लखनऊ (ब्यूरो)। सिविल अस्पताल में मरीजों की दिक्कतें खत्म नहीं हो रही हैं। बीते एक सप्ताह से यहां की डिजिटल एक्स-रे मशीन खराब चल रही है लेकिन अधिकारी इसे ठीक कराने में रुचि नहीं ले रहे हैं। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। उनको मजबूरी में बाहर से महंगी जांच करानी पड़ रही है।

एक सप्ताह से खराब है मशीन

सिविल अस्पताल की ओपीडी में रोज तीन हजार से अधिक मरीज दिखाने आते हैं। इधर सांस के मरीजों की संख्या भी अधिक बनी हुई है वहीं, रोजाना डॉक्टर द्वारा सौ से अधिक मरीजों को एक्स-रे जांच के लिए लिखा जाता है लेकिन बीते सप्ताह से डिजिटल एक्सरे मशीन के खराब होने से मरीजों को परेशानी हो रही है। खासतौर पर लंग्स की बीमारियों से पीडि़त मरीजों को सर्वाधिक दिक्कतें हो रही हैं। मरीजों की भीड़ के चलते वेटिंग भी लंबी हो रही है, क्योंकि मशीन खराब होने से मरीज निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराने को मजबूर हैं।

400 रुपये में हो रही जांच

वैसे तो सभी सरकारी अस्पताल में मरीजों को फ्री में एक्सरे जांच की सुविधा है। जबकि, यही जांच डायग्नोस्टिक सेंटर में 300 से 400 रुपये में होती है। बेबस मरीज निजी सेंटर में जांच कराने को मजबूर हैं। मरीज व उनके तीमारदार लगातार मशीन खराब दुरुस्त कराने की मांग कर रहे हैं। अफसरों से गुजारिश भी की गई है। इसके बावजूद अभी तक कोई भी सुनवाई नहीं हो रही है।

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लोहिया से कार्यमुक्त कर्मचारियों को नहीं मिल रही तैनाती

लोहिया अस्पताल और संस्थान के विलय के बाद यहां से कार्यमुक्त किए गए करीब 116 कर्मचारी फिलहाल खाली बैठे हुए हैं। उनको स्वास्थ्य विभाग से संबंद्ध तो कर दिया गया है, लेकिन इसके बावजूद उनको किसी अस्पताल में तैनात नहीं किया जा सका है, जिससे कर्मचारी केवल उपस्थिति दर्ज कराकर वापस चले जा रहे हैं। पर सरकारी अस्पतालों में कर्मचारियों की बड़ी कमी चल रही है। इसमें नर्स, फार्मासिस्ट, एक्सरे और लैब टेक्नीशियन शामिल हैं। पहली दिसंबर से इनका तीन साल पूरा होने के बाद संस्थान प्रशासन ने नियमानुसार इन कर्मचारियों को कार्यमुक्त कर दिया। जिसके बाद इन्होंने स्वास्थ्य विभाग में ज्वाइन भी कर लिया था। कर्मचारियों का कहना है कि सरकारी अस्पतालों में बड़ी संख्या में पद खाली पड़े हैं। वहीं अस्पतालों के विस्तार के बाद मरीजों का दबाव बढ़ा है। इसके बावजूद कर्मचारियों की संख्या नहीं बढ़ाई गई।