रुष्टयहृह्रङ्ख : ब्लैक फंगस बीमारी ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि हमें डरने की जगह सावधान रहने की आवश्यकता है क्योंकि ब्लैक फंगस शुगर और स्टेरॉयड लेने वालों में होने की आशंका ज्यादा होती है। ऐसे में अर्ली डायग्नोसिस करना बेहद ही जरूरी है। ऐसे में जो मरीज भर्ती हो उनका तुरंत बायोप्सी कराना चाहिए, जिससे पेशेंट की जान समय रहते बचाई जा सकती है।

शुगर की मॉनिटरिंग बेहद जरूरी

केजीएमयू में माइक्रोबॉयोलिस्ट डॉ। शीतल वर्मा के मुताबिक सबसे महत्वपूर्ण यह है कि अगर किसी पेशेंट को इंफेक्शन हो जाता है तो तुरंत शुगर लेवल की मॉनिटरिंग शुरू कर देनी चाहिए और शुगर का लेवल अगर हाई है तो इंसुलिन शुरू कर सकते हैं। इसके अलावा डॉक्टर को चाहिए कि तुरंत पेशेंट का इंडोस्कोपी कराकर, नेजल म्यूकोसा से बायोप्सी कराकर सैंपल को लेकर माइक्रोबॉयोलॉजिस्ट को भेजना चाहिए ताकि वो बता सके कि म्यूकर है भी या नहीं है क्योंकि अर्ली डायग्नोसिस करने से मरीज की जान तक बचाई जा सकती है। यदि अगर म्यूकरमाईकोसिस है तो ईएनटी और नेत्ररोग एक्सपर्ट वाले आगे का एवेल्यूशेन करें। इसके बाद रैपिड सर्जरी जल्दी करें, जिसमें ईएनटी और प्लास्टिक सर्जन की टीम मिलकर सर्जरी करें, जिससे पेशेंट की जान समय रहते बचाई जा सकती है। इसके अलावा दूसरा कोई तरीका नहीं है। ऐसे में लोगों को डरने की जगह सावधानी बरतनी चाहिए। खासकर जिन पेशेंट का इलाज घर पर चल रहा है।

न लें ज्यादा एंटीबायोटिक

एक्सपर्ट का मानना है कि फंगस इंफेक्शन का एंटी फंगल दवा से ही इलाज होता है। ऐसे में कोविड इलाज के दौरान ज्यादा एंटीबॉयोटिक नहीं खाना चाहिए। वैसे भी वायरल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक नहीं देनी चाहिए। लोगों को यह ध्यान रखना होगा कि कोरोना में बिना वजह दवाओं का सेवन न करें। कोरोना के इलाज में अगर जो दवाएं उपलब्ध कराई गई है और कोई दिक्कत या साइड इफेक्ट होता है तो टेली कंसल्टेंसी के माध्यमों से यानि ई.संजीवनी, ई-ओपीडी आदि की मदद से डॉक्टर से परामर्श जरूर लें क्योंकि इस समय कहां दिखाने जाये यह भी एक दिक्कत है।

कोट

म्यूकर से बचाव के लिए अर्ली डायग्नोसिस करना बेहद अहम है। इसके लिए डॉक्टर्स को सैंपल लेकर तुरंत माइक्रोबॉयोलाजिस्ट से जांच करानी चाहिए। इंफेक्शन मिलते ही तुरंत इलाज शुरू करने से ही मरीज को बचाया जा सकता है।

- डॉ। शीतल वर्मा, माइक्राबॉयोलॉजिस्ट, केजीएमयू