लखनऊ (ब्यूरो)। गोमती नगर के ग्राम-मलेशेमऊ में फर्जी तरीके से करोड़ों की जमीन का समायोजन किए जाने के बाद एलडीए की ओर से अपनी कई अन्य योजनाओं में भी लैैंड ऑडिट शुरू करा दिया गया है। इस ऑडिट की अभी तक जो रिपोर्ट सामने आई है, उससे जो संभावना जताई जा रही है उसमें बिल्कुल स्पष्ट है कि गोमतीनगर, जानकीपुरम और ट्रांसपोर्ट नगर योजना में भी फाइलों में जमकर खेल किया गया है। कई मामले फर्जी समायोजन और कुछ मामले फर्जी रजिस्ट्री के सामने आए हैैं। हालांकि, लैैंड ऑडिट की रिपोर्ट 15 दिन के बाद आएगी, जिसके आधार पर फिर जिम्मेदारों पर कार्रवाई शुरू की जाएगी।

इन योजनाओं में लैैंड ऑडिट

एलडीए प्रशासन की ओर से जानकीपुरम योजना, गोमतीनगर योजना और टीपी नगर योजना में लैैंड ऑडिट कराया जा रहा है। इसके अंतर्गत यह देखा जा रहा है कि जो प्लॉट्स खाली हैैं, उनका स्टेटस क्या है। इसके साथ ही जो प्लॉट्स पूर्व में बिके हैैं या समायोजित किए गए हैैं, उनमें नियमों की अनदेखी तो नहीं की गई है। इसके साथ ही यह भी देखा जा रहा है कि समायोजन या रजिस्ट्री किस वक्त की गई। इसके आधार पर भी तार से तार जोड़े जा रहे हैैं।

मिले हैैं कई फर्जीवाड़े

अभी तक की जो रिपोर्ट एलडीए प्रशासन के पास आई है, उससे साफ है कि तीनों ही योजनाओं में 10 से 15 प्रतिशत फाइलें ऐसी मिली हैैं, जिनमें कुछ खेल किया जाना प्रतीत हुआ है। इसका मतलब यह है कि यहां भी तत्कालीन कर्मचारियों ने पत्रावलियों में गणित बिठाई है। चूंकि अभी जांच जारी है, इस वजह से हर एक जानकारी को सही तरीके से स्कैन किया जा रहा है, जिससे फर्जीवाड़े की तह तक पहुंचा जा सके। जो पत्रावलियां संदिग्ध लग रही हैैं, उन्हें अलग कर लिया गया है और उनकी अलग से जांच शुरू करा दी गई है। जिससे फर्जीवाड़ा करने वालों तक पहुंचा जा सके।

कॉमर्शियल प्लॉट्स का फर्जी समायोजन

लैैंड ऑडिट में यह जानकारी मिली है कि कई ऐसे कॉमर्शियल प्लॉट्स हैैं, जिनकी पत्रावलियों में खेल करके प्राधिकरण को राजस्व संबंधी नुकसान पहुंचाया गया है। इस खेल में कौन-कौन शामिल हैैं, अब इसका पता लगाया जा रहा है। कॉमर्शियल प्लॉट्स की कीमत 50 लाख से लेकर 90 लाख या उससे अधिक हो सकती है। ऐसे में अगर 5 से 10 प्लॉट्स में भी खेल किया गया होगा तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि संबंधित लोगों को कितना लाभ पहुंचा होगा।

यहां भी मिले अवैध कब्जे

गोमतीनगर योजना में प्राधिकरण की जमीन पर अवैध कब्जे कर कॉमर्शियल यूज किए जाने के भी मामले सामने आए हैैं। कई प्लॉट्स पर बांस बल्लियों का काम होता मिला है तो कई अन्य जगह कॉमर्शियल निर्माण करा लिए गए हैैं। यह पूरा खेल लैैंड यूज में बदलाव करके किया गया है। यहां पर आवासीय यूज से जुड़े प्लॉट्स का कॉमर्शियल यूज किया जा रहा है। जिससे साफ है कि इस मामले में भी दोषियों के तार प्राधिकरण से जुड़े हुए हैैं। इनकी भी जांच पड़ताल शुरू करा दी गई है, जिससे दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हो सके।

बनाई गई जांच समिति

ग्राम मलेशेमऊ में जो करोड़ों की जमीन को फर्जी तरीके से समायोजित किए जाने का मामला सामने आया है, उसकी तह तक पहुंचने के लिए प्राधिकरण प्रशासन की ओर से जांच समिति गठित कर दी गई है। इस समिति की जांच रिपोर्ट में जिम्मेदार अधिकारियों और बाबुओं के बयान भी लिए जा सकते हैैं। जिन पर शक हैै, उनमें से कुछ बाबू अभी कार्यरत हैैं। ऐसे में प्रयास किया जा रहा है कि अगर कोई और भी पत्रावली है तो उसे भी सामने लाया जा सके। जिससे पूरे फर्जीवाड़े का सही तरीके से बिंदुवार खुलासा हो सके।

जानकीपुरम समेत तीन योजनाओं में लैैंड ऑडिट कराया जा रहा है। अभी तक 40 से 50 फीसदी काम पूरा हो चुका है। अभी तक की रिपोर्ट में कई संदिग्ध फाइलें मिली हैैं, जिनकी अलग से जांच शुरू करा दी गई है। ऑडिट रिपोर्ट पूरी होने के बाद सही तस्वीर सामने आ सकेगी। जो भी दोषी होंगे, उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

डॉ। इंद्रमणि त्रिपाठी, वीसी, एलडीए