-प्रदेश के रैप्टर्स की तैयार होगी रंगीन चेक लिस्ट, दर्ज होगा ब्योरा

-रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के तहत ओएनजीसी के इंस्टीट्यूट आफ वाइल्ड लाइफ साइंसेज को मिला रिसर्च प्रोजेक्ट

रुष्टयहृह्रङ्ख: विश्वविद्यालय अब उत्तर प्रदेश में पाए जाने वाले रैप्टर्स (बाज, चील, गिद्ध, उल्लू आदि) की पहचान के लिए उनकी फोटोयुक्त रंगीन चेक लिस्ट तैयार करेगा। तीन साल के इस प्रोजेक्ट में सर्वे के माध्यम से पता लगाया जाएगा कि वे कहां पाए जाते हैं, कौन-कौन सी प्रजातियां होती हैं, कैसे दिखते हैं और क्या खाते हैं? उनकी पहचान आदि के बारे में खोज की जाएगी.दरअसल, लखनऊ विश्वविद्यालय के ओएनजीसी सेंटर आफ एडवांस स्टडीज में वर्ष 2016 में इंस्टीट्यूट आफ वाइल्ड लाइफ साइंसेज की शुरुआत हुई थी। इसमें वन विभाग के सहयोग से सारस से लेकर जैव विविधता बोर्ड के साथ विरासत वृक्षों का भी सर्वे किया जा चुका है। अब राज्य सरकार के रिसर्च एंड डेवलपमेंट योजना के अंतर्गत शोध का नया प्रोजेक्ट रैप्टर्स की चेक लिस्ट बनाने के लिए मिला है। इंस्टीट्यूट की समन्वयक प्रो। अमिता कनौजिया ने बताया कि अभी तक रैप्टर्स पर शोध नहीं किया गया है। यह पहला मौका होगा जब इनकी पहचान कर रंगीन फोटोयुक्त पूरा विवरण तैयार होगा।

ये होते हैं रैप्टर्स

ऐसे शिकारी पक्षी जो दूसरे छोटे जानवरों और पक्षियों का शिकार कर खाते हैं, उन्हें रैप्टर्स कहा जाता है। इनमें चील, बाज, गिद्ध, उल्लू आदि शामिल हैं।

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ओएनजीसी का इंस्टीट्यूट आफ वाइल्ड लाइफ साइंसेज उत्तर प्रदेश के रैप्टर्स (शिकारी पक्षियों) पर शोध कर फोटोयुक्त रंगीन चेक लिस्ट तैयार करेगा। शोध के लिए पहले साल में चार लाख 83 हजार रुपये का बजट स्वीकृत हो गया है।

-प्रो। एम। सेराजुद्दीन, निदेशक, ओएनजीसी सेंटर