लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी में चल रहे नेशनल क्लाइमेट कॉन्क्लेव में हिस्सा लेने पुडुचेरी से आये कृष्णा मैकेंजी सभी के आकर्षण का केंद्र रहे। वैसे तो वह मूलता इंग्लैंड के निवासी हैं, लेकिन भारतीय संस्कृति के प्रति गहरा आकर्षण होने के चलते वह अब भारत में ही बस गये हैं। उन्होंने बताया कि वह बीते 30 वर्षों से पुडुचेरी में किसानी कर रहे हैं। आज के समय में लोग जंक फूड समेत हर खाना खाते हैं, लेकिन वह यह नहीं जानते कि इसे कैसे तैयार किया जाता है। यह हमारा दुर्भाग्य है। हमारे पूर्वज स्थानीय खाद्य पदार्थ को उगाने से लेकर उसे बनाने की सही तकनीक तक जानते थे। यही हमारी संस्कृति रही है, लेकिन आज हम इससे अनजान हैं।

स्थानीय खेती को बढ़ावा देना जरूरी

कृष्णा मैकेंजी ने बताया कि वह लखनऊ भी आ चुके हैं। यहां की बोली, खाना व पहनावा दूसरों से बेहद जुदा है। जब मैं भारत आया तो यहां की खेती के प्रति मेरा आकर्षण और अधिक बढ़ गया। इसी को देखते हुए स्थानीय खेती और पोषण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से काम कर रहा हूं। हमारे स्थानीय भोजन में पोषण भरा होता है। आज भी हम अपनी दादी के पास जाते हैं, तो वह रागी, ज्वार व बाजरा समेत कई अन्य खाद्य पदार्थों की जानकारी देती हैं, क्योंकि यह हमारी संस्कृति का हिस्सा भी है। आज के समय में हमें भोजन को लेकर अपने जड़ों की ओर लौटने की जरूरत है ताकि कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का विकास कर हम आत्मनिर्भरता की ओर और अधिक बढ़ सकें ताकि पर्यावरण को भी संरक्षित किया जा सके।