लखनऊ (ब्यूरो)। आज का दौर स्किल्ड युवाओं का है। चाहे कोई भी फील्ड हो, यूथ अपने इनोवेशन से आम लोगों की जिंदगी को आसान करने का काम कर रहा है। शहर के भी कई ऐसे युवा हैं जो अपनी फील्ड में हर कदम कुछ बेहतर करने की ओर अग्रसर हैं। वे अपनी एनर्जी, अपने ज्ञान, अपनी क्रिएटिविटी और अपनी स्किल से अपनी-अपनी फील्ड में नए-नए उपकरण बना रहे हैं। किसी ने जेश्चर से चलने वाला रोबोट बनाया है, कोई औषधीय पौधों के गुण बढ़ाने पर काम कर रहा है, तो किसी ने इलेक्ट्रिकल व्हीकल अपग्रेड करने के लिए कोई उपकरण विकसित किया है। पेश है सैयद सना की रिपोर्ट

माइक्रोपेप्टाइड से तुलसी का बढ़ेगा औषधीय गुण

सीएसआईआर सीमैप में डीएसटी इंस्पायर फैकल्टी डॉ। आशीष शर्मा साइंस की नई टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर विज्ञान का दायरा बढ़ा रहे हैं। डॉ। आशीष शर्मा ने बताया कि मेडिसनल प्लांट्स में स्मॉल पेप्टाइड बाहर से पौधों को देकर उनके औषधीय गुणों को बढ़ाने का काम कर रहे हैं। इसके लिए ट्रांसजेनिक प्लांट बनाने की जरूरत नहीं पड़ेगी। साथ ही यह माइक्रोपेप्टाइड मेडिसनल व एग्रोनॉमिकल प्रॉपर्टी भी बढ़ाएंगे। उन्होंने यह काम टोबैको व टोमैटो के पौधों पर किया है। अब वह तुलसी के पौधे पर काम शुरू कर रहे हैं।

रोबोट करेगा दिव्यांगों व बुजुर्गों की मदद

डॉ। एपीजे अब्दुल कलाम टेक्निकल यूनिवर्सिटी के सेंटर फॉर एडवांस स्टडीज के स्टूडेंट्स ने कंट्रोलिंग मल्टीपल रोबोट यूजिंग हैंड जेश्चर बनाया है। पीएचडी स्कॉलर अभिषेक कौशल, एमटेक छात्र आनंद यादव और सूरज चौरसिया व बीटेक छात्र कृष्णा गुप्ता ने इस तकनीक पर काम किया है। तकनीक को कंप्यूटर विजन और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की मदद से तैयार की गयी है। जिससे बुजुर्ग व दिव्यांग अपने हाथों के इशारे से रोबोट को निर्देशित कर सकते हैं। रोबोट कंप्यूटर से कनेक्ट रहेगा। घर में अकेले रहने वाले दिव्यांगों और चलने फिरने में असमर्थ होने की वजह से उन्हें कोई सामान लेने में परेशानी होती हैं। ऐसे में रोबोट उनके हाथों के इशारे से कमरे में काम करेंगे। बल्ब की रोशनी कम ज्यादा करने से लेकर टीबी का वॉल्यूम बढ़ाने घटाने और पंखा या एसी कम तेज करने का काम भी हाथों की अंगुलियों से आने वाले दिनों में किया जा सकेगा।

एस्ट्रोफोटोग्राफी में कर रहे नाम रोशन

लखनऊ यूनिवर्सिटी के एस्ट्रोलॉजी व फिजिक्स डिपार्टमेंट के थर्ड ईयर के स्टूडेंट हर्षवर्धक पाठक एस्ट्रोफोटोग्राफी में शहर का नाम रोशन कर रहे हैं। उनकी खगोलीय फोटो को नासा ने 'एस्ट्रोनॉमी पिक्चर ऑफ द डे' के खिताब से नवाजा है। इससे पहले हर्षवर्धन कैरिना नेबुला की फोटो से भी काफी प्रशंसा पा चुके हैं। वह यूपी एमेच्योर एस्ट्रोनॉर्म्स क्लब की ओर से एस्ट्रोनॉमी कम्युनिकेटर का काम कर रहे हैं। वह एस्ट्रोग्राफी के लिए कई पुरस्कार भी जीत चुके हैं।

नेबुला की खोज के लिए नासा से मिला सर्टिफिकेट

शहर के विज्ञान संचारक स्वप्निल रस्तोगी और उनकी टीम एस्ट्रोनॉमी में काम करने के लिए जी जान से जुटे हैं। वह यूपीसीएसटी के इंदिरागांधी प्लेनेटेरियम के साथ यूपी एमेच्योर एस्ट्रोनॉर्म्स क्लब चला रहे हैं। साथ ही खगोलप्रेमियों के लिए अलग-अलग खगोलीय घटनाओं को दिखाने का भी काम करते हैं। उन्होंने इंटरनेशनल एस्ट्रोनॉमिकल सर्च कोलेबरेशन प्रोग्राम के तहत कई स्टेरॉयड की खोज कर चुके हैं। यह कार्यक्रम नासा की ओर से चलाया जाता है। इसके लिए इन्हें नासा से सर्टिफिकेट भी मिल चुका है। स्वप्निल प्लेनेटेेरियम के साथ कोलैबरेशन करके स्टेरॉयड हंटिंग प्रोग्रोम चलाने जा रहे हैं, जिसमें स्टेरॉयड खोजने का तरीका सिखाया जाएगा।