- सीएम ने मामले की जांच सीबीआई से कराने को कहा, फिलहाल जांच डीजी ईओडब्ल्यू के हवाले

- बिजलीकर्मियों के पीएफ का 2267.90 करोड़ रुपये प्राइवेट कंपनी डीएचएफएल में नियम विरुद्ध तरीके से जमा करने का है आरोप

- ऊर्जा मंत्री ने कर्मियों को पूरे भुगतान का दिया आश्वासन, अब ईपीएफओ को सौंपा जाएगा भविष्य निधि का प्रबंधन

LUCKNOW

बिजली इंजीनियरों व कर्मचारियों के भविष्य निधि की रकम असुरक्षित ढंग से प्राइवेट कंपनी में लगाए जाने के घोटाले में पुलिस ने यूपी पावर कारपोरेशन के तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और जीएम व सचिव ट्रस्ट प्रवीण कुमार गुप्ता को अरेस्ट कर लिया है। घोटाले में बिजलीकर्मियों के करीब 2267.90 करोड़ रुपये फंस गए हैं। जीपीएफ व सीपीएफ की रकम फंसने से नाराज बिजलीकर्मियों को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने भविष्य निधि के भुगतान में विलंब या व्यवधान न आने देने का आश्वासन दिया है। वहीं, सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने की बात कही है। सीबीआई जांच शुरू होने तक डीजी ईओडब्ल्यू इसकी जांच करेंगे।

फंस गई रकम

14 जनवरी 2000 को उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद को तीन भागों यूपी पावर कॉरपोरेशन, यूपी राज्य विद्युत उत्पादन निगम और यूपी राज्य विद्युत वितरण निगम में बांट दिया था। बिजली विभाग कार्यरत इंजीनियरों व कर्मचारियों का जीपीएफ, ग्रेच्युटी और पेंशनरी अनुदान के रखरखाव के लिये यूपी स्टेट पावर सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट का गठन कर इसके जिम्मे कर दिया गया। जिन पर इंजीनियरों व कर्मचारियों के जीपीएफ और ग्रेच्युटी की रकम को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी थी, उन्होंने इस निधि को एक निजी कंपनी दीवान हाउसिंग फाइनेंस कारपोरेशन लिमिटेड (डीएचएफसीएल) में असुरक्षित ढंग से लगा दिया। बताया गया कि मार्च 2017 से दिसंबर 2018 तक यूपी स्टेट सेक्टर पावर इंप्लाइज ट्रस्ट और यूपीपीसीएल सीपीएफ (कंट्रीब्यूटरी प्रॉविडेंट फंड) ट्रस्ट की निधि के कुल 2631.20 करोड़ रुपये डीएचएफसीएल में फिक्स्ड डिपॉजिट करा दिए गए। मुंबई हाईकोर्ट द्वारा डीएचएफसीएल के असुरक्षित ऋणदाताओं को भुगतान पर रोक लगाने के बाद कर्मचारियों के भविष्य निधि का 2267.90 करोड़ रुपये (मूलधन) की रकम फंस गई है।

सीएम के निर्देश पर कार्रवाई

सीएम योगी आदित्यनाथ ने गृह विभाग और डीजीपी को दोषियों के खिलाफ तुरंत कड़ी कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं। सीएम के निर्देश पर हरकत में आए कारपोरेशन प्रबंधन ने शनिवार रात में ही राजधानी लखनऊ के हजरतगंज थाने में तत्कालीन निदेशक वित्त सुधांशु द्विवेदी और ट्रस्ट के सचिव रहे जीएम प्रवीण कुमार गुप्ता के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करा दी। कारपोरेशन के मौजूदा सचिव ट्रस्ट आईएम कौशल की ओर से रिपोर्ट लिखाते ही सुधांशु को क्राइम ब्रांच टीम ने लखनऊ से और प्रवीण को आगरा से अरेस्ट भी कर लिया गया। दोनों पर धोखाधड़ी और गबन की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज कराई गई है।

ऊर्जा मंत्री ने दिया आश्वासन

पीएफ के पैसे फंसने की भनक लगने पर कर्मचारी संगठनों ने कॉरपोरेशन प्रबंधन के खिलाफ मोर्चा भी खोल दिया है। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने पावर कारपोरेशन की ओर से कार्मिकों को भुगतान के लिए आश्वस्त किया है, वहीं भविष्य निधि की राशि के बेहतर प्रबंधन व सुरक्षा के लिए ट्रस्ट की जगह अब इंप्लाइज प्रॉविडेंट फंड ऑर्गेनाइजेशन को जिम्मा सौंपने का निर्णय किया गया है। प्रमुख सचिव ऊर्जा आलोक कुमार ने बताया कि निजी कंपनी के पास बची रकम को वापस लाने के लिए सभी जरूरी वैधानिक कदम उठाए जाएंगे। कुमार ने बताया कि निवेश में अनियमितताओं पर ट्रस्ट के तत्कालीन सचिव व जीएम वित्त प्रवीण कुमार गुप्ता को 10 अक्टूबर को ही निलंबित कर दिया गया था। वह इन दिनों आगरा के दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड में जीएम (लेखा एवं सम्प्रेक्षा) के पद पर कार्यरत थे।

ऐसे खुला मामला

10 जुलाई को एक गुमनाम शिकायत आने पर कारपोरेशन अध्यक्ष ने 12 जुलाई को जांच समिति गठित की थी। 29 अगस्त को आई जांच रिपोर्ट में पता चला कि बड़े पैमाने पर अनियमितता करते हुए ट्रस्ट ने 99 फीसद से अधिक निधि का निवेश केवल तीन हाउसिंग फाइनेंस कंपनी में कर रखा था, जिसमें 65 फीसद से अधिक हिस्सा दीवान हाउसिंग फाइनेंस में था। खास बात यह कि गैर सरकारी कंपनी में निवेश करने के संबंध में तत्कालीन निदेशक वित्त व सचिव ट्रस्ट ने अध्यक्ष या प्रबंध निदेशक का अनुमोदन नहीं लिया जबकि पूर्व में तत्कालीन प्रबंध निदेशक एपी मिश्र ने पीएनबी हाउसिंग में निवेश करने का फैसला किया था। नियमों के तहत प्रतिभूति में निवेश किया जाना था लेकिन, भविष्य निधि की रकम फिक्स्ड डिपॉजिट में लगा दी गई। जांच के लिए यह मामला पावर कारपोरेशन के विजिलेंस विंग को एक अक्टूबर को सौंपा गया था।

सीबीआई से जांच कराएगी सरकार

इतने बड़े घोटाले पर ताबड़तोड़ कार्रवाई के बीच सीएम योगी आदित्यनाथ ने पूरे मामले की जांच सीबीआई से कराने के लिये सिफारिश का निर्देश दिया है। सीएम ने कहा है कि जब तक सीबीआई जांच टेकओवर नहीं करती मामले की जांच डीजी ईओडब्ल्यू करेंगे।