लखनऊ (ब्यूरो)। यह बात साफ है कि लगभग सभी अपार्टमेंट्स में लिफ्ट व्यवस्था बदहाल है, जिसकी वजह से आवंटियों को खासी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। हैरानी की बात तो यह है कि लिफ्ट व अन्य मेंटीनेंस के नाम पर आवंटियों से तीन साल के लिए एकमुश्त धनराशि भी जमा करा ली जाती है, इसके बावजूद लिफ्ट का साल में एक या दो बार ही मेंटीनेंस किया जाता है। जिसकी वजह से आए दिन किसी न किसी अपार्टमेंट में लिफ्ट खराब होने या उसमें लोगों के फंसने की सूचनाएं सामने आती रहती हैैं।

कोई मॉनीटरिंग नहीं

एलडीए की ओर से लिफ्ट व्यवस्था को लेकर कोई भी मॉनीटरिंग सिस्टम डेवलप नहीं किया गया है। किसी भी अपार्टमेंट में मॉनीटरिंग की कोई व्यवस्था नहीं है। जब लिफ्ट खराब होती है तब आवंटियों की ओर से ही एलडीए को इस बाबत सूचना दी जाती है। जिसके बाद एलडीए संबंधित एजेंसी को सूचित कर लिफ्ट मेंटीनेंस कराता है। इस प्रक्रिया में कई बार खासा वक्त भी लग जाता है। जिसकी वजह से आवंटियों को दिक्कतें होती हैैं।

अक्सर लिफ्ट में फंसते हैैं लोग

जानकीपुरम विस्तार के अपार्टमेंट्स हों या गोमती नगर विस्तार के, सभी अपार्टमेंट्स में लिफ्ट खराब होने और उसमें आवंटियों के फंसने की समस्या सामने आती रहती है। कई बार तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है। इसके बावजूद एलडीए की ओर से इस समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए जा रहे हैैं। जिसकी वजह से लिफ्ट सिस्टम दिन प्रतिदिन और भी ज्यादा बदहाल होता जा रहा है। आवंटियों की मांग है कि जल्द से जल्द लिफ्ट व्यवस्था को बेहतर किया जाए, जिससे उन्हें राहत मिल सके।

तीन साल के लिए जमा होती राशि

एलडीए की ओर से मेंटीनेंस चार्ज के नाम पर फ्लैट साइज के हिसाब से संबंधित आवंटी से तीन साल के लिए एक मुश्त धनराशि जमा कराई जाती है। इस धनराशि में ही लिफ्ट मेंटीनेंस का भी चार्ज शामिल होता है। अपार्टमेंट एक्ट के अनुसार, हर महीने कम से कम एक बार तो लिफ्ट का मेंटीनेंस कराया जाना चाहिए, लेकिन आलम यह है कि यहां पर लिफ्ट खराब होने पर ही मेंटीनेंस के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। कई बार यह भी देखने में आता है कि एलडीए की ओर से संबंधित कंपनियों को प्रॉपर धनराशि नहीं दी जाती या देर से दी जाती है, जिसकी वजह से भी कंपनियां लिफ्ट मेंटीनेंस नहीं करा पाती हैैं।

प्रॉपर मेंटीनेंस की जरूरत

कई अपार्टमेंट्स ऐसे हैैं, जिसमें लिफ्ट्स में कैमरे तक नहीं लगे हुए हैैं और न ही कोई अटेंडेंट है। अगर यहां कोई व्यक्ति लिफ्ट में फंस जाता है तो संबंधित अपार्टमेंट में रहने वाले आवंटियों को ही लिफ्ट में फंसे व्यक्ति को बाहर निकालना पड़ता है। ऐसा पहले सृष्टि, स्मृति और ग्रीनवुड अपार्टमेंट में देखा जा चुका है। लिफ्ट की बदहाल व्यवस्था के कारण कई लोगों ने तो लिफ्ट से जाना ही छोड़ दिया है, क्योंकि उनके मन में डर रहता है कि कहीं लिफ्ट में वे फंस न जाएं। गोमतीनगर विस्तार में स्थित ग्रीनवुड अपार्टमेंट में रहने वाले आवंटी अब अपने स्तर से ही लिफ्ट व्यवस्था को बेहतर बनाने की दिशा में जुट गए हैैं।

एलडीए को बनानी होगी व्यवस्था

अपार्टमेंट्स में रहने वाले आवंटियों की समस्या को ध्यान में रखते हुए एलडीए प्रशासन को इस दिशा में ठोस प्लानिंग करनी होगी। पिछले दिनों एलडीए प्रशासन की ओर से लिफ्ट व्यवस्था को लेकर स्टेटस रिपोर्ट बनाए जाने के निर्देश दिए गए थे। इसके बावजूद अभी तक अपार्टमेंट्स में लिफ्ट व्यवस्था बदहाल है और जिम्मेदारों की ओर से तैयार की गई योजना सिर्फ कागजों में ही सिमट कर रह गई है। आवंटियों का कहना है कि उन्हें हाईटेक सुविधा नहीं चाहिए लेकिन कम से कम लिफ्ट व्यवस्था तो बेहतर कर दी जाए। लिफ्ट खराब होने पर सबसे ज्यादा समस्या सीनियर सिटीजन, महिलाओं और बीमार आवंटियों को होती है। लिफ्ट खराब होने की स्थिति में उन्हें सीढ़ियों का प्रयोग करना पड़ता है। जिससे उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैैं।

जिन अपार्टमेंट्स में आरडब्ल्यूए व्यवस्था है, वहां पर लिफ्ट कंपनी को मेंटीनेंस के नाम पर एनुअल मेंटीनेंस चार्ज दिया जाता है। यह चार्ज एक लाख रुपये तक होता है। वहीं, जहां आरडब्ल्यूए व्यवस्था नहीं है, वहां पर एलडीए की ओर से लिफ्ट कंपनी को मेंटीनेंस चार्ज दिया जाता है। दरअसल, कई अपार्टमेंट्स में लिफ्ट पहले ही आ गई थीं, लेकिन उन्हें लगाया बाद में गया। जिसकी वजह से उनमें लगे उपकरण प्रॉपर काम नहीं करते हैैं। इस तरफ ध्यान दिए जाने की जरूरत है।

-उमाशंकर दुबे, अध्यक्ष, लखनऊ जनकल्याण महासमिति

एलडीए की ओर से मेंटीनेंस के नाम पर तो आवंटियों से तीन साल के लिए एकमुश्त धनराशि जमा करा ली जाती है। इसके बावजूद लिफ्ट्स का प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं कराया जाता है। जिसकी वजह से आए दिन लिफ्ट्स खराब होती हैैं और आवंटियों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। एलडीए प्रशासन को तत्काल कदम उठाने होंगे।

-विवेक शर्मा, रेजीडेंट, सृष्टि अपार्टमेंट