लखनऊ (ब्यूरो)। आज के समय में, जब हमारे आसपास होने वाली क्राइम की वारदातें लोगों में डर पैदा कर रही हैं, तो ऐसे में अपना घर ही लोगों के लिए सबसे सेफ जगह साबित हो रही है, खासकर बच्चों के लिए। हालांकि, किसी अपने द्वारा रिश्ते को तार-तार करते हुए बच्चों का यौन शोषण करने के बढ़ते मामले भी चिंता का सबब बनते जा रहे हैं। आए दिन प्रदेश के अलग-अलग थानों से ऐसे अनेकों मामले सामने आते हैं। ऐसे में पैरेंट्स अपने बच्चों को कैसे अवेयर करें? उन्हें किन बातों का ख्याल रखना चाहिए? किसके साथ बच्चों को छोड़ें, किसके साथ नहीं? पढ़ें इन तमाम सवालों का जवाब तलाशती दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की एक्सपर्ट्स से बातचीत पर बेस्ड खास रिपोर्ट

अपने ही होते हैं अपराधी

डॉ। आदर्श त्रिपाठी, साइकेट्रिस्ट, केजीएमयू बताते हैं कि अगर कोई आपकी मर्जी के बिना बुरी नीयत से आपके निजी अंग को टच करता है तो यह बैड टच कहलाता है। उन्होंने कहा कि बैड टच लड़के और लड़कियां, दोनों के साथ होता है। जरूरी नहीं है कि ऐसा करने वाला कोई अजनबी ही हो, यह कोई भी कर सकता है। जब कोई विकृत मानसिकता का व्यक्ति किसी बच्चे के प्राइवेट पार्ट्स को टच करता है या किसी बच्चे को अपने प्राइवेट पार्ट्स को टच कराने को कहता है, बच्चे को गंदी वीडियो या फोटो दिखाता है, गंदे मैसेज भेजता है, तो यह सेक्सुअल एब्यूज की श्रेणी में आता है। बहुत से ऐसे केसेज होते हैं, जिनमें अपराधी उनके अपने ही होते हैं। ऐसे में पैरेंट्स को बच्चों का ख्याल रखना चाहिए। उन्हें किसी के भरोसे अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। बच्चों को कम उम्र से गुड टच, बैड टच के बारे में अवेयर करें, ताकि उनमें इसके प्रति जागरूकता बढ़े।

क्या कहते हैं आंकड़े

एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश में बच्चों के साथ यौन शोषण के कुल 8,151 मामले दर्ज किए गए थे, जो अन्य दूसरे राज्यों की अपेक्षा में सबसे अधिक है। वहीं, वर्ष 2021 में ये संख्या 7,119 थी। चिंताजनक बात यह भी है कि इसमें लड़कियों के अलावा लड़के भी शिकार हुए हैं, जो समाज में फैली विकृत मानसिकता दिखाती है। इतना ही नहीं, वर्ष 2022 में बच्चों के साथ हुए अपराधों में भी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा और उनके अधिकारों को लेकर कार्य करने वाले सरकारी व गैर सरकारी संस्थाएं चिंतित हैं।

यह भी समझिये

उत्तर प्रदेश बाल अधिकार संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ। सुचिता कहती हैं कि, पॉक्सो एक्ट के मामले इसलिए बढ़ रहे हैं, क्योंकि नाबालिग बच्चियों के अपनी सहमति से लड़कों के साथ जाने और फिर पुलिस द्वारा उनकी बरामदगी किए जाने पर पीड़ित पक्ष की ओर से दर्ज गुमशुदगी की एफआईआर को पॉक्सो एक्ट के तहत कनवर्ट कर दिया जाता है। हालांकि, बहुत से मामलों में बच्चियों के साथ यौन शोषण होता है।

यौन शोषण में अपने सबसे आगे

बच्चों के साथ यौन शोषण की घटनाओं में अधिकतर उनके परिवार के सदस्य, रिश्तेदार, पड़ोसी और जान-पहचान के लोग ही शामिल रहते हैं। बच्चों के साथ हुए यौन शौषण के आंकड़े कहते हैं कि वर्ष 2022 में 94.4 परसेंट रेप के मामलों में आरोपी भाई, पिता, दादा, दोस्त या परिचितों सहित पीड़ित के रिश्तेदार ही हैं। बच्चों के साथ रेप करने वालों में 249 परिवार के सदस्य, 1858 पड़ोसी, 1147 ऑनलाइन दोस्त व 3254 जान-पहचान के लोग शामिल हैं। इन आंकड़ों में 194 लोग ही ऐसे थे, जिन्हें पीड़ित नहीं जानते थे।

बच्चे इन बातों का रखें ख्याल

-आपके निजी अंग किसी को न छूने दें।

-किसी भी अनजान व्यक्ति से गिफ्ट न लें।

-किसी को भी जबरदस्ती कपड़े उतारने न दें।

-गलत पिक्चर को न देखें और दिखाने वाले से दूर रहें।

-गंदी चीजें लिखने का प्रतिवाद करें।

-बिना इजाजत तस्वीर किसी को न लेने दें।

-किसी अजनबी की गोद में न बैठें।

एक्सपर्ट ने दिए सुझाव

-बच्चों से हमेशा घुलमिल कर रहें।

-नहलाते और कपड़े पहनाते समय उसे गुड और बैड टच के बारे में बताएं।

-अगर बच्चे के साथ कुछ गलत हुआ है तो उसे डांटिए नहीं, प्यार से पूछें।

-जितना ज्यादा हो सके बच्चे से बात करें, उससे सारी बातें प्यार से पूछें।

-यह कतई शो न करें कि आप भी उसकी तरह बहुत घबराए हुए हैं, बल्कि बच्चे की हिम्मत बढ़ाएं।

-बच्चा अकसर अकेलापन महसूस करने लगता है, उसे यह यकीन दिलाएं कि आप उसके साथ हैं।

-बच्चों को प्राइवेट पार्ट्स में ईचिंग हो रही है तो तुरंत अलर्ट हो जाएं।

कई ऐसे मानसिक विकृति वाले लोग हैं, जो मासूम बच्चों को भी नहीं छोड़ते हैं, ऐसे केसेज में माता-पिता को चाहिए कि अपने बच्चों से संवाद बनाए रखें, ताकि कुछ भी उसके साथ गलत हरकत होने पर आपको बता सकें

-डॉ। आदर्श त्रिपाठी, साइकेट्रिस्ट, केजीएमयू