लखनऊ (ब्यूरो)। जी-20 तिराहे पिपराघाट रोड पर तेज रफ्तार में दौड़ रही एक्सयूवी ने मासूम नामिश की जान ले ली। नामिश एक बड़े पुलिस अधिकारी का बेटा था, जिसके चलते थाना पुलिस पर आरोपी चालक को जल्द से जल्द पकड़ना एक चुनौती बन गया था। इसके लिए पुलिस ने पांच टीमें बनाईं, जिसमें सर्विलांस, क्राइम ब्रांच समेत थानों की पुलिस शामिल थी। पुलिस ने आरोपी चालक को पकड़ने के लिए घटनास्थल की चारों दिशाओं में काम शुरू कर दिया। इसमें तीन डिवीजन के डीसीपी को भी शामिल किया गया, जो अपने-अपने सोर्स से गाड़ी की पहचाने करने में जुटे हुए थे।

8 घंटे में खंगाले 200 से अधिक कैमरे

एडीसीपी, चिरंजीव नाथ सिन्हा ने बताया कि घटना के बाद पुलिस को पहला क्लू जनेश्वर मिश्र पार्क गेट नंबर-6 के बाहर बंबू कैफे में लगे सीसीटीवी कैमरे से मिला, यहां एक तेज रफ्तार सफेद रंग की एक्सयूवी कैद हो गई, लेकिन पुलिस को गाड़ी नंबर साफ नहीं दिखा। इसके बाद पुलिस टीम ने जनेश्वर पार्क के चारों ओर के कैमरे खंगाले। आईटीएमएस पहुंची पुलिस को पॉलीटेक्निक चौराहे पर वही कार दिखी। इसके बाद पुलिस गाड़ी नंबर की मदद से आरोपी के घर तक पहुंची और उसको धर दबोचा।

7 किलोमीटर की रेंज में एक भी कैमरा नहीं

नामिश का जिस जगह एक्सीडेंट हुआ, वह उसके स्केटिंग ट्रेनिंग सेंटर से करीब डेढ से दो किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। पूरे रास्ते में कैमरा सिर्फ जनेश्वर मिश्र पार्क के गेट नंबर-6 के पास लगा हुआ है। यहां से रोड के दोनों तरफ का एरिया कैप्चर होता है, लेकिन जी-20 तिराहा की तरफ जैसे-जैसे आगे बढ़ेंगे तो एक भी कैमरा नजर नहीं आता। जी-20 तिराहे से पिपराघाट रोड यानी शहीदपथ की तरफ जाने वाले मार्ग पर भी एक भी कैमरा नहीं लगा है।

120 की रफ्तार से दौड़ती हैं गाड़ियां

यहां से गुजर रहे राहगीर अरुण कुमार ने बताया कि इस रोड से वह अक्सर साइकिल से आते-जाते हैं। यहां पर शायद ही कभी कोई गाड़ी धीमी चलती हो, इससे एक्सीडेंट का खतरा बना रहता है। पुलिस की इस रोड पर कोई खास चेकिंग भी नहीं है, जिससे गाड़ियों में फर्राटे भरने वाले चालक 100 से 120 या फिर इससे भी ऊपर अपनी गाड़ियां दौड़ाते हैं।

न ब्रेकर और न स्पीड राडार

अगर इस रोड पर पुलिस ने सख्ती बरती होती तो शायद यह हादसा न होता। ऐसा इसलिए क्योंकि आए दिन यहां पर गाड़ियां फर्राटा भरती हैं। दिन हो चाहे रात, गाड़ियों की स्पीड नहीं थमती, जिससे आए दिन यहां हादसों का खतरा मंडराता रहता है। यहां गाड़ियों की स्पीड कंट्रोल करने के लिए न तो ब्रेकर है और न ही स्पीड राडार है, जिससे लोग बेखौफ यहां ओवरस्पीड में गाड़ियां भगाते हैं।

पेंडिंग केसों पर काम करने की जरूरत

बड़े पुलिस अधिकारी से जुड़ा मामला होने के चलते पुलिस ने जल्द से जल्द केस को सॉल्व कर लिया और आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया गया। हालांकि, हिट एंंड रन के ऐसे कई केस हैं, जिनमें लोगों की जान गई पर उनके परिवारों को अभी तक इंसाफ नहीं मिल सका है। एक आंकड़े के मुताबिक, दो दर्जन से ज्यादा हिट एंड रन केस पेंडिंग है, जिनको अबतक इंसाफ नहीं मिल सका है।

'सोचा था बेटा सहारा बनेगा, हम तो अब बेसहारा हो गए'

'ये क्या हो गया, मेरा लाडला मुझसे क्यों दूर हो गया, कोई मेरे बाबू को दवा खिलाकर उठा दे, सोचा नहीं था मेरा बच्चा मुझे छोड़कर चला जाएगा। यही ख्याल आता था कि बेटा हमारा सहारा बनेगा, लेकिन अब हम बेसहारा हो गए', ये शब्द रोते बिलखते नामिश की मां श्वेता और पिता अभिनव श्रीवास्तव के हैं। मृत बेटे को अपने सामने देख उनके आंसू रुकने का नाम नहीं ले रहे थे। उनके रिश्तेदारों का भी यही हाल था। किसी को भी यकीन नहीं हो रहा था कि अब उनका लाडला उनके बीच नहीं रहा।

काश स्केटिंग प्रैक्टिस पर न जाता

नामिश के शव को सुबह करीब आठ बजे इंदिरा नगर के संजय गांधी पुरम स्थित उसके घर लाया गया, यहां सुबह से ही पुलिस अधिकारी, रिश्तेदारों और पड़ासियों का तांता लगा हुआ था। सभी की आंखों से आंसू छलक रहे थे। नामिश के पिता शोक में डूबे हुए थे। वह बार-बार अपने बेटे की तरफ देखकर फूट-फूटकर रो रहे थे। वह बोल रहे थे, 'बेटा तुम हम सबको छोड़कर क्यों चले गए। तुम्हें तो स्केटिंग की दुनिया में आगे जाना था, हम सबका नाम रोशन करना था, लेकिन क्यों मेरा बच्चा मुझसे दूर चला गया। काश मेरा बच्चा स्केटिंग की दुनिया में न जाता तो वह हम सबके करीब होता।'

सोचा था बेटा मुझे कंधा देगा

नामिश की नानी भी फूट-फूटकर रोते हुए बोल रही थीं, 'मेरे बाबू उठ जाओ। मैंने सोचा था कि तुम मुझे कंधा दोगे, लेकिन इससे पहले ही तुम हमसे दूर चले गए, ऐसा क्यों कर दिया। मेरे लाडले को सबसे ज्यादा ट्रेन देखना पसंद है, उठो चलें ट्रेन देखने। कोई तो मेरे बच्चे को उठाओ।Ó

स्केटिंग था सबसे फेवरिट गेम

नामिश के परिजनों ने बताया कि वह पढ़ने-लिखने में बहुत तेज था, लेकिन उसका मन स्केटिंग में भी बहुत लगता था। उसे स्केटिंग करने का शौक था, जिसके चलते उसका एडमीशन स्केटिंग ट्रेनिंग सेंटर में कराया गया था। पिछले कई महीनों से वह जनेश्वर मिश्र पार्क में स्केटिंग की कोचिंग लेने जा रहा था। अमूमन वह सुबह के समय ही कोचिंग के लिए जाता था।

मिले कड़ी से कड़ी सजा

परिजनों ने रोते बिलखते कहा कि मेरे लाडले ने एक्सयूवी गाड़ी वालों का क्या बिगाड़ा था। क्यों इन लोगों ने मुझसे मेरे लाडले को दूर कर दिया। पुलिस गाड़ी चलाने वाले आरोपी पर सख्त से सख्त कार्रवाई करे, ताकि मेरे बेटे को इंसाफ मिल सके। वहीं, मंगलवार देर शाम पोस्टमार्टम के बाद नामिश का अंतिम संस्कार कर दिया। इस दौरान सभी की आंखें नम हो गईं।