लखनऊ (ब्यूरो)। मड़ियांव थाना पुलिस ने एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है, जो इंस्टाग्राम, टेलीग्राम समेत अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के माध्यम से फेक करेंसी को यूपी, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बिहार, झारखंड से लेकर वेस्ट बंगाल तक सप्लाई करते थे। पुलिस ने गिरोह के मास्टरमाइंड समेत पांच आरोपियों को गिरफ्तार किया है। इनके कब्जे से 3.20 लाख रुपये की फेक करेंसी और करेंसी को बनाने का सामान भी बरामद किया गया। वहीं, पुलिस अब अन्य सदस्यों को गिरफ्तार करने में जुट गई है।

सप्लायर से सरगना तक पहुंची पुलिस

डीसीपी उत्तरी एसएम कासिम आब्दी ने बताया कि सोमवार को मडियांव थाना पुलिस और क्राइम ब्रांच की टीम ने मुखबिर की सूचना पर घैला पुल के पास होंडा अमेज गाड़ी से तीन आरोपी विकास दुबे, विकास सिंह और विकास भारद्वाज को गिरफ्तार किया। पूछताछ में सामने आया कि वे फेक करेंसी की सप्लाई करते हैं। सख्ती से पूछताछ के बाद इनकी निशानदेही पर विभूतिखंड स्थित पार्क व्यूइन होटल से दो और साथी रवि और उत्कर्ष को गिरफ्तार किया गया। इस होटल में पुलिस को फेक करेंसी बनाने के प्रिंटर, कागज आरबीआई की मुहर से लेकर अन्य कई उपकरण मिले, जिसे जब्त कर पुलिस सभी को थाने ले गई।

यूट्यूब से पढ़ा फेक करेंसी का पाठ

पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपी उत्कर्ष इस गिरोह का मास्टरमाइंड है। वह अपने साथी रवि उर्फ अविनाश के साथ मिलकर फेक करेंसी का गोरखधंधा करता था। पिछले काफी महीनों से गैंग एक्टिव है, जो सभी मिलकर फेक करेंसी तैयार करते हैं। पुलिस पूछताछ में इन आरोपियों ने बताया कि उन्होंने यूट्यूब से फेक करेंसी बनाने के बारे में सीखा, इसके बाद शाहिद कपूर वेब मूवी 'फर्जीÓ से भी सीख ली। इसके बाद नकली नोटों को हुबहू असली बनाकर फेक करेंसी का कारोबार करने लगे।

ऐसे करते थे फेक करेंसी का धंधा

पुलिस की जांच में सामने आया कि आरोपी उत्कर्ष और उसका साथी रवि टेलीग्राम, इंस्टाग्राम समेत अन्य सोशल अकाउंट से नकली नोट खपाने के लिए ग्राहक खोजते थे। लोग जल्दी पैसा कमाने के चक्कर में इनकी बातों में फंस जाते थे। इसके बाद वह उन्हें 20 हजार के असली नोटों के बदले एक लाख रुपये के नकली नोट देते थे। जांच में सामने आया कि अबतक वे लाखों रुपये की फेक करेंसी को मार्केट में सप्लाई कर चुके हैं।

नोटो की पहचान करना मुश्किल

मड़ियांव थाना प्रभारी व क्राइम ब्रांच इंस्पेक्टर शिवानंद मिश्रा ने बताया कि आरोपी फेक करेंसी को इतनी बारीकियों से बनाते थे कि कोई भी इन नोटों को देखकर असली और नकली नोटों की पहचान न कर पाए। हैरानी की बात है कि आरोपी ज्यादा पढ़े लिखे भी नहीं है। उन्होंने ऑनलाइन वीडियो देखकर नोट बनाने का तरीका सीखा है।

आरोपियों का बैकग्राउंड

-प्रतापगढ़ अंतू मौरहा निवासी विकास दुबे (36) प्रॉपर्टी डीलर है।

-इटौंजा नरायणपुर निवासी विकास सिंह (19) पढ़ाई कर रहा है।

-नई दिल्ली अलीपुर निवासी विकास भारद्वाज (42) टावर लगाता है।

-गोंडा कौड़िया बाजार निवासी रवि प्रकाश पांडेय उर्फ अविनाश (19) होटल वर्कर है।

-बाराबंकी कोठी निवासी उत्कर्ष द्विवेदी (18) गाड़ी चलाता है।

आरोपियों से ये हुआ बरामद

पकड़े गए आरोपियों से पुलिस ने 500 रुपये के 640 नोट, 200 रुपये के 3 नोट, 100 रुपये के 2 नोट, 1 लैपटॉप, 1 माउस, 1 प्रिंटर, 1 लेमिनेशन मशीन, 1 सीपीयू, 2 चाकू, 1 स्केल, 200 रुपये के अर्धनिर्मित 23 नोट, 100 रुपये के अर्धनिर्मित 8 नोट, 500 रुपये के अर्धनिर्मित 41 नोट, 2 महात्मा गांधी जी की फोटो वाली मुहर, 1 शीशी सफेद केमिकल, 12 खाली व भरी डिब्बी, आरबीआई लिखा हुआ 19 हरे रंग की पन्नी, 50 खाली पेज, 1 बोरी कागज के कतरन, 4400 असली करेंसी और 1 होंडा अमेज कार बरामद की है।

फेक करेंसी के धंधे में लिप्त पांच आरोपियों को दबोचा गया है। ये आरोपी यूपी से बाहर भी नोटों की सप्लाई करते थे। इन्होंने यूट्यूब और फर्जी मूवी से नकली नोट बनाने का तरीका सीखा है। पकड़े गए आरोपियों से पूछताछ की जा रही है, जल्द ही इस गैंग में शामिल और भी आरोपियों की गिरफ्तार की जाएगी।

एसएम कासिम आब्दी, डीसीपी नॉर्थ