लखनऊ (ब्यूरो)। नगर निगम ने अमित को ब्राउनी को देने से मना कर दिया और कहा कि वह शपथ पत्र लेकर आएं कि ब्राउनी को वह किसी रिश्तेदार को ही देगा। जिस रिश्तेदार के यहां रखेगा, उसे भी साथ लाएं, उस रिश्तेदार से भी शपथ पत्र लिया जा सके। ब्राउनी को लेकर करीब एक घंटे तक बहस होती रही और अमित को बैरंग लौटना पड़ा।

मेनका गांधी ने की थी पैरवी

नगर निगम के कब्जे में ब्राउनी है और उसे गोद लेने के लिए कई लोग आ चुके हैं। मालकिन को मारने के बाद चर्चा में आई ब्राउनी की पैरवी में पूर्व केंद्रीय मंत्री व सांसद मेनका गांधी भी आ गईं थीं। उन्होंने लखनऊ नगर निगम के अधिकारियों से मोबाइल से संपर्क कर कहा था कि ब्राउनी को किसी अन्य को देने के बजाय परिवार वालों के ही सुपुर्द कर दिया जाए, जो अपने किसी रिश्तेदार के यहां रखना चाहते हैं। वैसे ब्राउनी को गोद लेने के लिए करीब 10 से अधिक लोग नगर निगम से संपर्क कर चुके हैं। बेंगलुरु की एक संस्था ने गोद लेने की इच्छा जताई थी।

मालकिन को उतारा मौत के घाट

कैसरबाग बंगाली टोला निवासी सुशीला त्रिपाठी की उनके घर में पली ब्राउनी (पिटबुल) ने मौत के घाट उतार दिया था। इसके बाद नगर निगम की टीम ने ब्राउनी को कब्जे में ले लिया था और इंदिरानगर (कुकरैल पिकनिक स्पाट के पास) में बने नगर निगम के कुत्ता नसबंदी केंद्र जरहरा में रखा था। चिकन खाने वाली ब्राउनी अब वहां के कर्मचारियों से हिल भी गई है।