

चोटिल मिला तेंदुआ

इसके बाद 19 मार्च 2018 में ही गोसाईगंज के पास तक तेंदुआ आ गया। वह यहां एक पुल के नीचे लगे पाइप के अंदर बैठा था। जू की टीम इसे रेस्क्यू कर अपने साथ ले गई। शिकारियों के जाल में फंसने से इसके दाहिने पंजे में जख्म भी था।

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जंगल में छोटे जानवरों की कमी

वन विभाग के अधिकारियों के अनुसार जंगली जानवरों के शहर तक आने के दो बड़े कारण हैं। पहला कारण यह है कि जंगल में छोटे जानवरों की कमी हो रही है। तेंदुए इन्हीं का शिकार करते हैं। खाने की तलाश में ये रास्ता भटककर रिहायशी इलाकों तक पहुंच जाते हैं। दूसरा कारण यह है कि तेंदुए का सबसे आसान शिकार कुत्ते होते हैं, ऐसे में ये रिहायशी इलाकों में आने के बाद वापस जाना भी नहीं चाहते हैं।

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रिहायशी इलाकों में तेंदुए के अधिक आने के कारण तलाशे जा रहे हैं। यह भी देखा जा रहा है कि यह जानवर किस ओर से राजधानी पहुंच रहे हैं।

रवि कुमार सिंह, डीएफएओ अवध

वन विभाग

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सुबह फिर होगी कॉम्बिंग

ककरहापुरवां में तेंदुए की तलाश में वन विभाग की टीम ने शनिवार सुबह कॉम्बिंग की, लेकिन अभी तेंदुए की झलक भी नहीं मिली है। वन विभाग के अधिकारियों ने अब यह भी कहना शुरू कर दिया है कि तेंदुआ या कोई जानवर नहीं है। हालांकि यहां पर सर्तकता के लिए तीन टीमों की तैनाती की गई है। डीएफओ अवध रवि कुमार सिंह के अनुसार संडे सुबह भी अभियान चलेगा।

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कब-कब आए जंगली जानवर

- अप्रैल 2012 में रहमानखेड़ा के पास बाघ आ गया। वन विभाग की टीम 108 दिन बाद बाघ को रेस्क्यू कर सकी।

- वर्ष 2012 में मॉल के उतरेहटा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया।

- वर्ष 2009 में फैजाबाद से होते हुए बाघिन बाराबंकी तक पहुंच गई। इस आदमखोर बाघिन को आदेश के बाद मार दिया गया।

- वर्ष 2009 में मॉल के कमलापुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया।

- वर्ष 1993 में कुकरैल पिकनिक स्पॉट में देखे गए बाघ को मारना पड़ा।

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तेंदुआ अकबर की मौत

चिडि़याघर में मेल तेंदुआ अकबर की मौत हो गई है। इसे इलाहाबाद के कैंट क्षेत्र से रेस्क्यू कर लाया गया था। जू निदेशक आरके सिंह के अनुसार तेंदुआ काफी वृद्ध था। इसे मादा तेंदुआ के साथ यहां रखा गया था। 2009 में इसने शावक को जन्म दिया था, जिसका नाम अशोका रखा गया।