-पारंपरिक लोक कला को लेकर सूबे के कई जिलों से आए कलाकार

LUCKNOW: राष्ट्रपति के लोकभवन में आयोजित समारोह में आने से पहले जगह-जगह कलाकारों ने लोककला की सतरंगी छटा बिखेरी। गांधी प्रतिमा से लोकभवन गेट तक कलाकारों ने लोकनृत्य प्रस्तुत किए।

ढेढिया लोकनृत्य

लखनऊ की निधि श्रीवास्तव के निर्देशन में 15 कलाकारों ने लोक भवन के सामने ढेढिया लोकनृत्य पेश किया। सिर पर मटकी को संतुलित कर नृत्य करते कलाकारों की प्रतिभा देखते ही बन रही थी।

राम नदिया अगम बहि जाए

गांधी प्रतिमा के पास अयोध्या के कलाकारों ने राम नदिया अगम बहि जाए, जेहिमा केउ-केउ नहाएगीत पर फरवाही लोकनृत्य पेशकर सभी का दिल जीत लिया। वहीं रखियो मोरी लाज, मइहर शारदा भवानीराई सेहरा गीत पर कलाकारों ने लोकनृत्य पेश किया।

सबका मन मोहा

लोकभवन के गेट के पास मथुरा से आए राजेश प्रसाद शर्मा व साथियों ने मयूर नृत्य के माध्यम से राष्ट्रपति रामनाथ को¨वद का स्वागत किया और फिर विदाई दी। आजमगढ़ से आए उमेश कनौजिया ने लिल्ली घोड़ी के साथ 15 साथी कलाकारों संग इस लुप्त होती विधा का प्रदर्शन कर सबका मन मोह लिया।

छात्राओं ने किया शंखनाद

एक ओर लोकभवन में राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के स्वागत में कलाकार विधानसभा मार्ग पर अपनी कला का प्रदर्शन कर रहे थे तो दूसरी ओर लोकभवन में शंखनाद व स्वास्ति वाचन के बीच राष्ट्रपति, भारत रत्‍‌न बाबा साहेब डा.भीमराव आंबेडकर सांस्कृतिक केंद्र की आधारशिला रख रहे थे। वाराणसी के पाणिनि कन्या महाविद्यालय की 10 छात्राओं के दल ने स्वास्ति वाचन व शंखनाद किया। महाविद्यालय की प्राचार्य नंदिता शास्त्री के संयोजन में आए छात्राओं के दल ने इसके लिए पहले सी तैयारी पूरी कर ली थी।

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लोक कलाकारों को मिला प्रोत्साहन

कोरोना संक्रमण काल में मंच का इंतजार कर रहे लोक कलाकारों को राष्ट्रपति के स्वागत के बहाने संस्कृति विभाग ने संजीवनी देने का सफल प्रयास किया। ढेढिया लोकनृत्य के साथ आई निधि श्रीवास्तव ने बताया कि एक सच्चे कलाकार को ऐसे मौके की तलाश रहती है। इस कार्यक्रम से उनका काफी उत्साहवर्धन हुआ है।