लखनऊ (ब्यूरो)। वन विभाग के अनुसार तेंदुआ 24 दिसंबर को रात 11 बजे पहली बार जानकीपुरम साठ फिटा रोड पर पहली बार देखा गया था। वह सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ था। इसके 2 घंटे बाद 25 दिसंबर रात एक बजे प्राइवेट हॉस्पिटल व नर्सिंग होम के सीसीटीवी फुटेज में कैद हुआ था। इसके बाद शाम 4 बजे आदिल नगर के प्रेसीडेंसी स्कूल और शाम 6 बजे कल्याणपुर के एक खाली प्लॉट में दिखाई दिया था। जहां से रात 12.29 बजे वन विभाग के लगाए जाल से खुद को छुड़ाकर भाग निकला था। वन विभाग का दावा है कि एक ही तेंदुआ है और सभी मूवमेंट उसी के हैं। इलाके के अलग-अलग हिस्से में तेंदुआ को लेकर काफी चर्चा थी। लोगों का मानना था कि तेंदुआ की संख्या दो से तीन है। हालांकि वन विभाग ने इसकी पुष्टि की है कि एक ही तेंदुआ था जो अलग-अलग मूवमेंट में फुटेज में कैद हुआ है।

सेफ रूट मिलने से वापस चला गया
वन विभाग का दावा है कि तेंदुआ को सुरक्षित मार्ग मिल जाने से वह अपने प्राकृतिकवास में लौट सकता है। अगर बीच में अनावश्यक रूप से उसको आतंकित न किया जाए। वन विभाग का दावा है कि कल्याणपुर व आदिल नगर इलाके में पिछले 40 घंटे से तेंदुआ नहीं देखा गया। तेंदुआ कल्याणपुर, जानकीपुरम व सहारा स्टेट इलाके में वर्तमान में नहीं है, लेकिन वन विभाग की पांच टीम एहतियात के तौर पर गश्त कर रही है।

कंट्रोल रूम में आई शिकायतें
26 दिसंबर की रात में कंट्रोल रूम में इंटीग्रल यूनिवर्सिटी, कुर्सी रोड, जानकीपुरम, आधार खेड़ा व तकरोही के साथ-साथ छोटा भरवारा, चिनहट व सेक्टर-4 विकास नगर इलाके से लगातार तेंदुआ के होने की शिकायत आती रही। वन विभाग का दावा है कि इन इलाको में वन विभाग की अलग-अलग टीमों ने इन इलाकों का मुआयना किया। वहां न तो तेंदुआ के पर्ग मार्क मिले हैं और न ही वहां पर तेंदुआ के हमला करने की सूचना मिली।

लोग दहशत में, दावे पर नहीं भरोसा
गुडंबा, जानकीपुरम समेत आस-पास के रहने वाले लाखों लोगों को वन विभाग के दावा पर भरोसा नहीं है। उनका कहना है कि अब तेंदुआ के आने के पर्ग मार्क वन विभाग को नहीं मिले हैं तो जाने के कहां से मिल गए। आखिरी बार तेंदुआ कल्याणपुर इलाके में रात में 12.29 बजे देखा गया था। वहां से वह कहां गया और कहां छिपा है इसके बारे में न तो विभाग को इसकी सही जानकारी है और न ही कोई मजबूत आधार हैै। इस रूट पर आगे भी इलाकों में कई जगह सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। उन कैमरे में भी उनके एरिया से बाहर निकलने की पुष्टि व सीसीटीवी कैमरे की फुटेज नहीं मिली है। लोगों का दावा है कि वह इलाके में स्थित कई बड़े खाली पड़े प्लॉट व मकान में छिप सकता है।

तीसरे दिन भी इलाके में दहशत कायम
गुडंबा के कल्याणपुर, आदिल नगर व कन्हैया नगर में तेंदुए की दहशत कायम है। सोमवार को भी लोगों में तेंदुआ को लेकर दहशत देखने को मिली। कई परिवारों ने तो सुबह बच्चों को स्कूल तक नहीं जाने दिया। लोग रोड पर निकलने की जगह छतों पर ही रहे। आदिल नगर प्रेसीडेंसी स्कूल के बाहर वन विभाग के ट्रैक्टर में लदे दो पिंजड़े को लेकर लोगों में दहशत और भी कायम है। उनका मानना है कि तेंदुआ इलाके में है तभी वन विभाग ने पिंजड़ा वहीं पर रख रखा हैै।


एक पल लगा मौत ने झपट लिया
आदिल नगर में रहने वाली मंजू तेंदुआ के हमले में सबसे ज्यादा घायल हुई। आलम यह है कि वह मुंह से बोल तक नहीं पा रही हैं। नाक के नीचे व दाहिने हाथ में गंभीर चोट व टांके लगे हैं। इशारों में मंजू ने बताया कि एक पल लगा कि मौत ने अचानक झपट लिया। जब तक कुछ समझ में आता उससे पहले आंखों के सामने अंधेरा छा गया। कैसे जान बची अब तक समझ में नहीं आ रहा है।

100 कदम दूर से लगाई थी छलांग
विनीता उर्फ धर्मदेवी ने बताया कि गेट खोलकर जैसे बाग में दाखिल हुए तेंदुआ सौ कदम पर बैठा हुआ था। उसे देख कर बाहर की तरफ भागे लेकिन गेट तक पहुंचने से पहले छलांग लगाकर उसने झपट्टïा मार दिया। एक पल लगा सब खत्म हो गया। विनीता की हालत भी बहुत गंभीर है और वह अभी तक दहशत में हैैं।

डंडा न होता तो चली जाती जान
वीरू ने तेंदुआ से एक डंडे के सहारे मोर्चा लिया था। वीरू ने ही सबसे पहले उसे देखा था। वीरू का कहना है कि वन विभाग की लापरवाही के चलते तेंदुआ भाग निकला। उस पर व सिपाही के ऊपर एक साथ तेंदुआ ने हमला किया था और वह तेंदुआ के नीचे दबा था।

नहीं निकलेंगे घर से बाहर
मालती देवी हो हल्ला सुनकर घर से बाहर रोड पर निकली थीं। इसी दौरान स्कूल कैंपस की 20 फीट की बाउंड्री फांद कर तेंदुए ने हमला कर दिया। आस-पास के लोगों ने हमें बचा लिया, लेकिन तेंदुए ने पंजे व दांत गड़ा दिए। अब जब तक वह पकड़ा नहीं जाता तब तक बाहर नहीं जाएंगे।


दहशत में खुद को नजर बंद कर लिया
बुजुर्ग राधेश्याम मैसी इस कदर दहशत मेें हैं कि उन्होंने खुद को कमरे में बंद कर लिया। यहां तक तेंदुआ के हमले से घायल राधेश्याम अपना इलाज कराने भी डॉक्टर के पास नहीं गए। उनकी पीट पर तेंदुआ के पंजे के निशान बने हैं और खून से कपड़े सने हैं।

नीचे से छत पर लगा दी छलांग
तेंदुए के इलाके में आने की चर्चा पर हम लोग छत पर खड़े थे। तेंदुआ को देख मोबाइल से वीडियो बना रहे थे कि अचानक जमीन से छलांग लगाकर छत पर आ गया और पीठ में पंजा मारकर घायल कर दिया। पीठ पर कई टांगे लगे हैं।

कुछ घटनाएं
- 1993 में कुकरैल पिकनिक स्पाट में देखे गए बाघ को मजबूरी में मारना पड़ा था।
- 2009 में माल के कमालपुर लधौरा में तेंदुआ पकड़ा गया था।
- 2009 में मोहनलालगंज में दहशत फैलाने वाले बाघ को फैजाबाद में मारा गया था।
- 2012 में माल के उतरेहटा गांव में तेंदुआ पकड़ा गया था।
- 2012 अप्रैल में काकोरी के रहमान खेड़ा में बाघ पकड़ा गया था।
- 21-22 अप्रैल 2013 की रात पीजीआइ के पास रानी खेड़ा में तेंदुआ पकड़ा गया था।