लखनऊ (ब्यूरो)। सरकारी अस्पतालों में वायरल मरीजों का लोड लगातार बढ़ता जा रहा है, जिसके चलते लैब पर डेंगू, मलेरिया, टाइफाइड आदि जांच का लोड भी बढ़ गया है। जिसका असर अन्य जांचों पर भी पड़ रहा है। खासतौर पर थायराइड की जांच में समस्या आ रही है। अस्पतालों में किट की कमी और मरीजों की अधिक संख्या के कारण उन्हें आगे की डेट दी जा रही है। नतीजतन, मरीज निजी लैबों से जांच कराने को मजबूर हैं।

मरीज हो रहे परेशान

राजधानी के सभी सरकारी अस्पातालों में थायराइड की जांच कराने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ रही है। अस्पतालों की पैथोलॉजी पर मरीजों का इतना भार बढ़ गया है कि एक दिन में मरीजों की जांच नहीं हो पा रही है। यही कारण है की अस्पताल प्रशासन मरीजों को चार से पांच दिनों की लंबी तारीख दे रहा है। क्योंकि डेंगू और अन्य जांच का भार मशीन पर है, इसलिए यह समस्या हो रही है। बलरामपुर और सिविल अस्पताल में रोजाना 100 से अधिक मरीजों को थायराइड की जांच डॉक्टरों द्वारा लिखी जाती है, पर लोड बढऩे के कारण मरीजों को दिक्कतें आ रही हैं। ऐसे में उनको निजी लैब का सहारा लेना पड़ रहा है।

अन्य जांचों का लोड बढ़ा

बलरामपुर अस्पताल के निदेशक डॉ। रमेश गोयल के मुताबिक, जांच अधिक से अधिक की जा रही है। चूंकि डेंगू, टाइफाइड व मलेरिया की जांचें इतनी ज्यादा हो रही हैं कि मशीन पर दबाव बढ़ गया है। ऐसे में जिन मरीजों की जांच जरूरी है, उनकी सभी जांचें कराई जा रही हैं। वहीं, सिविल अस्पताल के सीएमएस डॉ। आरपी सिंह ने बताया कि सभी जांच हो रही हैं। जहां तक थायराइड जांच का मामला है उसकी भी जांच हो रही है। चूंकि जांच कराने वाले मरीजों की संख्या ज्यादा है, इसलिए इसकी जांच कम हो रही है। क्योंकि डेंगू, मलेरिया व टाइफाइड आदि की जांच कराने वाले मरीजों का भार ज्यादा है।