- ऊर्जा मंत्री के साथ बिजली कर्मचारी संगठनों की बैठक में बनी सहमति

- दोनों संगठनों ने वार्ता के बाद आंदोलन किया स्थगित

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रुष्टयहृह्रङ्ख : बिजली विभाग में अधिकारियों व कर्मचारियों के पीएफ धनराशि को निजी कंपनी डीएचएफएल में निवेश करने का मामला सामने आने के बाद शुरू हुआ हंगामा आखिरकार शनिवार को शांत हो गया। सरकार और पावर कार्पोरेशन प्रबंधन ने आंदोलित कार्मिकों के दोनों संगठनों के साथ शनिवार को वार्ता की। संगठनों को आश्वस्त किया गया कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस लिमिटेड (डीएचएफएल) में फंसा पीएफ (भविष्य निधि) का पैसा अगर न आ पाया और पावर कार्पोरेशन भी भुगतान करने में सक्षम न रहा तो सरकार उसे ब्याज रहित ऋण के रूप में देकर बिजलीकर्मियों को पीएफ का भुगतान सुनिश्चित करेगी। संबंधित आदेश जल्द ही जारी कर दिया जाएगा। इससे संतुष्ट दोनों संगठनों ने फिलहाल आंदोलन स्थगित कर दिया है।

19 दिनों से चल रहा था आंदोलन

डीएचएफएल में भविष्य निधि का 2268 करोड़ रुपया फंसने के बाद से उत्तर प्रदेश पावर ऑफिसर्स एसोसिएशन और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति का 19 दिनों से आंदोलन चल रहा था। संघर्ष समिति ने 28 नवंबर से अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार का एलान कर रखा था, जबकि एसोसिएशन ने दो घंटे अतिरिक्त कार्य शुरू कर दिया था। यह संगठन मांग कर रहे थे कि सरकार पीएफ वापसी के लिए गारंटी दे। इस पर शनिवार को ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा और प्रमुख सचिव ऊर्जा अरविंद कुमार ने दोनों संगठनों के प्रतिनिधिमंडलों के साथ शक्ति भवन में अलग-अलग बैठक की। इसमें दोनों पक्षों के बीच सहमति बन गई। सहमति बनने के बाद संघर्ष समिति ने आंदोलन स्थगित करने की घोषणा भी कर दी। वहीं, ऑफिसर्स एसोसिएशन ने भी लिखित आश्वासन दे दिया है कि सरकार द्वारा संबंधित नोटिफिकेशन जारी करते ही आंदोलन वापस ले लिया जाएगा।

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सरकार इन बिंदुओं पर रजामंद

- शासन द्वारा अपनी गारंटी में यह प्राविधानित किया जाएगा कि डीएचएफएल से रकम वापसी के लिए विधिक प्रक्रिया अपनाई जाएगी। कार्मिकों के भुगतान में ट्रस्ट अपने आप को अक्षम पाता है तो पावर कारपोरेशन द्वारा अपने स्त्रोतों से पैसा दिया जाएगा। यदि कारपोरेशन सक्षम नहीं होगा तो राज्य सरकार द्वारा आवश्यकतानुसार धनराशि पावर कारपोरेशन को ब्याज रहित ऋण के रूप में प्रदान की जाएगी।

- पीएनबीएचएफएल और एलआईसीएचएफएल में जमा धनराशि की वापसी की कार्यवाही की गई है। यह पैसा ट्रस्ट के खाते में दो-तीन दिन में वापस आ जाएगा, जिसका नियमानुसार निवेश किया जाएगा।

- जब तक ठेकेदारों द्वारा संविदा कर्मियों के ईपीएफ का पैसा जमा नहीं किया जाता, तब तक उनके अगले बिल का भुगतान नहीं किया जाएगा।

- पीएफ घोटाले में शामिल सभी जिम्मेदारों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी, चाहे वह किसी भी स्तर के हों।

- आंदोलन में शामिल रहे किसी भी कार्मिक के विरुद्ध कोई दंडात्मक कार्रवाई नहीं की जाएगी।