लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू लारी में कार्डियोलॉजिस्ट डॉ ऋषि सेठी के मुताबिक गर्मी के मुकाबले ठंड में हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं। ठंड में रक्त वाहिकाएं सिम्मेथटिक ओरव एक्टिविटी के कारण सिकुड़ जाती हैं। जिससे शरीर की गर्मी बाहर निकले की वजह से शरीर में ही रह जाती है। ऐसे में जब दिल पर अधिक दबाव पड़ता है तो पसीना आने लगता है। जिसके चलते हार्ट अटैक पड़ता है।
25-30 साल में पड़ रहा हार्ट अटैक
डॉ ऋषि के मुताबिक चिंता की बात यह भी है कि हार्ट अटैक अब कब उम्र के लोगों में भी हो रहा है। हाल ही में 25 व 30 साल की उम्र के युवाओं में भी हार्ट अटैक का केस देखने को मिल रहे हैं। जिसका बड़ा कारण उनका खराब लाइफ स्टाइल, जेनेटिक्स, स्मोकिंग, अल्कोहल या अधिक जिम करने की वजह से भी होता है। ऐसे में युवाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए। साथ ही दिन की बीमारी है तो अपनी दवा समय पर ले, हैवी एक्सरसाइज से बचें।
15-20 रोज हो रहे भर्ती
ठंडक बढऩे का सर्वाधिक असर सांस के मरीजों में देखने को मिलता है। बलरामपुर अस्पताल के सीनियर चेस्ट स्पेशलिस्ट डॉ। एके गुप्ता के मुताबिक मौसम में ठंडक बढऩे के साथ सांस के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। इसमें सर्दी, जुखाम, खांसी या बलगम बनना, सांस की रफ्तार बढऩा, सीओपीडी या अस्थमा अटैक के चांसेज ज्यादा बढ़ जाते है। इस समय ओपीडी में सांस संबंधी करीब 150-200 मरीज रोज आ रहे है। जबकि अस्थमा अटैक या सीओपीडी समेत अन्य सांस की गंभीर बीमारी वाले करीब 15-20 मरीज राज भर्ती हो रहे हैं।
सांस के मरीज रखे विशेष ध्यान
- इन्हेलर और दवा समय पर लेते रहें
- धूल, धुआं और ठंडक से खुद को बचाएं
- सूर्योदय के बाद ही टहलने निकलें
- खांसी, बलगम और सांस फूलने पर डॉक्टर से संपर्क करें


ठंड में हार्ट अटैक के मामले बढ़ जाते हैं। कम उम्र में हार्ट अटैक चिंता का विषय है। युवाओं को हेल्दी लाइफस्टाइल अपनानी चाहिए।
डॉ ऋषि सेठी, केजीएमयू

ठंड में सांस की समस्या बढ़ जाती है। खासतौर खांसी, बलगम और सांस बढ़े तो डॉक्टर को दिखाएं। इन्हेलर और दवा समय पर लें।
डॉ एके गुप्ता, बलरामपुर अस्पताल