लखनऊ (ब्यूरो)। हादसा इतना दर्दनाक था कि छत के मलबे के नीचे करीब तीन घंटे दबे रहने से दम घुटने से पांच लोगों की मौत हो गइ। पड़ोसियों ने मलबा हटाकर सभी के शवों को बाहर निकाला। मृतकों की पहचान सतीश चन्द्र उर्फ बब्लू (40) सलोनी (35) हर्षिता (13) हर्षित (13) और कृष्णा (5) के रूप के हुई है।

घर में रहते थे पति पत्नी और तीन बच्चे

पड़ोसियों ने बताया कि सतीश चन्द्र की मां राम दुलारी रेलवे में नौकरी करती थीं। उनको मकान अलॉट हुआ था। बीते साल उनकी ड्यूटी पर किसी कारण वश मौत हो गई थी। इसके बाद सतीश की रेलवे में नौकरी लगने की बात चल रही है। सतीश अपनी पत्नी सलोनी और तीन बच्चों हर्षित, कृष्णा और हर्षिता के साथ मकान में रह रहा था। सतीश अस्थायी तौर पर लोको मे सफाईकर्मी का काम करते थे। उनकी ड्यूटी सुबह आठ बजे से थी। रोजाना उनके घर का दरवाजा सुबह साढ़े छह बजे तक खुल जाता था, लेकिन शनिवार सुबह ऐसा नहीं हुआ।

दोस्त के घर जाने पर चला हादसे का पता

रोजाना की तरह जब सतीश अपने घर से कुछ दूरी पर रहने वाले रंजीत के साथ ड्यूटी पर जाने के लिए नहीं पहुंचा तो रंजीत उसके घर आ गया। उसने देखा कि दरवाजा अभी तक अंदर से बंद है। कई बार दरवाजा खटखटाया और आवाज लगाई, लेकिन काफी देर तक अंदर से किसी की आवाज नहीं आई। जिससे घबराए रंजीत ने जब घर पिछले हिस्से में बने खिड़की से झांककर अंदर देखा तो उसकी रूह कांप गई। अंदर कमरे में पूरी छत ढही थी। सतीश और सलोनी का हाथ मलबे के बाहर निकला था। शोर-शराबा के बाद पड़ोसी इकट्ठा हुए पड़ोस के घर से छलांग लगाकर अंदर गए और दरवाजा खोला गया।

पड़ोसियों ने हटाया मलबा

पड़ोसियों ने जल्दी-जल्दी मलबे को हटाने का काम शुरू किया। छोटा बेटा कृष्णा सोफे पर लेटा हुआ था और बाकी सभी सदस्य जमीन पर थे। पूरी तरह से मलबा हटाने में करीब 35 से 40 मिनट का समय लगा। जैसे-जैसे मलबा हट रहा था पड़ोसियों के आंखों से आंसू भी छलक रहे थे। जिसके बाद एक-एक कर सभी की डेडबॉडी बाहर निकाली गई। सिर्फ सतीश के हाथों पर खरोंच के निशान थे। माना जा रहा है सभी की घंटो में मलबे में दबे रहने की वजह से दम घुट गया, जिससे सभी की मौत हो गई।

4 घंटे मलबे में दबा रहा परिवार

वहीं सूचना पर मौके पर जेसीपी लॉ एंड आर्डर उपेंद्र अग्रवाल, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ, आरपीएफ, आलमबाग पुलिस समेत अन्य आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। छत पूरे कमरे के हिस्से में ढही हुई थी। सैकड़ों साल पुराने बने इस मकान की मोटी लिंटर और लोहे के गाटर लगे होने के वजह से छत का भार आम छत से कहीं ज्यादा था। जांच में सामने आया कि हादसा शनिवार तड़के 3.30 बजे से 4 बजे के आसपास का है। यानी छत ढहने के करीब चार घंटे तक पूरा परिवार मलबे में ही दबा रहा।

पड़ोसियों को नहीं लगी भनक

पड़ोस में रहने बब्लू, पार्वती, रूबी, मंजू, अबरार, रवि कुमार, पंकज समेत अन्य से छत ढहने के बारे में पूछा गया तो किसी को इसके बारे में पता ही नहीं चला। इन सभी का कहना था कि रात कब छत ढह गई, बिल्कुल इसके बारे में किसी को नहीं पता चला। अगर मालूम होता तो सभी को बचाया जा सकता था। आलमबाग थाना प्रभारी शंकर महादेवन ने बताया कि हादसे में पांच लोगों के मौत की पुष्टि है।

रेलवे अधिकारियों के लापरवाही से हुआ हादसा?

पुरानी रेलवे कालोनी काफी जर्जर हो चुकी है। ऐसे में रेलवे की तरफ से सिर्फ नोटिस देकर चुप्पी साध ली गई। सवाल उठता है कि जब कालोनी पूरी तरह से कंडम हो चुकी थी तो क्यों नहीं लोगों को वहां हटवाया गया? क्यों रेलवे के अधिकारी इतने दिनों तक शांत बैठे रहे। इसे लेकर स्थानीय लोगों ने भी रेलवे अधिकारियों का इस घटना का जिम्मेदार ठहराया है।

सीएम योगी ने जताया दुख

सीएम योगी आदित्यनाथ ने हादसे पर दुख जताया है। वहीं,मृतकों के परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। वहीं, हादसे पर डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भी गहरा दुख जताते हुए त्वरित राहत कार्य के निर्देश दिए हैं। डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने घटना का संज्ञान लेते हुए तुरंत ही स्थानीय अधिकारियों से वार्ता कर राहत एवं बचाव कार्य में तेजी लाने के निर्देश दिए हैं।

रेलवे कालोनी में स्थित आवासों को कंडम घोषित किया जा चुका है। आवास को छोडऩे के लिए सभी को नोटिस दिया जा चुका है। जिस मकान में हादसा हुआ, उसे भी छोडऩे के लिए कहा गया था। जांच में सामने आया कि मृतकों में कोई भी रेलवे का कर्मचारी नहीं था।

रेखा शर्मा, सीनियर डीसीएम, नार्दन रेलवे

पुरानी रेलवे की घटना बेहद दुखद है। हादसे में पांच लोगों की मृत्यु हुई है। मामले में हर एक पहलुओं पर जांच चल रही है। जांच पूरी होने के बाद बनती कार्रवाई की जाएगी।

उपेंद्र अग्रवाल, जेसीपी, लॉ एंड आर्डर