उन्होंने पहले अपनी कंपनी से फिर इंडिया से मदद मांगी लेकिन कोई response  नहीं मिला। इसके बाद SOS  पर UK के  war ship ने उन्हें rescue किया। आकाश अब लखनऊ में हैं लेकिन अभी भी उसके चेहरे पर मौत के मंजरका खौफ है। खौफनाक मंजर समुंदर की ऊंची-ऊंची लहरें मूसलाधार बारिश खून की उल्टी करते क्रू मेम्बर्सभूख और प्यास से बेहालकोई दुख-दर्द सुनने वाला भी नहीं।

तीन दिन तक चली जिंदगी और मौत की इस जंग के खौफ को लखनऊ के ऑयलर आकाश द्विवेदी के चेहरे पर अब भी आसानी से पढ़ा जा सकता है। वह गहरे सदमे में है। इसे उसकी खुशकिस्मती कहें या उसकी बहनों की दुआओं ने असर कि रक्षाबंधन पर उसकी कलाई पर रक्षासूत्र बंध सका। जी हां, यह लखनऊ का वही आकाश है जिसका जहाज (डीजल टैंकर पवित) ओमान के पास समुद्र में फंस गया था और बड़ी जद्दोजहद के बाद उसकी और उसके साथियों की जान बच सकी। लेकिन ताज्जुब की बात यह है कि ऐसा सनसनीखेज मामला होने के बावजूद इंडियन गवर्नमेंट से इस मामले में कोई मदद नहीं मिल सकी।

mt pavit: मौत से जंग

मौत को बिल्कुल करीब से देखा

आशियाना के सेक्टर एच एलडीए कालोनी के ई 1368 में रहने वाले आकाश ने मोटर टैंकर पवित में चार मार्च 2011 को ज्वाइन किया। आज भी उस हादसे को याद करके वह सिहर उठता है। कंपकंपाती आवाज में वह बताता है कि दुबई से डीजल टैंकर लेकर 13 क्रू मेम्बर्स साउथ अफ्रीका के बरबरा फोर्ट पहुंचे और वहां 1800 टन डीजल उतारा। इसके बाद वह दुबई की ओर लौटने लगे। 26 जून की रात करीब 11.30 बजे का वक्त था।

जबरदस्त पानी बरस रहा था। ओमान से करीब 200 नॉटिकल माइल पर जहाज का इंजन फेल हो गया और वह ओपेन सी की ओर जाने लगा। सभी घबराने लगे। सबसे पहले क्रू मेम्बर्स ने एमटी पवित के मैनेजमेंट से कंटैक्ट करने की कोशिश की लेकिन मैनेजमेंट ने अपना पल्ला झाड़ लिया। सेटेलाइट फोन के जरिए दुबई कोस्ट गार्ड और इंडियन कोस्ट गार्ड से भी मदद की गुहार लगाई गई, लेकिन कोई रिस्पांस नहीं मिला। हालात बिगड़ते जा रहे थे।

आकाश ने बताया कि उनके साथ चिरंजीवी और अमित कुमार की हालत बेहद सीरियस हो चुकी थी। खून की उल्टी रुक नही रही थी। न तो जहाज में पीने के लिए पानी था और न ही प्रॉपर फूड। जहाज से टकराती लहरों से जहाज के एक  हिस्से में लीकेज आ गया था। इसकी वजह से इंजन रूम में पानी बढ़ता जा रहा था। तीन दिन बीत चुके थे और सभी लोग ऊपर वाले को याद कर रहे थे। सेटेलाइट सी से यूके भी मैसेज भेजा.  वहां से रिस्पांस मिला और हम लोगों की जान में जान आई। अफ्रीका से उन्होंने वारशिप भेजा। एक के बाद एक हम सभी 13 लोगों को एमवी जैग पुष्पा से गुजरात के सिक्का एयरपोर्ट भेजा गया।

यहां भी मुसीबत नहीं हुईं कम

मुसीबतों का दौर थमने का नाम ही नहीं ले रहा था। आकाश बताते हैं कि वह बेहोश हो चुके थे। उनके साथियों के मुताबिक उसे जामनगर के एक हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। जब हालत में कुछ सुधार आया तो लोकल पुलिस ने पूछताछ शुरू कर दी। न तो हम लोगों के पास कोई लगेज था और न ही पैसे। सारा सामान जहाज में ही रह गया था। यह तक नहीं पता था कि जहाज तैर रहा है या डूब गया। पूछताछ के नाम पर पुलिस चार दिन तक रोके रही।

कभी सुबह इंक्वायरी होती थी तो कभी शाम को। हम लोगों को एक गेस्टहाऊस में नजरबंद कर दिया गया था। आखिरकार पापा से कंटैक्ट हुआ। उन्होंने मेेरे एकाउंट में कुछ पैसे डाले। पुलिस जो पहले हमें शक की निगाह से देख  रही थी अब संतुष्ट हो चुकी थी कि हम लोगों के पास भारत की नागरिकता है। पासपोर्ट भी चेक करवाया गया था। 4 जुलाई को मरकेंटाइल मैरीन डिपार्टमेंट जामनगर से एनओसी मिली और फिर हम लोग अपने-अपने घरों के लिए रवाना हो गए।

15 दिन रहा hospitalised

आकाश के पापा बताते हैं कि उन्हें गवर्नमेंट ऑफ इंडिया से ऐसी उम्मीद नहीं थी। आखिर उन्होंने इस जहाज को बचाने मे कोई पहल क्यों नहीं की। यह तो ईश्वर की बड़ी कृपा रही कि सभी की जान बच गई। वह बताते हैं कि केवल एक लोअर और टीशर्ट में उनका बेटा किसी तरह लखनऊ पहुंचा। वह इस कदर सदमें में था कि आवाज ही नहीं निकल रही थी। 15 दिन तक आशियाना के सूर्या हास्पिटल में उसका इलाज चला। अब सेहत में कुछ सुधार हुआ है।

बंधवाई राखी

आकाश की मम्मी रानी के मुताबिक जब उन्हें यह खबर मिली कि बेटा गुजरात में है तो वह हैरान रह गईं। इस पूरी घटना के बारे में उन्हें कोई जानकारी ही नहींं थी। जब बेटा लौटा तो खुशी का ठिकाना नहीं रहा। ऐसा खौफनाक पल हमारी जिंदगी में कभी नहीं आया था। आकाश की चचेरी बहन आकांक्षा और श्वेता की खुशी रक्षाबंधन पर देखने लायक थी। राखी बांधते समय उनकी आंखों में खुशी के आंसू थे।

भटकते हुए जुहू में आ फंसा जहाज

कैसा संयोग था कि जिस शिप पवित को ओमान की खाड़ी में समुद्री लहरों के हवाले छोड़ दिया गया था वही कुछ दिनों पहले मुंबई के बीच पर  भटकता हुआ आकर फंस गया। खूब शोर-शराबा हुआ कि आखिर यह जहाज यहां कैसे आ पहुंचा। एमटी पवित करीब 6 हफ्ते तक मुंबई के किनारे फंसा रहने के बाद 15 अगस्त को उसे किनारे से बरसोवा बीच से निकाला गया।