लखनऊ (ब्यूरो)। केजीएमयू में किडनी ट्रांसप्लांट की आस लगाये बैठे मरीजों को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। क्योंकि नेफ्रोलॉजी विभाग को ट्रांसप्लांट के लिए ऑपरेशन थियेटर और आईसीयू नहीं मिल पा रहा है। जिसकी वजह से मरीजों को ट्रांसप्लांट के लिए भटकना पड़ रहा है। वहीं, कुछ मरीज प्राइवेट अस्पतालों में महंगा ट्रांसप्लांट कराने को मजबूर हैं, जबकि केजीएमयू प्रशासन द्वारा संस्थान को ट्रांसप्लांट हब बनाने का दावा किया जा रहा है। हालांकि, वीसी के मुताबिक जो समस्या थी उसे दूर कर लिया गया है। जल्द ही किडनी ट्रांसप्लांट शुरू हो जाएगा।

तीन माह से ट्रांसप्लांट ठप

केजीएमयू की नेफ्रोलॉजी ओपीडी सप्ताह में चार दिन संचालित होती है। जहां रोज 125-150 तक मरीज आते हैं, जिनमें 60-70 मरीजों को डायलिसिस की जरूरत पड़ती है। इन्हीं मरीजों में किडनी ट्रांसप्लांट के भी मरीज शामिल होते हैं। संस्थान में बड़ी कवायद के बाद किडनी ट्रांसप्लांट दिसंबर में दोबारा शुरू हुआ है। जिसके बाद अप्रैल में आखिरी ट्रांसप्लांट के बाद केवल 5 ही ट्रांसप्लांट हो सके, क्योंकि इसके बाद जिस विभाग की ओटी में ट्रांसप्लांट होता था और मरीजों को जिस आईसीयू वार्ड में रखा जाता था, उसे देने से मना कर दिया गया। जिसके चलते किडनी ट्रांसप्लांट बीते तीन माह से ठप चल रहा है। जिसका खामियाजा मरीजों को उठाना पड़ रहा है। क्योंकि उनको ट्रांसप्लांट के लिए लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। जानकरी के अनुसार, 3-4 मरीज किडनी ट्रांसप्लांट का इंतजार कर रहे है। उनकी किडनी डोनर से मैच भी हो चुकी है, पर ओटी और आईसीयू न मिलने से उनका इंतजार लंबा हो गया है। ऐसे में डायलिसिस करवाना उनकी मजबूरी हो गया है।

महज 1 पर्सेंट के पास डोनर

नेफ्रोलॉजी विभाग के एचओडी प्रो। विश्वजीत सिंह ने बताया कि ओपीडी में आने वाले मरीजों में अधिकतर को डायलिसिस की जरूरत होती है। इन मरीजों में करीब 60-80 पर्सेंट मरीजों के लिए किडनी ट्रांसप्लांट बेहतर विकल्प होता है। जिससे उनको डायलिसिस से छुटकारा मिल जाता है। पर महज 1 पर्सेंट के पास ही ट्रांसप्लांट के लिए डोनर होता है। जिसकी वजह से बड़ी दिक्कत आती है। कई बार डोनर की किडनी मैच नहीं करती क्योंकि परिवार में किसी को डायबिटीज, कैंसर आदि बीमारियां होती हैं या फिर ब्लड ग्रुप मैच नहीं करता, जिसकी वजह से दिक्कत और बढ़ जाती है।

ट्रांसप्लांट के लिए कई मरीज आते हैं

डॉ। विश्वजीत के मुताबिक, ओपीडी में जो मरीज किडनी ट्रांसप्लांट के लिए पूछते हैं। उनको कुछ समय रुकने के लिए कहा जा रहा है। ओटी और आईसीयू मिलते ही सभी ट्रांसप्लांट एक माह के भीतर हो जाएंगे। यहां पर ट्रांसप्लांट का खर्च करीब 3-4 लाख रुपये आता है। वहीं, आयुष्मान और असाध्य रोग योजना के तहत ट्रांसप्लांट पूरी तरह फ्री में होता है, जिससे गरीब मरीजों को बड़ी राहत मिलती है।

ओटी और आईसीयू की समस्या दूर कर दी गई है। किडनी ट्रांसप्लांट जल्द ही दोबारा शुरू हो जाएगा। मरीजों को कोई समस्या नहीं आने दी जाएगी।

-डॉ। बिपिन पुरी, वीसी, केजीएमयू