लखनऊ (ब्यूरो)। प्रदेश में स्वास्थ्य विभाग ने मलेरिया की जांच दर जहां लगभग दोगुनी कर दी है, वहीं इस बीमारी से संक्रमित होने वालों की संख्या एक चौथाई रह गई है। निदेशक, संचारी रोग डॉ। एके सिंह ने बताया कि मॉनसून में एवं मॉनसून के बाद मच्छरों की तादाद अचानक बढऩे लगती है। मलेरिया उन्मूलन का लक्ष्य वर्ष 2027 निर्धारित है। इसी के मद्देनजर हर वर्ष एक से 30 जून तक मलेरियारोधी माह मनाया जाता है। इस माह का उद्देश्य लोगों को इस बीमारी के प्रति जागरूक करना है।

मरीजों की संख्या में आई कमी

डॉ। एके सिंह ने बताया कि मलेरिया मच्छरजनित बीमारी है। मादा एनाफिलीज मच्छर के काटने पर परजीवी के शरीर में प्रवेश करने के बाद 14 से 21 दिन के अंदर बुखार आता है। मलेरिया रोधी माह में लोगों को अलग-अलग तरीकों से मलेरिया बीमारी के बारे में जागरूक किया जाता है। डॉ। विकास सिंघल, संयुक्त निदेशक, वीबीडी ने बताया कि वर्ष 2020 में 27,76,349 लोगों की मलेरिया की जांच हुई। वहीं जांच की संख्या दोगुनी बढ़ाते हुए वर्ष 2022 में 83,22,741 लोगों की जांच की गई। इस बीमारी से वर्ष 2020 में 28,668 लोग संक्रमित हुए थे, जबकि वर्ष 2022 में यह संख्या घटकर 7039 हो गई। ऐसे में बचाव के लिए रुके हुए पानी के स्थानों को मिट्टी से भर दे। गमलों, छत पर पड़े पुराने टायर, प्रयोग में न आने वाली सामग्री में पानी को एकत्र न होने दें। कूलर का पानी जल्दी-जल्दी बदलते रहें। बुखार आने पर स्वयं कोई इलाज न कर आशा दीदी से संपर्क करें या पास के स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर जांच और इलाज कराएं

ये होंगी गतिविधियां

गांवों में ग्रामीण स्वास्थ्य एवं स्वच्छता समिति के माध्यम से रोग से बचाव, उपचार और समय से रोगी का संदर्भन किया जाएगा। साथ ही ज्यादा मच्छर वाले इलाकों की सूची बनाकर दवा का छिड़काव और इलाके व मरीज की सतत निगरानी की जाएगी। हर रविवार, मच्छर पर वार अभियान को और प्रभावशाली बनाया जाएगा। स्वास्थ्य टीम के जरिए जांच की दर और बढ़ाई जाएगी। साथ ही मरीज का समय से इलाज शुरू करना सुनिश्चित जाएगा।

इस बीमारी के लक्षण

-सिर में तेज दर्द होना

-उल्टी होना या जी मचलना

-ठंड के साथ कंपकंपी होना

-कमजोरी और थकान महसूस होना

-शरीर में खून की कमी होना

-मांसपेशियों में दर्द होना

-बुखार उतरते समय पसीना आना