लखनऊ (ब्यूरो)। इंवेस्टमेंट के नाम पर कर्ज लिए गए पैसों को वापस न करना पड़े इसलिए एक व्यापारी ने अपने कारोबारी दोस्त को मौत के घाट उतारने की साजिश रच डाली। भाड़े का शूटर भी बुलाया गया लेकिन प्लान फेल होने से कारोबारी की जान बच गई। कारोबारी ने पुलिस की शरण ली और छानबीन के बाद साजिशकर्ता व उसके साथियों को पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।

तकादा करने पर दी सुपारी

पुलिस के मुताबिक, देवेश त्रिपाठी एक बड़े कारोबारी हैं। उन्होंने बिजनेस के नाम पर बाराबंकी निवासी अपने दोस्त अरविंद वर्मा को 2.20 करोड़ रुपये दिए। काफी समय तक वह मुनाफे का झांसा देने का बहाना बनाता रहा। जब देवेश ने अपना पैसा मांगने का दबाव बनाया तो कर्ज में डूबे अरविंद ने पैसा डकारने की नीयत से देवेश की हत्या का प्लान बना डाला और शूटर को भी भाड़े पर तैयार कर लिया।

हत्या कर फेंकने का था प्लान

इंस्पेक्टर चिनहट घनश्याम मणि त्रिपाठी के मुताबिक, 27 अप्रैल को अरविंद ने हत्या का पूरा प्लान बनाकर देवेश को चिनहट के मल्हौर स्थित अपने वर्मा इंटरप्राइजेज पर पैसा देने को बुलाया और बाराबंकी के हैदरगढ़ में अपना खाता होने की बात कहते हुए वहीं पैसा ट्रांसफर करने की बात कही। हैदरगढ़ पहुंचते ही गाड़ी में शूटर राजाराम वर्मा उर्फ राजा व नंदन वर्मा को भी गाड़ी में परिचित बताकर बैठा लिया और फिर नगराम के दादूरी गांव में खाता होने की बात कहते हुए वहां पैसा देने की बात कही। वहां पहुंचते ही देवेश को मारने का प्रयास करते हुए फायर किया गया, लेकिन फायर मिस हो गया। चाकू निकालकर भी उन्हें डराया धमकाया गया। इतने में देवेश मौके से भाग निकले और चिनहट थाने में एफआईआर दर्ज कराई।

अरविंद ने खोली मर्डर प्लान की मिस्ट्री

गिरफ्तार हुए अरविंद वर्मा ने बताया कि वह पैसे देने में असमर्थ या यूं कहें कि पैसे न देने की नियत से उसने देवेश से छुटकारा पाने का प्लान बनाया। उसने अपने परिचित बाराबंकी निवासी राजा, जो लोनिकटरा थाने का हिस्ट्रीशीटर है और उस पर लूट, हत्या व अन्य आपराधिक मामलों में अलग-अलग जनपदों में 14 मामले दर्ज हैं, के साथ मिलकर हत्या का प्लान बनाया। इस प्लान में बाराबंकी के नंदन वर्मा को भी शामिल किया गया।

एडवांस न देने पर टली अनहोनी

सूत्र बताते हैं कि हिस्ट्रीशीटर व शूटर राजा ने देवेश की हत्या के लिए एक लाख रुपये की मांग की थी और एडवांस में 50 हजार रुपये मांगे थे। अरविंद से पैसे एडवांस न मिलने पर उसने कार में बैठने के बाद भी हत्या की वारदात में दिलचस्पी नहीं दिखाई। इसी के चलते प्लान फेल हो गया। सूत्र बताते हैं कि अगर शूटर राजाराम को 50 हजार से कम रकम भी मिल गई होती तो वह काम पूरा कर देता। वे शव को नगराम की इंदिरा नहर में फेंकने वाले थे। इंस्पेक्टर चिनहट घनश्याम मणि त्रिपाठी के मुताबिक, पकड़े गए तीनों आरोपियों के पास से 315 बोर का तमंचा, 315 बोर का 1 मिस कारतूस, 8 एमएम का जिंदा कारतूस, 1 चाकू व लूटे हुए रुपये में से 25 हजार की नगदी बरामद हुई है।