- मंदिरों में तैयारियां हुई पूरी, बाजारों में देर शाम तक चली खरीदारी

LUCKNOW : आज मध्यरात्रि में मंदिरों और घरों में कान्हा जन्मोत्सव का आयोजन धूमधाम के साथ मनाया जाएगा। जन्मोत्सव को लेकर जहां मंदिरों में तैयारियां पूरी हो चुकी हैं। वहीं, भक्त भी घरों में जन्म व पूजन की तैयारियों के लिए बाजारों में देर शाम तक खरीदारी करते नजर आए। इस वर्ष भाद्रपद कृष्ण अष्टमी रविवार को रात्रि 10:11 से शुरू होकर सोमवार को रात्रि 12:14 तक रहेगी। साथ ही साथ रोहिणी नक्षत्र सोमवार सुबह 6:41 बजे से पूरे दिन व रात का भोग करेगी। अर्धरात्रि के समय अष्टमी तिथि व रोहिणी नक्षत्र का शुभ संयोग मिलने से जयंती योग में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी का व्रत व जन्मोत्सव सोमवार को मनाया जाएगा।

मंदिरों में सीमित लोगों को ही प्रवेश

श्रीकृष्ण जन्मोत्सव को लेकर पुलिस लाइन में विशेष झांकी सजाई गई है, जिसमें गवर्नर आनंदेबेन पटेल और सीएम योगी आदित्यनाथ भी शामिल होंगे। इसके अलावा अमीनाबाद रोड न्यू गणेश गंज में सजने वाली डिजिटल झांकी इस बार सादगी से मनाई जाएगी। झांकी जन्माष्टमी के दिन 30 अगस्त को शाम 6 बजे से शुरू होगी और 4 सितंबर को छठी के साथ समाप्त होगी। डालीगंज माधव मंदिर में कोरोना के चलते सीमित संख्या में भक्तों को मंदिर में प्रवेश दिया जाएगा। साथ ही फेसबुक पेज पर जन्मोत्सव का लाइव प्रसारण भी इस बार किया जाएगा। जबकि इस्कॉन मंदिर में दोपहर 12 से रात्रि 12 तक भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक व बच्चों के सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।

व्रत सामग्री व फलों की खरीदारी

जन्माष्टमी के अवसर पर व्रत व पूजन के लिए लोग व्रत सामग्री समेत फल आदि की खरीदारी करते दिखे। लोग कुट्टू व सिंघाड़ा का आटा, मखाना, साबूदाना, गोला, मेवा समेत केला, सेब, अनार आदि की खरीदारी करते दिखे। व्रत सामग्रियों पर भी महंगाई की मार देखने को मिली। विक्रेतओं के मुताबिक सभी आइटम में 10-15 फीसद का इजाफा हुआ है।

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पूजन विधि

जन्माष्टमी के दिन मध्यरात्रि शंख ध्वनि के बाद श्रीकृष्ण की प्रतिमा को माता देवकी की प्रतिमा के साथ पूजना चाहिए। लड्डू गोपाल को पंचगव्य यानि दूध, दही, घी, जल और मधु से स्नान कराने के बाद उन्हें पालने में नए कपड़ों और आभूषणों से श्रंगार कर विराजमान करना चाहिए। इसके बाद पुष्प, अक्षत, रोली, चंदन और परंपरागत नैवैद्य का भोग लगाकर आरती भी उतारनी चाहिए। वहीं, पंचजीरी गेहूं का आटा, शक्कर, आजवाइन, सोंठ और धनिया मिश्रित चूर्ण का भोग लगाना चाहिए। जन्मोत्सव के समय नाल वाले खीरे को अर्पित कर फूल की धातु का घंटा, घंटी या थाल बजाकर रात्रिभर बाल-गोपाल का कीर्तन करना चाहिए। और प्रभु से पूरे परिवार के लिए मंगलकामना मांगी चाहिए।