लखनऊ (ब्यूरो)। उत्तर प्रदेश में स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने को लेकर फिर से हंगामा मच गया है। अभी तक किसी भी मीटर निर्माता कंपनी ने मीटर का टेस्ट नहीं कराया है और 15 मार्च से उसे लगाने की तैयारी शुरू कर दी है। इस पर उपभोक्ता परिषद ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को आगाह किया है।

15 से लगाए जाने हैैं मीटर

यूपी में पहले तो ऊंची दरों पर स्मार्ट प्रीपेड मीटर के टेंडर पास किए गए और अब आनन-फानन में भारत सरकार की गाइडलाइन को नजरअंदाज कर 15 मार्च से स्मार्ट प्रीपेड मीटर लगाने की बात की जा रही है। यह स्पष्ट है कि स्मार्ट प्रीपेड मीटरों मेें लगने वाले टेलीकॉम उपकरणों की टेस्टिंग कराए बिना उसे उपभोक्ताओं के घर में नहीं लगाया जा सकता है। इसके बावजूद ऐसा किया जा रहा है।

कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं

टेस्टिंग का मकसद यही पता लगाना है कि स्मार्ट मीटर के लगने के बाद उससे निकलने वाली रेडियो फ्रीक्वेंसी से आम जनता पर कोई प्रतिकूल प्रभाव तो नहीं पड़ रहा है और सिक्योरिटी सिस्टम ठीक है। जब टेस्टिंग नहीं होगी तो उक्त बिंदुओं की सच्चाई सामने नहीं आ सकेगी।

ये बेहद गंभीर मामला है

उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उपभोक्ता परिषद के अध्यक्ष व राज्य सलाहकार समिति के सदस्य अवधेश कुमार वर्मा ने कहाकि अभी तक किसी ने भी मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन आफ टेलीकॉम इक्विपमेंट के टेस्ट को कराया ही नहीं है, जो कानूनन गलत है। यह गंभीर मामला है। पावर कार्पोरेशन ने सभी बिजली कंपनियों के लिए 18 जनवरी 2024 को यह लिखित आदेश जारी किया था की सभी स्मार्ट मीटर निर्माता कंपनियों को मीटर में लगने वाले टेलीकॉम प्रोडक्ट माडम आईओटी गेटवे ट्रैकिंग डिवाइस पर 1 जनवरी 2024 से 1 अप्रैल 2024 बीच मैंडेटरी टेस्टिंग एंड सर्टिफिकेशन आफ टेलीकॉम इक्विपमेंट लेना जरूरी है।

प्रदेश की जनता भुगतेगी

उपभोक्ता परिषद ने पावर कार्पोरेशन प्रबंधन को आगाह करते हुए कहाकि 15 मार्च से मीटर कैसे लगाए जाएंगे, जबकि अभी तक उनकी टेस्टिंग तक नहीं हुई। बड़े पैमाने पर स्मार्ट मीटर कंपनियां घटिया क्वालिटी के मीटर बना रही हैं। इसका खामियाज प्रदेश की जनता को भुगतना पड़ सकता है। उपभोक्ता परिषद की ओर से मांग रखी गई है कि मीटरों को लगाने से पहले उनकी टेस्टिंग जरूर कराई जाए अन्यथा बाद में जब मीटर लग जाएंगे तो उपभोक्ताओं की कंपलेन भी बढ़ जाएगी।