लखनऊ (ब्यूरो)। केस 1: मुंशीपुलिया निवासी शिखा (बदला नाम) को बुखार के बाद इंदिरानगर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में मरीज में डेंगू व पीलिया की पुष्टि हुई। मरीज ने प्राइवेट वार्ड लेकर इलाज कराया। 10 दिन के इलाज में करीब एक लाख रुपये से ज्यादा का बिल थमा दिया।

केस 2

कानपुर रोड स्थित एलडीए निवासी आलोक (बदला नाम) को बुखार हुआ आने पर बीते रविवार को एक निजी अस्पताल में भर्ती कराया गया। जांच में डेंगू की पुष्टि हुई। मरीज का इलाज अभी भी चल रहा है। करीब 50 हजार के बिल में इलाज से ज्यादा टैक्स जोड़ दिया गया है।

ये दो केस यह बताने के लिए काफी हैं कि कैसे राजधानी के निजी अस्पताल डेंगू के इलाज के नाम पर मरीजों से मनमानी फीस वसूल रहे हैं। मरीज इलाज से ज्यादा ऐसे अस्पतालों की महंगी फीस को लेकर परेशान हैं। हालात यह हैं कि इलाज के खर्च के साथ टैक्स की भी मोटी रकम मरीजों से वसूली जा रही है। मजबूरी में मरीज पूरा बिल चुका रहे हैं।

रेट तय नहीं हैं

राजधानी में एक हजार से अधिक छोटे-बड़े अस्पताल संचालित हो रहे हैं। वहीं, राजधानी में डेंगू का भी प्रकोप फैला हुआ है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में मरीजों की इलाज चल रहा है। डेंगू के बढ़ते मरीजों की संख्या का फायदा निजी अस्पताल उठा रहे हैं। वे यहां इलाज के नाम पर अपनी जेब भरने में लगे हैं।

जांच की दरें तय हैं

स्वास्थ्य विभाग द्वारा राजधानी में डेंगू की जांच दरों को तो तय कर दिया गया है। जिसमें, एलाइजा जांच के 1200 रुपये और प्लेटलेट्स जांच के 250 रुपये फीस तय की गई है। लेकिन, डेंगू के इलाज की दरों को लेकर कोई आदेश नहीं जारी हुया है। जिसका फायदा निजी अस्पताल उठा रहे है। जिसके चलते अस्पताल मनमानी फीस वसूल रहे है। इस पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

एक दिन का 15 हजार रुपए

कई अस्पताल एक-एक दिन का सात हजार से 15 हजार तक का चार्ज मरीजों से ले रहे हैं। निजी अस्पतालों में स्वास्थ्य विभाग की कार्रवाई का भी कोई खौफ नहीं है। जिसका खामियाजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है। विभाग को चाहिए कि मनमानी फीस पर अंकुश लगे। ताकि मरीजों को महंगे इलाज से निजात मिल सके।

अभी किसी के द्वारा कोई शिकायत प्राप्त नहीं हुई है। फिर भी मामले की जांच कराई जाएगी।

-डॉ। मनोज अग्रवाल, सीएमओ