नंबरगेम

- 5000 करीब एलयू में कुल सीटें

- 6000 स्टूडेंट्स ने किया अप्लाई

- 90 प्रतिशत से ज्यादा छात्रों ने काउंसिलिंग में एलयू को दी वरीयता

- 68 कॉलेज को फिलहाल एडमिशन को करना होगा इंतजार

- पहले चरण की काउंसिलिंग में 90 परसेंट से ज्यादा स्टूडेंट्स एलयू को चुना

- ज्यादातर स्टूडेंट्स ने अपने मेन सब्जेक्ट संग सब्जेक्ट कॉम्बिनेशन का विकल्प भरा

- एलयू में पहली बार शुरू हुई थी सेंट्रलाइज्ड एडमिशन की प्रक्रिया

LUCKNOW: एलयू में यूजी की काउंसिलिंग की प्रक्रिया में अभी तक जो रूझान देखने को आये हैं, उसमें 90 परसेंट से अधिक स्टूडेंट्स ने एलयू में पढ़ाई को ज्यादा तवज्जो दिया है। वहीं एलयू से एफिलिएटेड कॉलेजों में एडमिशन को लेकर स्टूडेंट्स का रूझान कम दिख रहा है। एक्सपर्ट का मानना है कि एलयू में इस बार रिकार्ड आवेदन आने का एक साफ संकेत यह है कि कोरोना काल में स्टूडेंट्स बाहर की यूनिवर्सिटी में पढ़ाने जाने के स्थान पर एलयू को पहले तवज्जो दे रहे हैं। ऐसे में जितने स्टूडेंट्स ने आवेदन किया उन्होंने एलयू को ही अपनी पहली च्वाइस के तौर पर लिया है।

कॉम्बिनेशन का विकल्प ज्यादा भर दिया

यूनिवर्सिटी के सूत्रों का कहना है कि काउंसिलिंग में स्टूडेंट्स की ओर से विभिन्न यूजी कोर्सेज में जो कॉम्बिनेशन पढ़ाया जाता है, उसको सब्जेक्ट च्वाइस के दूसरे विकल्प के तौर भर दिया है। स्टूडेंट्स ने अपने पहले सब्जेक्ट च्वाइस के साथ उसी कोर्स में मौजूद दूसरे कॉम्बिनेशन को अपने च्वाइस के विकल्प के तौर पर भर दिया है, लेकिन कॉलेजों में मौजूद अपने पसंद के सब्जेक्ट में एडमिशन के लिए च्वाइस भरी ही नही है। ऐसे में एलयू के एडमिशन की मांग को साफ तौर पर देखा जा सकता है। एलयू बीए में करीब 33 और बीएससी में करीब एक दर्जन से अधिक कॉम्बिनेशन पढ़ाता है। ऐसे में स्टूडेंट्स ने एलयू में मौजूद कॉम्बिनेशन को कॉलेजों में मौजूद सीटों से ज्यादा तवज्जो दिया है।

डिग्री कॉलेजों को करना पड़ सकता है इंतजार

इस बार एलयू के सेंट्रलाइज्ड एडमिशन प्रक्रिया में शामिल 68 कॉलेजों को अपने यहां की सीटें भरने के लिए काउंसिलिंग की कई प्रक्रिया तक इंतजार करना पड़ सकता है। सूत्र बताते हैं कि मेरिट में शामिल स्टूडेंट्स किसी भी हाल में एलयू में ही एडमिशन लेना चाहते हैं फिर वह एलयू के विभिन्न कॉम्बिनेशन में एडमिशन मिल जाए या फिर सेल्फ फाइनेंस कोर्स में ही क्यों न एडमिशन मिले। वहीं काउंसिलिंग के पहले चरण में मेरिट में शामिल स्टूडेंट्स डिग्री कॉलेजों की तरफ अपना रूख करने को तैयार नहीं हैं। ऐसे में कॉलेजों को लो मेरिट वाले स्टूडेंट्स के च्वाइस फील करने का इंतजार करना होगा। तभी उनके यहां की सीटें भर सकेंगी।