नंबर गेम

750 निजी अस्पताल राजधानी में

780 पैथोलॉजी एवं डायग्नोस्टिक सेंटर

50 हजार से अधिक रोज कराते हैं इलाज

फ्लैग -प्राइवेट अस्पतालों की हड़ताल का मिलाजुला असर

- प्राइवेट में ओपीडी बंद, कई जगह इमरजेंसी के नाम पर देखे गए सामान्य मरीज

LUCKNOW: केंद्र सरकार द्वारा आयुर्वेद डॉक्टरों को सर्जरी का अधिकार देने के फैसले के खिलाफ शुक्रवार को राजधानी के निजी अस्पताल व डायग्नोस्टिक सेंटर ने इमरजेंसी व कोरोना को छोड़ अन्य सेवा बंद रखीं। जिससे मरीजों को दिक्कतों का सामना करना पड़ा। 12 घंटे की इस हड़ताल के दौरान सिर्फ इमरजेंसी में मरीजों को देखा गया।

टल गई सर्जरी

कई निजी अस्पतालों में इमरजेंसी के नाम पर जनरल मरीजों को देखा गया। जनरल मरीजों का इमरजेंसी में पर्चा बनाया गया। ऐसे में हड़ताल का ज्यादा असर नहीं दिखा। आईएमए की अध्यक्ष डॉ। रमा श्रीवास्तव ने बताया कि हड़ताल के दौरान इमरजेंसी ऑपरेशन छोड़कर करीब एक हजार से 1500 ऑपरेशन टाले गए।

कहीं हुई तो कहीं नहीं हुई जांच

डायग्नोस्टिक सेंटर में भी बंदी का मिला जुला असर दिखा। चौक में कई बड़ी निजी पैथोलॉजी-डायग्नो स्टिक सेंटर खुले रहे। वहीं कुछ जगहों पर जांच कुछ समय के लिए बंद रहीं। पैथोलॉजी एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ। पीके गुप्ता के मुताबिक एसोसिएशन से जुड़े करीब 330 पैथोलॉजी सेंटर पर 15 हजार के करीब जांच नहीं हो सकीं, सिर्फ मरीजों के सैंपल लेकर जांच के लिए भेजे गए।

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आईएमए ने जताया विरोध

आईएमए लखनऊ की अध्यक्ष डॉ। रमा श्रीवास्तव ने बताया कि हम सरकार के मिक्सोथेरेपी फैसले का विरोध कर रहे हैं। इससे मरीजों की जान को खतरा हो सकता है। ऐसे में इस फैसले को सरकार को वापस लेना चाहिए। वहीं, सभी मेंबर्स द्वारा ह्यूमन चेन बनाकर इस फैसले का विरोध किया गया। इंडियन डेंटल एसोसिएशन, लखनऊ के अध्यक्ष डॉ। आशीष खरे ने भी आईएमए की मांग का समर्थन किया।

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सरकारी अस्पताल में बढ़े मरीज

आईएमए की हड़ताल के चलते कई सिविल, बलरामपुर, लोहिया अस्पताल, डफरिन आदि में करीब 10 फीसद मरीजों की संख्या बढ़ गई। सरकारी अस्पताल हड़ताल को देखते हुए पहले से तैयार थे।