- लॉकडाउन के दौरान उन्होंने 5 हजार से अधिक जरूरतमंदों तक पहुंचाई राहत

- 22 मई से शुरू किया था दूध वितरण का काम, जो अनलॉक तक रहा जारी

LUCKNOW: लॉकडाउन के दौरान जब हर किसी को सिर्फ और सिर्फ अपनी और अपने परिवार की चिंता थी, वहीं काशी के बिजनेसमैन जिम्मी वाधवानी ने अपने कदम घर से बाहर निकाले और खुद की तकलीफें दरकिनार करते हुए जरूरतमंदों की जिंदगी में खुशियां बिखेरीं। पहले तो उन्होंने गरीबों में सूखा राशन और पैक्ड फूड वितरित किया, लेकिन जब उन्होंने देखा कि उनके जैसे और लोग भी खाना वितरण का कार्य कर रहे हैं तो उन्होंने अपनी सेवा का रूप बदला और जरूरतमंदों तक दूध पहुंचाने का प्रण लिया और इस दिशा में तत्काल प्रयास भी शुरू कर दिए। हालांकि दूध वितरण कार्यक्रम शुरू करने से पहले उन्होंने जिला प्रशासन से परमीशन भी ली।

22 मई से शुरू िकया अभियान

जिम्मी की ओर से 22 मई से अपने अभियान की शुरुआत की गई। हर दिन उन्होंने करीब 300 जरूरतमंदों तक दूध पहुंचाया। समाज सेवा का यह दौर लंबे समय तक चला। भले ही लॉकडाउन समाप्त हो गया हो, लेकिन उनकी ओर से अभी जरूरतमंदों की अलग-अलग रूप में मदद की जाती है।

लोग कहते हैैं सोनू सूद

फिल्म अभिनेता सोनू सूद की ओर से भी लॉकडाउन के दौरान जरूरतमंदों की खासी मदद की गई थी। उनकी तर्ज पर ही जिम्मी ने भी अपने कदम आगे बढ़ाए। इसका नतीजा यह रहा कि काशी में अब उन्हें लोग सोनू सूद के नाम से पुकारते हैं।

पत्नी ने दिया साथ

लॉकडाउन के दौरान पत्नी दीक्षा वाधवानी ने भी पति जिम्मी का हर कदम पर साथ दिया। उन्होंने अपने हसबैंड को हमेशा दूसरों की सेवा करने के लिए प्रेरित किया। लॉकडाउन में जिस तरह से दंपति ने दूसरों की मदद की, वे समाज के लिए एक नजीर बन चुके हैं।

चुनौतियों से नहीं घबराए

लॉकडाउन के दौरान समाज सेवा की राह में जिम्मी के सामने खासी चुनौतियां भी आईं, लेकिन उनके कदम एक पल के लिए भी नहीं डगमगाए। उन्होंने पूरी ईमानदारी और आत्मविश्वास के साथ अपनी मंजिल को हासिल करने का प्रयास किया और अंतत: उन्हें सफलता भी मिली।

कोई आर्थिक मदद नहीं

दूध वितरण कार्यक्रम के दौरान उन्होंने किसी से भी आर्थिक सहायता नहीं ली। ऐसा नहीं था कि उन्हें ऑफर नहीं मिले लेकिन उनके मन में सच्ची समाज सेवा की भावना हिलोरे ले रही थी, जिसकी वजह से उन्होंने अपनी जमा पूंजी लगाकर जरूरतमंदों तक मदद पहुंचाई। हालांकि अपनी जमा पूंजी लगाए जाने की वजह से उनके सामने चुनौतियां जरूर आईं, लेकिन उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। वित्तीय समस्याओं से जूझते हुए भी उन्होंने समाज सेवा रूपी अभियान जारी रखा।

इलाज भी कराया

दूध वितरण कार्यक्रम के साथ-साथ उन्होंने गरीबों का इलाज भी कराया। उनकी ओर से जरूरतमंदों को दवा इत्यादि भी दी गई। हालांकि उनका मुख्य फोकस दूध वितरण कार्यक्रम पर रहा। इसके साथ ही उन्होंने मलिन बस्तियों की ओर भी रुख किया। मलिन बस्तियों में भी जाकर उन्होंने दूध वितरण कराया। उनका मानना था कि बस्ती में बेहद गरीब लोग रहते हैं, ऐसे में सबसे अधिक जरूरतमंद तो वही लोग हैं। उन्होंने रेलवे स्टेशंस पर भी फोकस किया और प्लेटफॉर्म से लेकर ट्रेनों के अंदर जरूरतमंदों तक दूध की बोतल पहुंचाई।

लोगों को जागरुक भी किया

एक तरफ तो उन्होंने समाज सेवा की, वहीं दूसरी तरफ लोगों को कोविड से बचाने के लिए वृहद स्तर पर जागरुकता अभियान भी चलाया। उन्होंने व उनकी टीम ने अलग-अलग एरिया में जाकर लोगों को कोविड से बचाव के टिप्स भी दिए। उन्होंने बताया कि कौन से कदम उठाकर कोविड से बचा जा सकता है। इतना ही नहीं, उन्होंने लोगों से यहां तक कहाकि अगर उन्हें मास्क या सेनेटाइजर की जरूरत हो तो वे संपर्क कर सकते हैं। खास बात यह रही कि जिम्मी ने अपनी टीम के सदस्यों की सेहत का भी ख्याल रखा। उन्हें हर पल अपनी टीम के सदस्यों की सेहत की चिंता सताती रही।

रात में भी बाहर निकले

ऐसा नहीं है कि जिम्मी सिर्फ दिन के उजाले में समाज सेवा करने के लिए घर से बाहर निकले हों, बल्कि वो रात में भी घर से बाहर निकले और अलग-अलग एरिया में भ्रमण कर जरूरतमंदों की मदद की। उन्होंने प्रवासी श्रमिकों को भी भोजन दिया। इसके साथ ही उन्हें कपड़े व फल इत्यादि भी दिए।

हमेशा करनी चाहिए मदद

जिम्मी का मानना है कि अगर आप सक्षम हैं तो दूसरों की मदद के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए। कभी भी यह नहीं सोचना चाहिए कि मैं क्यों मदद करूं। अगर ईश्वर ने आपको इस लायक बनाया है कि आप दूसरों की मदद करें तो फिर एक पल के लिए भी नहीं सोचना चाहिए और मदद के लिए कदम आगे बढ़ाने चाहिए। उन्होंने बताया कि लॉकडाउन में उन्हें समाज सेवा करने के एवज में खासा सुकून मिला। जरूरतमंदों से जो आशीर्वाद मिला, वो निश्चित रूप से उनके भविष्य को एक नई दिशा देगा।