लखनऊ (ब्यूरो)। शहर की सुरक्षा से लेकर जनता की समस्याओं के समाधान को लेकर पुलिस अकसर बड़े-बड़े दावे करती है। पर पुलिस के इन दावों की आए दिन पोल भी खुल जाती है। दरअसल, शहर में क्राइम कंट्रोल करने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस ने कई योजनाओं को शुरू किया था। इनमें सवेरा, नमस्ते लखनऊ, थानों में रजिस्टर, पिंक पेट्रोलिंग समेत अन्य कई योजनाएं शामिल हैं। पर इनमें से ज्यादातर योजनाएं कागजों में ही सिमटकर रह गई हैं। पढ़ें दैनिक जागरण आईनेक्स्ट ने एक स्पेशल रिपोर्ट

सफेद हाथी बनीं योजनाएं

क्राइम पर अंकुश लगाने के लिए लखनऊ कमिश्नरेट पुलिस समय-समय पर कई योजनाएं लेकर आई। इन योजनाओं में महिला सुरक्षा, बुजुर्ग सुरक्षा, अपराधियों पर लगाम, मॉर्निंग वॉकर की सुरक्षा, समस्याओं का समाधान, पुलिस पेट्रोलिंग, महिलाओं को अवेयर करना समेत जैसी कई अन्य योजनाओं को धरातल पर उतारा गया था। शुरुआती दिनों में कई योजनाओं में बेहतर काम भी हुआ, लेकिन पिछले 10 महीने के आंकड़ों की बात करें तो इन योजनाओं में काफी गिरावट देखी गई है, जिसकी वजह से कई योजनाएं सफेद हाथी बनकर रह गई हैं।

सिर्फ फेस्टिव सीजन में एक्टिव

जानकार बताते हैं कि पुलिस की ये योजनाएं सिर्फ फेस्टिव सीजन में एक्टिव नजर आती हैं। कहने को तो एंटी रोमियो स्क्वायड रोजाना स्कूलों के बाहर, पार्क और भीड़भाड़ वाले इलाके में महिलाओं की सुरक्षा के लिए तैनात होना चाहिए, लेकिन साल के ज्यादातर वक्त इस स्क्वायड का काई अता पता नहीं रहता, जिसकी वजह से महिलाएं कई बार अनसेफ महसूस करती हैं। डीसीपी अपर्णा रजत कौशिक ने बताया कि क्राइम कंट्रोल करने को लेकर लगातार योजनाओं के माध्यम से काम किया जा रहा है।

ये योजनाएं पड़ गईं सुस्त

एंटी रोमियो स्क्वायड: इसका गठन 2017 में हुआ था। यह स्क्वायड महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला स्कूल-कॉलेजो, पार्कों, मॉल और अन्य सार्वजनिक स्थानों के पास तैनात किया जाता है, लेकिन अधिकतर मौकों पर देखा गया है कि यह स्क्वायड सिर्फ फेस्टिव सीजन पर ही एक्टिव रहता है।

नमस्ते लखनऊ: मार्च 2020 में गर्मजोशी से तत्कालीन पुलिस कमिश्नर सुजीत पांडे ने इसे शुरू किया था। इस योजना में पुलिस सुबह-सुबह पार्कों में टहलने आने वाले बुजुर्गों व महिलाओं से नमस्ते कर उनका हालचाल पूछती थी। कुछ दिन सब ठीक चला पर बाद में यह योजना पटरी से उतर गई।

सवेरा योजना: अप्रैल 2017 में पूर्व डीजीपी सुलखान सिंह ने सवेरा योजना की शुरुआत की थी। इसके तहत घरों में अकेले रहने वाले बुजुर्गों की थानेवार लिस्ट बनानी थी और उसके अनुसार हर बुजुर्ग से बीट के सिपाही को उनका हालचाल लेना था। बाद में योजना को डायल 112 से भी जोड़ दिया गया, पर यह योजना भी धराशाई हो गई।

पिंक पेट्रोलिंग: 2018 में पिंक पेट्रोलिंग योजना शुरू की गई थी। इसके तहत महिलाओं की सुरक्षा के लिए महिला पुलिस को अपने-अपने एरियाज में पेट्रोलिंग करनी थी। पर पिंक बूथ पर तैनात महिला पुलिसकर्मी पार्क, स्कूल समेत अन्य जगहों पर पेट्रोलिंग न के बराबर ही करती हैं।

थानों में रजिस्टर: 2017 में पुलिस स्टेशनों में सीनियर सिटीजंस के लिए एक रजिस्टर रखे जाने की योजना बनाई गई थी। जिसमें नाम, आवासीय पता, मोबाइल नंबर, घरेलू मदद और आगंतुकों के नाम शामिल करने थे। पुलिसकर्मी इन सीनियर सिटीजंस के पास जाते थे या उनसे मोबाइल फोन पर संपर्क कर उनकी शिकायतें जानने की कोशिश करते थे, जिनका प्राथमिकता के आधार पर समाधान किया जाता था, लेकिन अब योजना नाममात्र की रह गई है।

यहां अभी कुछ उम्मीद बाकी

हर घर कैमरा: शहर में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए लखनऊ पुलिस ने हर घर कैमरा योजना शुरू की। इसके तहत लोगों से अपने घर के बाहर कम से कम एक सीसीटीवी कैमरा लगाने की अपील करना है। उद्देश्य है कि शहर के हर एक गलियों और मार्गों निगरानी के लिए कैमरे स्थापित हो सकें। इस योजना के शुरू होने पर पुलिस को काफी फायदा मिला। अधिकतर जगहों पर कैमरे लगाए जा चुके हैं।

मिशन शक्ति: इन दिनों पुलिस की तरफ से मिशन शक्ति योजना चलाई जा रही है। इसमें पुलिस महिलाओं को अपराध से बचने के लिए अवेयर कर रही है। बाकी योजनाओं के मुकाबले मिशन शक्ति एकमात्र योजना है जो काफी हद तक एक्टिव है। पुलिस की टीमें अलग-अलग थाना क्षेत्र वाइज महिला, छात्रा समेत बच्चियों को क्राइम से बचने के लिए लगातार अवेयर कर रही हैं।

सीनियर सिटीजन सेल: 2013 में सीनियर सिटीजन सेल बनाया था। इस सेल ने सीनियर सिटीजन की मदद के लिए हेल्पलाइन नंबर 9454403882 भी जारी किया था। यहां पर कई शिकायतें भी आती हैं, जिसका पुलिस निस्तारण करने का दावा करती है। इस सेल के प्रभारी ने बताया कि सेल में आने वाली शिकायतों को थाने स्तर से जांच करवाई जाती है।