लखनऊ (ब्यूरो)। प्रॉपर्टी विवाद में यूपी के देवरिया में कुल छह और कानपुर देहात में दो सगे भाईयों की हाल ही में हत्या कर दी गई थी। राजधानी में भी प्रॉपर्टी विवाद के मामले लगातार सामने आ रहे हैं, जिसे लेकर लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस सख्त हो गई है। शहर के सभी थानों में दर्ज प्रॉपर्टी केसों का जल्द से जल्द निस्तारण करने का आदेश दिया गया है। अब शहर की पुलिस ने धूल फांक रही प्रॉपर्टी केसों की फाइलों की विवेचना फिर तेज कर दी है।

सभी की लिस्ट हो तैयार

बीते दिनों प्रॉपर्टी विवाद के केसों को जल्द से जल्द सुलझाने के लिए सीएम योगी आदित्यनाथ ने सभी संबंधित अधिकारियों को निर्देश दिया था। इसके बाद इसपर एक्शन लेते हुए पुलिस कमिश्नर ने शहर के सभी पांचों जोन में स्थित सभी थानों को निर्देश दिया है कि अनसुलझे प्रॉपर्टी केसों की एक लिस्ट तैयार कर ली जाए। जिससे पता चले कि किन-किन थानों में प्रॉपर्टी विवाद के केस पेंडिंग हैं। इन रिकार्ड्स के सामने आने पर सभी की फाइलें खंगाली जाएं, ताकि इस तरह के केसों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।

नहीं सुलझे मामले तो नपेेंगे थानेदार

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, प्रॉपर्टी विवाद के कई केसों में देखा गया है कि दोनों पक्षों के बयान में स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाती है। जिस वजह से केस लंबे वक्त तक विवेचकों के पास रहता है, लेकिन जांच पूरी किए बिना ही केस अधर में लटका रहता है। ऐसे में सख्त आदेश हैं कि इस तरह के केसों में थानेदार आगे आएं और विवेचक अधिकारी के माध्यम से पेंडिंग केसों को जल्द से जल्द चार्जशीट दाखिल कर कोर्ट में पेश करें। साथ ही कोर्ट में भी सभी जरूरत सबूतों को पेश किया जाए, ताकि पेंडिंग केसों का तेजी से निस्तारण किया जाए।

आते हैं औसतन 60 केस

आंकड़ों के मुताबिक, प्रॉपर्टी विवादों के सबसे अधिक केस चिनहट, गोमतीनगर, विभूतिखंड, सुशांत गोल्फ सिटी, आशियाना, पीजीआई, गोसाईगंज, मड़ियांव, गोमतीनगर विस्तार, सरोजनीनगर आदि थानों में दर्ज होते हैं। आंकड़ों के मुताबिक, राजधानी में हर महीने औसतन 50 से 60 केस दर्ज होते हैं। इनमें सबसे अधिक ऐसे केस होते हैं, जो पारिवारिक विवाद के चलते थाने तक पहुंचते हैं। इसके अलावा प्रॉपर्टी खरीद फरोख्त के भी मामले अधिक सामने आते हैं। इस तरह के लगातार केस आने पर पेंडिंग केसों की भी एक लंबी लिस्ट बनती जा रही है।

दो महीने के भीतर सुलझाएं केस

पुलिस अधिकारियों के मुताबिक, शहर के सभी थाना प्रभारियों को सख्त आदेश दिया गया है कि प्रॉपर्टी विवादों के केसों की एक लिस्ट बनाकर उनका दो महीने के भीतर निस्तारण किया जाए। आदेश में कहा गया है कि इन कामों को एक महीने के भीतर पूरा करना होगा। वहीं, डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक का कहना है कि इस तरह के पेंडिंग केसों की लगातार विवेचना की जा रही है। साथ ही पेंडिंग पड़े केसों पर भी जांच चल रही है, ताकि पेंडिंग केसों को जल्द से जल्द सुलझाया जा सके।

सबूत के अभाव में केस पेंडिंग

पुलिस अधिकारियों ने बताया कि अबतक शहर के कई थानों की तरफ से कई केसों की लिस्ट भी बना ली गई है। जिसमें शहर के ऐसे कई हाई प्रोफाइल प्रॉपर्टी केसों के विवाद भी सामने आए हैं, जो लंबे समय से लंबित पड़े हैं। इसमें कोर्ट में दोनों पक्षों का बयान न होने से लेकर कई दस्तावेज और सबूतों के अभाव में केस पेंडिंग पड़े हैं। ऐसे में इस तरह के केसों को लेक भी थानेदार को सख्त आदेश दिया गया है।