लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के केजीएमयू, सिविल, लोहिया, बलरामपुर अस्पताल समेत अन्य अस्पतालों में रोजाना हजारों की संख्या में मरीज दिखाने के लिए पहुंचते है। मरीजों की संख्या को देखते हुए यह अस्पताल अक्सर कोई न कोई नई सुविधा की घोषणा करते रहते है। लेकिन, यह घोषणाएं धरातल पर उतरती हुई नजर नहीं है। घोषणा करके वाहवाही तो लूट लेते है। फिर चाहे केजीएमयू के इंफेक्शीयस डिजीज अस्पताल हो या लोहिया का शहीद पथ स्थित प्रस्तावित 700 बेड का अस्पताल। यह घोषणाएं वर्षों से केवल कागजों पर ही दौड़ रही है। लेकिन, मरीजों को असल में इसका फायदा नहीं मिल पाता है। ऐसे में अस्पताल प्रशासन घोषणाएं करे तो उनको धरातल भी उतारे।

केजीएमयू

बनना था इंफेक्शीयस अस्पताल

केजीएमयू प्रशासन द्वारा इंफेक्शीयस डिजीज अस्पताल का प्रपोजल कई साल पहले तैयार किया था। करीब 400 करोड़ बजट वाले 200 बेड का अस्पताल बनाने की तैयारी चल रही है। जिसे 300 बेड तक किया जा सकेगा। इसमें एयर, ब्लड, फंगल, वायरस समेत हर प्रकार के संक्रामक रोगों से संबंधित मरीजों का इलाज होना है। इसमें डेंगू, स्वाइन फ्ले, कोरोना, एचआईवी व रैबिज जैसे संक्रामक रोगों का सफल इलाज एक ही छत के नीचे होगा। लेकिन, अभी तक यह अस्पताल कहां बनेगा यह ही तय नहीं हो पाया है। इसके अलावा रोबोटिक सर्जरी को भी शुरू करना था। लेकिन, मशीन अबतक नहीं पा रही है। ऐसे में मरीजों को एडवांस सर्जरी का अबतक इंतजार है।

लोहिया संस्थान

कब बनेगा लोहिया का अस्पताल

लोहिया संस्थान द्वारा 500 बेड का सुपरस्पेशलिटी हॉस्पिटल बनाया जाना प्रस्तावित किया गया। इसके लिए शासन ने राशि भी जारी कर दी थी। इसमें बर्न यूनिट, लिवर ट्रांसप्लांट, जेनेटिक्स, इंडोक्राइन, इम्यूनोलॉजी, स्ट्रोक यूनिट समेत करीब 18 नए सुपर स्पेशयलिटी विभाग शुरू किये जाने थे। इसे शहीद पथ के पास बनाने का फैसला लिया गया था। लेकिन, अब तक निर्माण कार्य शुरू नहीं हो सका है। ऐसे में यह भी महज घोषणा भर रह गई है।

सिविल अस्पताल

कैथ लैब और आईवीएफ सेंटर का इंतजार

वहीं, वीआईपी सिविल अस्पताल में 2018 से कैथ लैब बंद पड़ी है। इसे अबतक शुरू नहीं किया जा सका है। जबकि यहां रोजाना 150-200 मरीज दिखाने के लिए आते है। लेकिन, एंजियोग्राफी के लिए मरीजों को दूसरे अस्पताल रेफर कर दिया जाता है। ऐसे में मरीजों को इलाज के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता है। या फिर निजी अस्पताल जाकर महंगा इलाज करवाना पड़ रहा है।

बलरामपुर अस्पताल

एमआरआई का लंबा इंतजार

प्रदेश का सबसे बड़ा जिला अस्पताल बलरामपुर अस्पताल में तमाम दावों के बावजूद अब तक एमआरआई की सुविधा शुरू नहीं हो सकी है। जबकि यहां ढाई करोड़ की एमआरआई मशीन लगाई जानी है। डॉक्टर द्वारा रोजाना यह 30-35 मरीजों को एमआरआई जांच लिखी जाती है। लेकिन, जांच न शुरू से मरीजों को केजीएमयू, लोहिया या फिर निजी डायग्नोस्टिक सेंटर में जांच कराने के लिए जाना पड़ता है। जबकि शासन द्वारा यहां पर मशीन लगाये जाने का निर्देश दिया जा चुका है।

लोकबंधु अस्पताल

ब्लड बैंक ही नहीं

राजधानी में तीसरा सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल लोकबंधु अस्पताल में 300 से अधिक बेड है। यहां रोजाना 1500-1700 मरीज दिखाने के लिए आते हैै। साथ ही यहां पर सर्जरी और डिलीवरी भी कराई जाती है। लेकिन, इसके बावजूद अस्पताल में ब्लड बैंक नहीं है। जिससे मरीजों को बड़ी परेशानी होती है। जरूरत के समय दूसरे अस्पतालों से ब्लड की मांग की जाती है। ऐसे में मरीजों को यहां-वहां भटकना पड़ता है।

क्या बोले जिम्मेदार

एमआरआई मशीन के लिए पैसा जारी हो गया है। टेंडर होने के बाद मशीन खरीदी जायेगी। जल्द ही अस्पताल में जांच शुरू हो जायेगी।

- डॉ। जीपी गुप्ता, सीएमएस बलरामपुर

अस्पताल बनाने का प्रपोजल शासन में भेजा गया है। साथ ही पीडब्ल्यूडी को भी भेजा गया है। जिसके बाद टेंडर होगा। उम्मीद है कि जल्द ही प्रक्रिया शुरू हो जायेगी।

- डॉ। विक्रम सिंह, एमएस लोहिया संस्थान

प्रपोजल शासन में भेजा जा चुका है। अभी तक कोई जवाब नहीं आया है। एक बार दोबारा इसको दिखवाया जायेगा।

- अजय शंकर त्रिपाठी, एमएस लोकबंधु अस्पताल

कागज शासन में भेजा जा चुका है। उसको फॉलो किया जा रहा है। उम्मीद है कि इस साल में लैब शुरू हो जायेगी।

- डॉ। आरपी सिंह, सीएमएस सिविल अस्पताल

अस्पताल को लेकर अभी बात की जा रही है। जैसे ही कुछ होगा उसकी जानकारी दी जायेगी।

- डॉ। डी हिमांशु , एमएस केजीएमयू