- आईजी अमिताभ ठाकुर, डीआईजी राकेश शंकर व एसपी राजेश कृष्णा जबरन रिटायर

रुष्टयहृह्रङ्ख : दागी व काम न करने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की दिशा में सरकार ने कड़ा कदम उठाया है। यूपी कैडर के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर, राकेश शंकर व राजेश कृष्णा को उनका सेवाकाल पूरा होने से पूर्व ही अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी गई है। 1992 बैच के आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर वर्तमान में आईजी सिविल डिफेंस के पद पर तैनात थे। 2002 बैच के आईपीएस अधिकारी राकेश शंकर पीपीएस संवर्ग से पदोन्नत हुए थे और वर्तमान में डीजीपी मुख्यालय में डीआईजी स्थापना के पद पर तैनात थे। 2005 बैच के आईपीएस अधिकारी राजेश कृष्णा वर्तमान में बाराबंकी स्थित 10वीं बटालियन पीएसी में सेनानायक थे और वह भी पीपीएस संवर्ग से पदोन्नति पाकर आईपीएस अधिकारी बने थे।

गृह मंत्रालय का निर्णय

गृह मंत्रालय ने तीनों आइपीएस अधिकारियों को लोकहित में सेवाकाल पूरा होने से पहले अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने का निर्णय किया है। अपर मुख्य सचिव गृह अवनीश कुमार अवस्थी ने तीनों अधिकारियों के विरुद्ध किए गए निर्णय का आदेश जारी कर दिया है। यह पहला मौका है जब सूबे में एक साथ तीन आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध ऐसी कार्रवाई की गई है। संगीन आरोपों से घिरे आईपीएस अधिकारियों को सेवा से बाहर का रास्ता दिखाकर योगी सरकार की जीरो टालरेंस की नीति के तहत कार्रवाई का सीधा संदेश भी दिया है।

सभी पर हैं आरोप

पीएसी भर्ती में धांधली के गंभीर मामले में राजेश कृष्ण जेल भी जा चुके थे। आईपीएस अधिकारी अमिताभ ठाकुर बीते दिनों पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव के विरुद्ध फोन पर धमकी देने का मुकदमा दर्ज कराने के बाद खासी चर्चा में आए थे। राकेश शंकर के विरुद्ध देवरिया के शेल्टर होम मामले में संदिग्ध भूमिका पर विभागीय कार्यवाही चल रही थी। अमिताभ का कार्यकाल वर्ष 2028 तक था। वहीं राकेश शंकर कार्यकाल वर्ष 2023 व राजेश कृष्ण का वर्ष 2024 तक था।

अमिताभ ठाकुर ने दी जानकारी

अमिताभ ठाकुर ने मंगलवार सुबह ट्वीट कर खुद ही उन्हें अनिवार्य सेवानिवृत्ति दिए जाने की जानकारी दी। उन्होंने अपर मुख्य सचिव गृह की ओर से जारी आदेश की प्रति भी सार्वजनिक की, जिसके बाद इस कार्रवाई को लेकर चर्चाएं तेज हो गईं। अमिताभ ठाकुर पूर्व में भी सरकार के फैसलों की आलोचना करते रहे हैं।

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थे गंभीर आरोप

- अमिताभ ठाकुर के विरुद्ध करीब आधा दर्जन जांच चल रही थीं और इसेके चलते ही उनकी पदोन्नति भी रुकी थी। अमिताभ ने सेवा में रहते हुए सीएम आवास के सामने धरना भी दिया था।

- राजेश कृष्ण पर आजमगढ़ में एएसपी के पद पर तैनात रहने के दौरान पीएसी भर्ती में धांधली करने का गंभीर आरोप था। सपा शासनकाल में वर्ष 2006 में राजेश कृष्ण व अन्य आरोपित पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर जेल भी भेजा गया था। तत्कालीन डीजीपी बुआ सिंह ने तब भर्ती रद कर दी थी।

- डीआईजी राकेश शंकर की भूमिका देवरिया शेल्टर होम प्रकरण में संदिग्ध थी। वर्ष 2018 में वह एसपी देवरिया के पद पर तैनात थे और उसी दौरान शेल्टर होम का प्रकरण हुआ था। तीनों आईपीएस अधिकारियों के विरुद्ध कई जांचें प्रचलित थीं।

यह बोले आरोपित अफसर

'मैं क्या कहूंगा। अधिकारी सब जानते हैं। 2018 में ही मुझे पदोन्नति दी गई थी। निर्णय पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता.'

-राकेश शंकर

'मुझे अभी अभी लोकहित में सेवानिवृत्ति का आदेश प्राप्त हुआ। सरकार को अब मेरी सेवाएं नहीं चाहिए। जय ¨हद '।

अमिताभ ठाकुर, ट्विटर पर