लखनऊ (ब्यूरो)। प्री-टर्म और किसी बीमारी के साथ जन्मे बच्चों में लंग्स समेत कई अंग ठीक से डेवलप नहीं होते हैं। इस दौरान अगर सर्जरी करनी पड़ती है तो एनेस्थीसिया देने में दिक्कतें आती हैं। वहीं, बच्चों और बड़ों के सर्जरी उपकरण भी अलग होते हैं। साथ ही ड्रग कितनी देनी है इस पर भी ध्यान देना होता है। ऐसे में पीडियाट्रिक एनेस्थेटिस्ट का रोल अहम होता है। इसके डॉक्टरों की कमी दूर करने की जरूरत है। यह जानकारी केजीएमयू में एनेस्थीसियोलॉजी और क्रिटिकल केयर विभाग द्वारा दो दिवसीय वर्ल्ड फेडरेशन सोसाइटी आफ एनेस्थीसियोलॉजी प्रोग्राम के दौरान गांधी मेडिकल कॉलेज, सिकंदराबाद के प्रोफेसर डॉ। अवुला मुरलीधर ने दी।

डोज का रखें ध्यान

कोर्स कोआर्डिनेटर डॉ। गीता नाथ ने बताया कि ट्रामा में आने वाले छोटे बच्चों में कई समस्याएं होती हैं। खासतौर पर कितना फ्लूड और ब्लड देना है, यह जानना जरूरी है। विभाग के डॉ। प्रेम राज सिंह ने बताया बच्चों और बड़ों की एनाटॉमी और फिजियोलॉजी अलग होती है। बच्चों को एनेस्थिसिया देते समय डोज का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सेफ एनेस्थीसिया प्रोग्राम एक व्यापक पहल है। जिसे पीडियाट्रिक एनेस्थीसिया के विशेष क्षेत्र में एनेस्थेसियोलॉजिस्ट के कौशल और ज्ञान को बढ़ाने के लिए डिजाइन किया गया है।

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दूरबीन विधि से सिर का पानी निकालना हुआ आसान

रुकावट की वजह से बच्चों के सिर में पानी भरने की समस्या हो जाती है, जिससे सिर का आकार बढ़ने लगता है। इसे हाइड्रोसिफलस कहते हैं। इसकी वजह से आंखों की रोशनी तक जा सकती है। वहीं, इलाज में देरी से बच्चे की जान को भी खतरा हो सकता है। पहले इसके इलाज के लिए पेट तक नली डालनी पड़ती थी। पर अब दूरबीन विधि से यह काम किया जा सकता है। इस विधि से केजीएमयू में इलाज शुरू हो गया है।

बच्चों के इलाज में मिलेगी राहत

पीडियाट्रिक सर्जरी विभाग के हेड डॉ। जेडी रावत के मुताबिक, सिर में पानी लगातार बनता है और कुछ बच्चों के सिर में रुकावट की वजह से पानी खप नहीं पाता है। ऐसे बच्चों के सिर में रुकावट वाले हिस्से का ऑपरेशन करने की जरूरत पड़ती है। ऑपरेशन कर महीन पाइप को त्वचा के भीतर से पेट तक डालते हुए पानी निकाला जाता है। इस नली के ब्लॉक होने का साथ संक्रमण का भी खतरा रहता है। इस समस्या से बच्चों को निजात दिलाने के लिए दूरबीन विधि से ऑपरेशन कर सिर में पानी की रुकावट को दूर करना आसान हो गया है। इसके लिए डॉक्टरों को ट्रेनिंग दी जा रही है। इसके ऑपरेशन में इस्तेमाल होने वाले उपकरण खरीदे जा चुके हैं। ऐसे में बच्चों के इलाज में बड़ी राहत मिलेगी।