- किसी संक्रमित के संपर्क में आने के 4-5 दिन बाद ही कराएं जांच
- जल्द जांच कराने से कई बार पकड़ में नहीं आता है संक्रमण
LUCKNOW:
कई बार लोग कोरोना की जांच कराते हैं और उनकी रिपोर्ट निगेटिव आती है, लेकिन जब वे कुछ दिनों बाद दोबारा जांच कराते हैं तो रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। इसे देख लोग कन्फ्यूज हो जाती हैं, कि ऐसा क्यों हुआ। इस बारे में डॉक्टर्स का कहना है कि अगर आप किसी संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आते हैं और तुरंत जांच कराने में रिपोर्ट निगेटिव आती है, वहीं कुछ दिन बाद लक्षण दिखने लगते हैं और फिर जांच में रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। इसे मेडिकल लैंग्वेज में incubation पीरियड कहा जाता है।
लक्षण दिखे तभी कराएं जांच
एसीएमओ डॉ। केपी त्रिपाठी ने बताया कि किसी संक्रमित के संपर्क में आने पर वायरस तो आपमें आ जाता है लेकिन इनका लोड बढ़ने में भी समय लगता है। इसलिए अगर आप किसी संक्रमित के संपर्क में आएं तो कोविड जांच चार-पांच दिन बाद ही कराएं और इस दौरान खुद को आइसोलेट रखें। वहीं कोविड जांच भी तभी कराएं जब आपमें कोई लक्षण बुखार, खांसी, सांस लेने में दिक्कत हो।
दूसरे को भी कर सकते हैं संक्रमित
डॉ। त्रिपाठी ने बताया कि कई बार जल्द जांच कराने से रिपोर्ट निगेटिव आती है और बाद में इसके लक्षण दिखने लगते हैं और फिर रिपोर्ट पॉजिटिव आ जाती है। इस दौरान ऐसा व्यक्ति कई अन्य लोगों को भी संक्रमण का शिकार बना सकता है, क्योंकि वह खुद को निगेटिव मानकर घूमना-फिरना शुरू कर देता है। अगर कोविड जांच रिपोर्ट निगेटिव आए तो भी कुछ दिन खुद को संक्रमित मानें और पूरी सावधानी रखें। वहीं कई बार बिना लक्षण के भी रिपोर्ट पॉजिटिव आती है। ऐसे मरीजों को एसिम्ओरमेटिक मरीज कहा जाता है।
ऐसे बचें संक्रमण से
- हमेशा मास्क लगाकर रखें
- सभी से दो गज की दूरी बनाकर रखें
- किसी को छूने से बचें
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर न जाएं
- दिन में कई बार हाथ-पैर धोएं
- जूते-चप्पल घर के बाहर ही उतारें
किसी संक्रमित के संपर्क में आने के तुरंत बाद अपनी कोविड जांच न कराएं। जांच चार से पांच दिन बाद ही कराएं, वह भी तभी जब आपमें कोई लक्षण दिखे या डॉक्टर इसकी सलाह दें।
डॉ। केपी त्रिपाठी, एसीएमओ
टेस्ट को भी समझें
1- आरटीपीसीआर- इसमें नाक और गले से स्वैब लिया जाता है।
2- ट्रूनेट टेस्ट- नाक या गले से स्वैब लेकर जांच की जाती है।
3- एंटिजन किट- नाक से स्वैब लेकर जांच की जाती है।
4- एंटीबॉडी किट- इसमें खून का सैंपल लेकर जांच की जाती है1
नोट- वायरस लोड जितना ज्यादा होता है, मरीज में संक्रमण की गंभीरता उतनी ही अधिक होती है।