लखनऊ (ब्यूरो)। नोएडा सेक्टर 137 स्थित पारस टिएरा के टॉवर में लिफ्ट में फंसने से हुई महिला की मौत जैसी घटना की पुनरावृत्ति राजधानी लखनऊ में भी हो सकती है। वजह यह है कि यहां पर भी जो एलडीए के अपार्टमेंट्स हैैं, उनमें आए दिन लिफ्ट्स की समस्या सामने आती रहती है। आवंटियों की ओर से शिकायत भी दर्ज कराई जाती है और उन शिकायतों के आधार पर मेंटीनेंस के नाम पर खानापूर्ति कर दी जाती है। गुजरते वक्त के साथ हालात और भी ज्यादा खराब होते जा रहे हैैं

आए दिन फंस जाते हैैं लोग

जानकीपुरम विस्तार के अपार्टमेंट्स हों या गोमतीनगर विस्तार के, फ्लैट्स की भारी भरकम कीमत होने के बावजूद लिफ्ट की व्यवस्था ढाक के तीन पात ही है। अपार्टमेंट्स में रहने वाले आवंटियों की माने तो लिफ्ट में जाने से पहले कई बार सोचना पड़ता है। अक्सर लिफ्ट खराब होने संबंधी शिकायतें सामने आती हैैं।

एक-एक अपार्टमेंट में 12 से 16 लिफ्ट

गोमतीनगर विस्तार और जानकीपुरम विस्तार में जो अपार्टमेंट्स बने हैैं, वो ब्लॉक में बंटे हुए हैैं। एक ब्लॉक में दो लिफ्ट की व्यवस्था होती है। अगर किसी अपार्टमेंट में आठ ब्लॉक हैैं, तो उसमें 16 लिफ्ट होती हैैं, वहीं अगर किसी अपार्टमेंट में चार ब्लॉक हैैं, तो उसमें आठ लिफ्ट होती हैैं।

केस एक

दो-तीन माह पहले सृष्टि अपार्टमेंट की लिफ्ट में एक सीनियर सिटीजन करीब 45 मिनट तक फंसे रहे। मौके पर पहुंचे लोगों ने उन्हें किसी तरह लिफ्ट से बाहर निकाला था।

केस दो

करीब डेढ़ माह पहले स्मृति अपार्टमेंट में एक बुजुर्ग महिला भी फंस चुकी हैैं। आवंटियों ने कड़ी मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला था।

केस तीन

सरगम अपार्टमेंट में भी एक युवक लिफ्ट में करीब पंद्रह से बीस मिनट तक फंसा रहा था। उसे भी बामुश्किल बाहर निकाला गया था।

केस चार

गोमतीनगर विस्तार स्थित ग्रीनवुड अपार्टमेंट में भी लिफ्ट में कई लोग फंस गए थे।स्थानीय आवंटियों ने उन्हें किसी तरह बाहर निकाला था।

कोई अटेंडेंट नहीं

अपार्टमेंट्स तो हाईटेक बने हैैं लेकिन लिफ्ट में कहीं अटेंडेंट तक नहीं है। आवंटियों को कई बार खुद लिफ्ट ऑपरेट करनी पड़ती है। लिफ्ट के अंदर लगे इमरजेंसी बटन भी कई बार काम नहीं करते हैैं।

एक साथ जमा हो जाता पैसा

लिफ्ट मेंटीनेंस के लिए आवंटियों से कोई अलग से पैसा नहीं लिया जाता है, अलॉटमेंट के समय जो अमाउंट जमा कराई जाती है, उसमें लिफ्ट मेंटीनेंस के चार्ज शामिल होते हैैं। जब लिफ्ट खराब होती है तब आनन-फानन में एलडीए की ओर से मेंटीनेंस का कार्य करा दिया जाता है लेकिन कुछ दिन बाद स्थिति वैसी ही हो जाती है।

लिफ्ट के इस्तेमाल में बरतें सावधानी

1- लिफ्ट में ओवरलोडिंग न करें

2- लिफ्ट में फंस जाएं तो परेशान न हों

3- तत्काल लिफ्ट में लगे फोन या अलार्म बटन दबाएं

4- लिफ्ट के दरवाजे को खुद न खोलने का प्रयास करें

5- छोटे बच्चों को लिफ्ट में अकेले न भेजें

ये व्यवस्था होनी चाहिए लिफ्ट में

1- अटेंडेंट की मौजूदगी

2- लिफ्ट के अंदर कैमरे की व्यवस्था

3- लिफ्ट का रेगुलर मेंटीनेंस

4- लिफ्ट में इमरजेंसी फोन नंबर लिखे हों

5- लिफ्ट के अंदर प्रॉपर लाइटिंग

अपार्टमेंट्स में लिफ्ट व्यवस्था का हाल

1- अटेेंडेंट की मौजूदगी नहीं

2- कैमरे प्रॉपर काम नहीं करते या लगे नहीं

3- अलार्म बटन प्रॉपर काम करे, जरूरी नहीं

4- प्रॉपर मेंटीनेंस नहीं होता

5- कई बार लिफ्ट में लाइट जलती बुझती है

बोले आवंटी

आए दिन कोई न कोई आवंटी लिफ्ट में फंस जाता है। जब शिकायत की जाती है तो अस्थाई रूप से लिफ्ट का मेंटीनेंस करा दिया जाता है और कुछ दिन बाद स्थिति जस की तस हो जाती है।

-विवेक शर्मा, सृष्टि अपार्टमेंट

आलम यह है कि लिफ्ट के अंदर जाने से भी डर लगता है। कई बार मांग की जा चुकी है कि इस व्यवस्था को तत्काल सुधारा जाए लेकिन इस तरफ कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

-विकास सिंह, स्मृति अपार्टमेंट

आए दिन लिफ्ट खराब हो जाती है और लोग फंस जाते हैैं। इसको लेकर कई बार एलडीए में कंपलेन भी की गई लेकिन नतीजा सिफर रहा। अब तो आवंटी लिफ्ट में जाने से भी डरते हैैं।

-उमाशंकर दुबे, ग्रीनवुड अपार्टमेंट