लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में आग लगने की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। बीते कुछ दिनों में कई शॉपिंग कॉम्प्लेक्स, घर और दुकानों में ऐसे हादसे हो चुके हैं। इन जगहों पर तो फायर सेफ्टी मानकों की धज्जियां उड़ाई ही जा रही हैं, पर इस लापरवाही में हॉस्पिटल भी पीछे नहीं हैं। आंकड़े बताते हैं कि शहर में संचालित हो रहे 727 हॉस्पिटल में से कुल 559 ऐसे हैं, जहां फायर सेफ्टी के मानकों की जमकर धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। यहां आग लगने के बाद मरीज और तीमारदारों की जान आफत मे पड़ सकती है।

सरकारी समेत प्राइवेट हॉस्पिटल शामिल

फायर ब्रिगेड के आंकड़ों के मुताबिक, शहर के अलग-अलग एरियाज में कुल 727 हॉस्पिटल संचालित हो रहे हैं। सभी को फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है, लेकिन शहर के 78 प्रतिशत से भी ज्यादा हॉस्पिटल इन मानकों पर खरे नहीं उतर रहे हैं। इनमें कई सरकारी समेत प्राइवेट हॉस्पिटल भी शामिल हैं।

सिर्फ 168 के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट

बताते चलें कि अब तक राजधानी के महज 373 हॉस्पिटल्स ने ही फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट लेने के लिए आवेदन किया है, जिसमें से महज 168 को ही सर्टिफिकेट दिया गया है, जबकि 205 का आवेदन खारिज कर दिया गया है। वहीं, 559 ऐसे हैं जो बिना फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट के ही संचालित हो रहे हैं। ऐसे में सवाल उठ रहा है किआखिर बाकी हॉस्पिटल्स पर कार्यवाही क्यों नहीं की जा रही? क्यों हादसों का इंतजार किया जा रहा है? आखिर किस कारण अधिकारी कार्यवाही नहीं कर रहे?

सीएमओ को भेजा जाएगा लेटर

फायर डिपार्टमेंट के अधिकारियों के मुताबिक, हॉस्पिटल को लाइसेंस चीफ मेडिकल ऑफिसर देते हैं, ऐसे में उन्हें देखना होगा कि जिन हॉस्पिटल के पास फायर सेफ्टी सर्टिफिकेट न हो उन्हें लाइसेंस दिया ही न जाए। इसको लेकर पिछले दिनों सीएमओ को लेटर भेजा गया था, लेकिन जवाब नहीं आया है। ऐसे में फायर डिपार्टमेंट एक बार फिर सीएमओ को लेटर भेजने की तैयारी कर रहा है, ताकि शहर में हॉस्पिटल का सिस्टम ठीक हो सके।

82 पर हुई कार्यवाही

बता दें कि किसी भी बिल्डिंग में फायर सेफ्टी मानक न मिलने पर फायर डिपार्टमेंट की तरफ से नोटिस भेजा जाता है। जिसमें 30 दिन का समय दिया जाता है। अगर जवाब नहीं मिला तो उसकी रिपोर्ट पुलिस कमिशनर के पास चली जाती है, जहां से आगे की कार्यवाही होती है। अधिकारियों ने बताया कि अबतक लगभग 82 के खिलाफ सीआरपीसी 133 के तहत कार्यवाही हुई है। इनमें से कई केसों का निस्तारण भी हो चुका है।

पिछले दिनों कई हॉस्पिटल्स का मुआयना किया गया। यहां पर खामियां मिलने पर अस्पताल संचालक को नोटिस देकर 30 दिनों में जवाब मांगा जाता है, अगर किसी का जवाब नहीं आता है तो आगे की कार्यवाही के लिए पुलिस कमिश्नर को रिपोर्ट भेज दी जाती है।

-मंगेश कुमार, चीफ फायर ऑफिसर