लखनऊ (ब्यूरो)। राजधानी के कई इलाकों में अंडरग्राउंड वॉटर लेवल तेजी से गिर रहा है। इसकी प्रमुख वजह है अंडरग्राउंड वॉटर का जमकर दोहन किया जाना। एक तरफ जहां नियम कानूनों को ताक पर रखकर घर-घर में सबमर्सिबल लगवाए जा रहे हैैं, वहीं दूसरी तरफ रोजाना घरों के अंदर होने वाली हजारों लीटर पानी की बर्बादी भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बनती हुई नजर आ रही है। अंडरग्राउंड वॉटर लेवल बचाने के लिए योजनाएं तो कई बनाई जाती हैैं लेकिन गुजरते वक्त के साथ सभी योजनाएं कागजों में ही सिमट कर रह जाती हैैं।

तेजी से गिर रहा जलस्तर

राजधानी का पॉश एरिया हो या अन्य इलाके, हर जगह अंडरग्राउंड वॉटर लेवल की स्थिति अलार्मिंग है। किसी इलाके में 100 से 130 फुट तक अंडरग्राउंड वॉटर लेवल गिर गया है तो कहीं 70 से 90 फुट। राजधानी के 110 वार्डों में शायद ही कोई ऐसा वार्ड हो, जहां अंडरग्राउंड वॉटर लेवल न गिर रहा हो। नगर निगम में शामिल नए एरियाज में अभी स्थिति कुछ ठीक है लेकिन अब वहां भी अंडरग्राउंड वॉटर लेवल गिरता हुआ नजर आ रहा है।

इस तरह समझें खतरा

एरिया-सरदार पटेल नगर वार्ड

पहले-120 फुट पर होती थी हैैंडपंप के लिए बोरिंग

अब- 200 से 220 फुट के आसपास मिल रहा पानी

एरिया-इस्माइलगंज सेकंड

पहले-55 से 60 फुट पर मिल जाता था पानी

अब-100 से 125 फुट पर मिल रहा है पानी

एरिया-महात्मा गांधी वार्ड

पहले-65 से 70 फुट पर मिलता था पानी

अब-100 से 110 फुट के आसपास मिल रहा पानी

एरिया-मालवीय नगर वार्ड

पहले-80 से 90 फुट पर मिल जाता था पानी

अब-अभी भी इतने ही फुट पर मिल रहा पानी

एरिया-हजरतगंज

पहले-120 से 125 फुट पर मिल जाता था पानी

अब-100 फुट से नीचे चला गया है जलस्तर

एरिया-सरोजिनी नगर

पहले-130 से 140 फुट पर मिल जाता था पानी

अब-180 फुट के बाद मिल रहा है पानी

सुधार के प्रयास कागजों में

नगर निगम हो या एलडीए, दोनों ही विभागों की ओर से कई बार रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम को लेकर योजना बनाई गई और उसे इंप्लीमेंट भी किया गया, लेकिन प्रॉपर मॉनीटरिंग न होने की वजह से रेन वॉटर हार्वेस्टिंग सिस्टम 40 से 45 फीसदी बिल्डिंग्स में ही सिमट कर रह गया। जिसकी वजह से बेशकीमती बारिश का पानी नाले-नालियों में बह जाता है। पब्लिक को भी पानी बचाने के लिए जागरूक नहीं किया जा रहा है।

ये हैैं पानी के स्रोत

675 नलकूप सभी वार्ड मिलाकर

141 ओवरहेड टैैंक से होती है पानी सप्लाई

13 हजार हैैंडपंप चालू हालत में

38 जोनल पंपिंग स्टेशन हैैं

यह भी जानें

55 फीसदी परिवार अंडरग्राउंड वॉटर लेवल पर आधारित

6 लाख 45 हजार मकान हैैं राजधानी में

70 फीसदी मकानों तक पेयजल कनेक्टिविटी

88 गांवों (अब निगम क्षेत्र) में वॉटर सप्लाई का इंतजार

पानी की आपूर्ति

225 एमएलडी सप्लाई ऐशबाग वॉटर वर्क्स से

100 एमएलडी सप्लाई बालागंज वॉटर वर्क्स से

80 एमएलडी सप्लाई गोमतीनगर जलकल से

एक लाख लोगों को पानी का इंतजार

नगर निगम में करीब 88 गांव भी शामिल हो चुके हैैं। शहरी क्षेत्र में तो वॉटर कनेक्शन की स्थिति कुछ ठीक हैै लेकिन जब नए एरियाज की बात आती है तो स्थिति चिंताजनक है। नगर निगम में जो 88 गांव शामिल हुए हैैं, उनकी आबादी करीब एक लाख से अधिक है। अभी तक इन इलाकों में पेयजल सप्लाई के लिए कोई ठोस इंतजाम नहीं किए जा सके हैैं। वहीं, शहरी क्षेत्र में इस्माइलगंज एरिया की बात की जाए तो यहां भी कई घरों में अभी तक पेयजल कनेक्शन नहीं हो सके हैैं।

बोले लोग

यह बात सही है कि पानी संकट का सामना करना पड़ता है। गर्मी के दिनों में तो स्थिति और ज्यादा खराब हो जाती है। इस तरफ ध्यान दिया जाना चाहिए।

संजय खरे, शंकरपुरी कॉलोनी

पानी का कनेक्शन तो दे दिया गया लेकिन अभी तक पानी नहीं मिल सका है। लंबा वक्त गुजर चुका है लेकिन अभी तक पेयजल संकट बना हुआ है।

सुभाष चंद्र शर्मा, वासुदेव नगर

पानी की लाइन तो डाल दी गई, इसके बावजूद पानी की आपूर्ति शुरू नहीं की जा सकी है। पानी संकट की वजह से खासी परेशानी होती है।

राकेश शर्मा, कमता

कई एरिया ऐसे हैैं, जहां पानी की आपूर्ति नहीं होती है। जबकि कई घर ऐसे हैैं, जहां अभी तक पेयजल कनेक्शन नहीं हो सके हैैं। इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।

रुद्र प्रताप सिंह, इस्माईलगंज