लखनऊ (ब्यूरो)। डॉ। राम मनोहर लोहिया संस्थान के जूनियर डॉक्टर की रहस्यमय हालात में मौत हो गई। उनका शव उनके घर में बेड पर पड़ा मिला। कमरा अंदर से बंद था और बेड के आस-पास कई इंजेक्शन व सीरिंज भी मिले हैं। हालात आत्महत्या की तरफ इशारा कर रहे हैं। वहीं, पीएम रिपोर्ट में मौत का कारण स्पष्ट न होने से विसरा जांच के लिए सुरक्षित रख लिया गया। यह घटना गुरुवार देर शाम हुई। जब इमरजेंसी में ड्यूटी होने पर जूनियर डॉक्टर हॉस्पिटल नहीं पहुंचे। मोबाइल भी स्विच ऑफ होने पर दोस्त उनके घर पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। इस बात की भी चर्चा है कि उनसे मनमानी तरीके से ड्यूटी कराई जा रही थी। लगातार काम करने से भी वह काफी परेशान थे। कई बार उनके साथ गलत व्यवहार भी किया गया था।

गुरुवार को थी इमरजेंसी में ड्यूटी

मुलरूप से गोरखपुर के गगहा चवरियां निवासी हेमचंद्र नायक दक्षिणी दिल्ली के जहांगीरपुरी में परिवार के साथ रहते हैं। हेमचंद्र का बेटा डॉ। अमित नायक लोहिया हॉस्पिटल में एनेस्थीसिया पीजी प्रथम वर्ष की पढ़ाई कर रहा था। डॉ। अमित इंदिरा नगर सेक्टर 14 में किराए के मकान में रहते थे। गुरुवार को उनकी ड्यूटी इमरजेंसी में थी। शाम 6.30 बजे तक वह ड्यूटी पर नहीं पहुंचे तो सीनियर डॉ। दीपक दीक्षित ने उनके मोबाइल पर कॉल की। उनका मोबाइल स्विच ऑफ था। इस पर उन्होंने कंसलटेंट इंचार्ज को इसकी जानकारी दी।

साथी डाक्टर पहुंचे घर

काफी देर तक मोबाइल स्विच ऑफ होने पर अनहोनी की आशंका पर डॉ। शुभेंद्रु और दो अन्य साथी डॉ। शोएब, डॉ। अनिल को रात करीब 9 बजे उनके घर भेजा गया। वहां पहुंच कर काफी देर तक दरवाजा पीटने पर कोई रिस्पांस नहीं मिला। इसके बाद साथी हथौड़ी से दरवाजा तोड़कर अंदर दाखिल हुए। वहां का नजारा चौंकाने वाला था। डॉ। अमित बेड पर पड़े थे और उनके बेड के आस-पास कई इंजेक्शन व सीरिंज पड़ी थीं।

साथियों ने बचाने का किया प्रयास

इंस्पेक्टर गाजीपुर के अनुसार, उन्हें सूचना मिली थी कि डॉ। अमित की डेड बॉडी उनके कमरे में मिली है। अमित डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे थे। इससे पहले साथी डॉक्टरों ने डॉ। अमित को सीपीआर किया और एंबुलेंस से डॉ। राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल के इमरजेंसी में लेकर पहुंचे। जहां उनका ईसीजी व अन्य जांच की गई। डॉक्टरों ने इसके बाद उन्हें मृत घोषित कर दिया। पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। पुलिस ने परिजनों को इसकी जानकारी दे दी है।

कम बोलने वाले थे डॉ। अमित

लोहिया हॉस्पिटल के मैनेजमेंट व उनके साथियों का कहना है कि डॉ। अमित बेहद शांत स्वभाव व कम बोलने वाले व्यक्ति थे। वह अपने परिवार की सबसे छोटी संतान थे। बड़े भाई अभय नायक, बहन रिंकू, अंजुला और अनु हैं। परिजनों को उनकी मौत की जानकारी होने पर वह शुक्रवार सुबह दिल्ली से लखनऊ पहुंच गए। उनके पिता हेमचंद्र नायक बेहद दुखी थे, लेकिन वह भी नहीं समझ पा रहे हैं कि आखिर उनके डॉक्टर बेटे की मौत कैसे हुई। पीएम रिपोर्ट में भी मौत की साफ वजह सामने नहीं आई।

मेडिसिन विभाग में जाना चाहते थे

साथियों की माने तो डॉ। अमित बहुत होनहार थे और हाल ही में उन्होंने नीट पीजी एग्जाम क्लियर किया था। उन्हें एनेस्थीसिया विभाग ज्वाइन किया, लेकिन वह एनेस्थीसिया से मेडिसिन विभाग में जाना चाहते थे। लोहिया हॉस्पिटल मेें उनकी मौत को लेकर चर्चा काफी गर्म है कि सीनियर व डिपार्टमेंट की तरफ काफी प्रेशर भी था। उनकी मनमानी तरीके से ड्यूटी कराई जा रही थी। लगातार काम करने से भी वह परेशान थे। इसके अलावा कई बार उनके साथ गलत व्यवहार भी किया गया।